बजट की कमी से घवांडल अस्पताल का काम बंद

अब तक नौ करोड़ रुपए खर्च, जनता को आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए करना पड़ेगा इंतजार

निजी संवाददाता-नयनादेवी

विश्व विख्यात प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नयनादेवी जी के समीप घवांडल में आधुनिक सुविधाओं से लैस बनने वाले अस्पताल के लिए लोगों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा। बजट की कमी के चलते इस अस्पताल का काम बंद कर दिया गया है। वर्तमान में अभी तक करीब 80 फीसदी काम ही अस्पताल का हो पाया है। वहीं, 20 फीसदी कार्य को लेकर बजट का प्रावधान नहीं हो पाने के चलते इसका कार्य रोक दिया है। इस अस्पताल का शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह ने किया था, लेकिन इस अस्पताल को लेकर लगातार लोगों का इंतजार बढ़ता जा रहा है। नयनादेवी में स्थानीय लोगों व श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बस अड्डे के समीप 50 बिस्तर की सुविधा का कार्य चलाया गया था, लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी यह कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। अभी तक करीब नौ करोड़ की राशि खर्च की जा रही है।

अभी और बजट की आवश्यकता है। पूर्व सरकार के कार्यकाल में इस अस्पताल का कार्य तेजी गति से चला हुआ था। यही नहीं, मंदिर न्यास द्वारा जारी पांच करोड़ रुपए के फंड देने के बाद भी इस अस्पताल का कार्य आगामी बजट न मिलने के कारण रोक दिया है, जिससे स्थानीय जनता में रोष है। बता दें कि लगभग दो वर्ष पहले इस अस्पताल का कार्य अंबाला से यूनिप्रो कंपनी ने बजट में पूरा प्रावधान होने के बाद ही इस अस्पताल का कार्य शुरू किया था। बिना रुके इस कार्य को तेजी से किया जा रहा था, उस समय इसमें किसी प्रकार की बजट के में कोई रुकावट नहीं हुई। जनता को उम्मीद थी कि मार्च माह में यह अस्पताल बनकर तैयार हो जाएगा, लेकिन अभी भी यह कार्य 80 फीसदी ही हुआ है।

शेष कार्य पूरा करने को लेकर सरकार की ओर से भी कोई रूचि नहीं दिखाई गई है। अब यूनिप्रो कंपनी ने अस्पताल का कार्य रोक दिया है। बता दें कि इस सिविल अस्पताल में लगभग छह ओपीडी होगी। अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, ईएनटी सहित सभी रोगियों के लिए ओपीडी का निर्माण किया जा रहा था। शवगृह का भी यहां पर विशेष प्रबंध रखा गया था। इसके लिए भी अस्पताल में विशेष प्रबंध किया था। अस्पताल में छह डाक्टर हर समय उपलब्ध रहेंगे। 25 पैरामेडिकल स्टाफ यहां पर रहेगा। आवासीय सुविधा के लिए अढ़ाई करोड़ रुपए की एक और प्रोपोजल सरकार को भेजी गई थी, उसकी टोकन मनी भी आ गई थी। अब इसके लिए प्रशासनिक एवं खर्चे की मंजूरी के लिए स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव भेजा था। -एचडीएम

भविष्य में 100 बेड की आवश्यकता

आगामी समय में यदि 50 बैड और बढ़ाने की आवश्यकता होगी, तो उसे भी उसके ध्यानार्थ बढ़ाया जा सकता है, ताकि भविष्य में यह 100 बिस्तरों का अस्पताल बनकर तैयार हो सके। इसके लिए भी इसका प्रावधान किया जा रहा था। अस्पताल में खंड चिकित्सा अधिकारी कार्यालय, अस्पताल में पार्किंग, ओपन पार्किंग, लिफ्ट सहित अन्य का भी प्रावधान किया है। वाहनों की आवाजाही के लिए लगभग छह मीटर का ट्रैक बनाया जा रहा है। जिसमें दो वाहन आसानी से आ जा सकेंगे। नई सरकार के निर्देशानुसार हर जिला में आधुनिक अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। इस तर्ज पर इस अस्पताल का काम चल रहा था।

जयराम सरकार ने अस्पताल को दिया बजट

नयनादेवी के विधायक रणधीश शर्मा ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अस्पताल का शिलान्यास किया था, लेकिन किसी भी तरह का बजट का प्रावधान नहीं था। जयराम सरकार ने इस अस्पताल के लिए बजट का प्रावधान किया, लेकिन अभी तक कार्य पूरा नहीं हो पाया है। मार्च माह में इसका लोकार्पण किया जाना था, लेकिन सरकार बजट का प्रावधान नहीं कर पाई।
प्रयास किया जाएगा कि जल्द ही इस कार्य को दोबारा शुरू करवाया जाए।

आचार संहित में धीमा पड़ा भवन का काम

नयनादेवी के पूर्व विधायक रामलाल ठाकुर ने बताया कि नयनादेवी में स्वास्थ्य संस्थान का काम बंद नहीं है, लेकिन कंपनी द्वारा कार्य धीरे किया जा रहा है। अभी कई कार्य शेष हैं। अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होगी तो सरकार के समक्ष यह मसला रखा जाएगा। बाकायदा मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री से भी इस मसले को लेकर चर्चा हुई है। आचार संहिता हटने के बाद आगामी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। जल्द 50 बेड की सुविधा मुहैया करवाई जाएगी।

सीएमओ बोले, सीनियर अफसरों से मांगेंगे बजट

बिलासपुर के सीएमओ डा. प्रवीण चौधरी ने बताया कि सिविल अस्पताल नयनादेवी का काम बंद होने के बारे में अभी तक लोक निर्माण विभाग की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोक निर्माण विभाग को इस कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन फिर भी यदि इस तरह की बात है तो इस बारे में जानकारी ली जाएगी। बजट की कमी बताई जा रही है, तो जानकारी मिलने के बाद उच्च अधिकारियों से बजट की डिमांड की जाएगी।