अंटार्कटिका अभियान में शिमला की शिवांगिनी

धर्मशाला – शिमला की शिवांगिनी सिंह अंटार्कटिका अभियान में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेगी। शिवांगिनी को क्लाइमेट फार्म अंटार्कटिका-2018 एक्सपेडिशन के लिए चुना गया है। यह अभियान 27 फरवरी से 12 मार्च तक चलेगा। शिमला की 23 वर्षीय शिवांगिनी सिंह ने बताया कि इस अभियान में विश्व भर से करीब 150 लोग भाग लेंगे। इनमें भारत के आठ प्रतिभागी भी शामिल होंगे। हिमाचल से वह अकेली प्रतिभागी हैं। वह इस अभियान में भाग लेने को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्हें गर्व है कि वह अपने राज्य हिमाचल का इस वैश्विक मंच पर प्रतिनिधित्व करेंगी। इस अंटार्कटिका अभियान का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा, स्थिरता और अंटार्कटिका महाद्वीप के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को समझना है। इसका उद्देश्य अगली पीढ़ी के युवाओं को तैयार करना भी है, जो लचीले समुदायों के निर्माण के लिए रिसाइकिलिंग के प्रचार, अक्षय ऊर्जा, स्थिरता और टिकाऊ व्यवसाय पर विकास नीति का निर्माण कर सकें। इस अभियान के दौरान पाए गए अनुभव से वह अपने घर वापस आकर हिमालय के बदलते पारिस्थितिकी तंत्र पर काम करना चाहती हैं। वह जलवायु परिवर्तन के लिए केवल मुखर कार्यकर्ता न बनकर उसका वैज्ञानिक समाधानों से मुकाबला करना चाहती है। शिवांगिनी सिंह अभी बंगलूर में बतौर एप्लीकेशंज डिवेलपर कार्यरत हैं। वह शिमला के लोरेटो कान्वेंट व हमीरपुर के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की छात्रा रह चुकी हैं। उन्होंने चार सप्ताह का बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स भी किया है।  शिवांगिनी सिंह ने बताया कि वह बचपन से ही शिमला में पली-बढ़ी हैं। समय के साथ शिमला का वातावरण भी बदलता जा रहा है। पर्यावरण के लिए कुछ करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने इस अभियान के लिए अपना आवेदन भेजा। उनके विचारों व उनके पर्वतारोहण के अनुभवों की वजह से उन्हें इस अभियान के लिए चयनित किया गया। शिवांगिनी सिंह की अंटार्कटिका की राह आसान नहीं है। इस अभियान के लिए उन्हें 22000 अमरीकी डालर खर्चने होंगे, जिसमें विमान का किराया, अभियान शुल्क, कमरे और बोर्डिंग आदि का खर्चा शामिल है। इस बड़ी राशि को जुटाने के लिए वह वर्तमान में कुछ संगठनों से बातचीत कर रही है। इस अभियान में भाग लेने में आर्थिक रूप से सहायता प्राप्त करने के लिए वह ऑनलाइन क्राउड फंडिंग का भी सहारा ले सकती हैं।