कलकत्ता फिल्म फेस्टिवल में हिमाचल

‘म्यूजिशियन ऑफ गॉड’ फिल्म स्क्रीनिंग को सिलेक्ट, 17 नवंबर तक मचेगी धूम

शिमला  —  कलकत्ता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पहली बार प्रदेश की सांस्कृतिक झलक दिखाई देगी। हिमाचल की संस्कृति पर बनाई ‘म्यूजिशियन ऑफ गॉड’ फिल्म इस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए सिलेक्ट की गई है। कलकत्ता में यह फेस्टिवल दस से 17 नवंबर तक चलेगा, जिसमें विश्व भर से आई फिल्में दिखाई जाएंगी। कुल्लू में देवी-देवताओं की आस्था एवं परंपरा पर बनी यह फिल्म देवताओं के वाद्य यंत्र बजाने वाले बजंतरियों के डिवोशन पर बनाई गई है। देवताओं के यह बजंतरी पूरी आस्था के साथ देवताओं के हर कार्यक्रम में बिना किसी लोभ-लालच के सांस्कृतिक परंपरा के अनुसार देवताओं के साथ चलते हैं। बजंतरियों के इसी थीम को दर्शाती यह फिल्म इस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखेगी। यह फिल्म प्रमोद शाहु के निर्देशन में बनाई गई है, जिसे हिमालयन मौंक फिल्म, प्रोडक्शन हाउस के सहयोग से बनाया गया है। यह फिल्म फेस्टिवल बंगाल सरकार द्वारा यहां के टूरिज्म को प्रोमोट करने के लिए आयोजित किया जाता है, जिसमें कलकत्ता के तमाम फिल्म थियेटर ये फिल्में दिखाने के लिए पहले से बुक रहते हैं। इस दौरान नेशनल अवार्डिड फिल्मों की भी स्क्रीनिंग होती है, जिसमें विश्व के कई देशों से फिल्ममेकर आते हैं। ज्यूरी द्वारा सिलेक्ट की गई फिल्म अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाई जाती है। इस फिल्म फेस्टिवल में बडे़ स्तर पर स्टार पहुंचते हैं। इस बार इस फेस्टिवल में अभिनेता शहरूख खान, अमिताभ बच्चन एवं कमल हसन उपस्थित रहेंगे।

देवी-देवताओं से ली अनुमति

देवी-देवताओं पर बनाई गई यह फिल्म बनाने से पहले फिल्म के निर्देशक को देवताओं से अनुमति लेनी पड़ी। देवताओं की जगती के समय स्थानीय लोगों ने देवताओं से यह फिल्म बनाने की अनुमति मांगी, तो देवता ने इसे सहर्ष स्वीकर कर लिया एवं अनुमति दे दी। यह फिल्म देवताओं के बजंतरियों की आवाज उठा रही है, जो देवता की सेवा तो तन मन से करते हैं, लेकिन पीढि़यों से उन्हीं देवता के मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते। कुल्लू की गहरी संस्कृति दर्शाती इस फिल्म के लिए तीन महीने तक शूटिंग का दौर चलता रहा। कुल्लू एवं बंजार की सुंदर वादियों में बनी इस फिल्म की खासियत यह है कि इसमें कोई भी कलाकार बनावटी नहीं है, बल्कि जब देवता की जगती निकलती है, तो सभी सीन नैचुरल लिए गए हैं। इस तरह की फिल्म मुश्किल से किसी फिल्म फेस्टिवल में सिलेक्ट होती है, लेकिन इस फिल्म के थीम से फेस्टिवल की सिलेक्शन कमेटी से इसे ओके किया।