हैंडबाल का हिमाचल चैंपियन

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने अंतर विश्वविद्यालय खेलों में अखिल भारतीय स्तर पर अपना पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक तो भवानी अग्निहोत्री के द्वारा 1980 में ही जीत लिया था, मगर टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक विजेता बनने व ट्रॉफी जीतने के लिए 37 वर्ष का लंबा इंतजार करना पड़ा…

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने अंतर विश्वविद्यालय खेलों में अखिल भारतीय स्तर पर अपना पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक तो भवानी अग्निहोत्री के द्वारा 1980 में ही जीत लिया था, मगर टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक विजेता बनने व ट्रॉफी जीतने के लिए 37 वर्ष का लंबा इंतजार करना पड़ा। पिछले सप्ताह एलपीयू, जालंधर में आयोजित अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय हैंडबाल प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की महिला टीम ने पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ को हराकर पहली बार विजेता ट्रॉफी अपने नाम कर ली है। इससे पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय स्तर पर 1994 में मुक्केबाजी में उपविजेता ट्रॉफी पर कब्जा जमाया था। पुरुष वर्ग के इस मुकाबले में शिव चौधरी, मान सिंह, सोहन सिंह व सुरेश सहित कई मुक्केबाजों ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के लिए स्वर्ण पदक व अन्य आधा दर्जन पदक जीतकर यह कारनामा किया था। दिलचस्प यह कि सभी पदक विजेता मुक्केबाज प्रशिक्षक नरेश कुमार के शिष्य थे।

उसके बाद 2006 वारंगल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय क्रॉस कंट्री प्रतियोगिता में धर्मशाला की आशा कुमारी ने पहला, हमीरपुर के सरकारी महाविद्यालय की मंजु कुमारी ने तीसरा, रीता कुमारी ने चौथा तथा धर्मशाला की पूनम ने चौबीसवां व्यक्तिगत स्थान प्राप्त कर उपविजेता ट्रॉफी पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का नाम लिखा था। पिछले वर्ष अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय महिला कबड्डी प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की टीम ने धर्मशाला महाविद्यालय व साई खेल छात्रावास की पुष्पा, ज्योति, नीलम, निधि, सारिका तथा विशाखा आदि उम्दा खिलाडि़यों  ने उपविजेता ट्रॉफी पर प्रदेश विश्वविद्यालय का कब्जा करवाकर इतिहास रचा। इस टीम में कबड्डी प्रशिक्षक मेहर चंद वर्मा की छह शिष्यों तथा एक बिलासपुर की खिलाड़ी ने मुख्य खेलने वाली खिलाडि़यों में जगह बनाई थी। साई के पूर्व प्रशिक्षक मेहर चंद वर्मा ने हिमाचल प्रदेश को महिला कबड्डी में नई ऊंचाई दी हैं।

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की टीम में शौकिया प्रशिक्षक स्नेहलता व सचिन चौधरी की गई अंतरराष्ट्रीय शिष्यों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। निधि शर्मा व ज्योति ने राइट व लैफ्ट विंगर मिनिका ने सेंटर, बबिता व दीपा लैफ्ट व राइट बैक तथा शैलजा ने पीपट बनकर खेल को गति दी। वहीं दीक्षा ने गोलकीपर बनकर विपक्षी टीमों के गई गोल  बचाकर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की टीम को पहली बार विजेता ट्रॉफी जीतने का गौरव दिलाया है। इस टीम के प्रबंधक डा. प्रवेश शर्मा तथा प्रशिक्षक सचिन चौधरी ने अपने अच्छे टीम प्रबंधन तथा प्रशिक्षण से हिमाचल प्रदेश को विजेता होने का स्वाद जरूर चखा दिया है। इस टीम में बिलासपुर के सरकारी महाविद्यालय की पांच, घुमारवीं की चार, अर्की की तीन, ऊना व ढलियारा की एक-एक, बीबीएन, चकमोह की एक व अर्की के बीएड महाविद्यालय की एक खिलाड़ी ने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। यह भी कि इस टीम में पहली सात खेलने वाली खिलाडि़यों में सभी स्नेहलता के प्रशिक्षण शिविर की देन है।

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के निदेशक, शारीरिक शिक्षा डा. सुरेंद्र शर्मा ने इस टीम का प्रशिक्षण शिविर दस दिनों की जगह 15 दिन का लगाया था तथा किट भी खिलाडि़यों की पसंद की दी। हिमाचल प्रदेश को अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में विजेता ट्रॉफी दिलाने में स्नेहलता का योगदान सबसे ऊपर है। राजनीति शास्त्र की इस स्कूली प्रवक्ता ने अपने घर में दो दर्जन खिलाडि़यों को खेल छात्रावास की तरह रख कर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया हुआ है। पहले वह नवगांव में नियुक्त थीं, वहां उसका प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा था। अब वह अपने गांव मोरसिंघी में घुमारवीं तहसील में अपना घर बनाकर वहां हैंडबाल अकादमी चलाए हुए हैं। इस सब में उसकी सहायता स्नेहलता के पति सचिन चौधरी करते हैं। सचिन स्वयं भी अंतरराष्ट्रीय हैंडबाल खिलाड़ी हैं। हिमाचल में इस समय दो साई व दो राज्य सरकार के खेल विभाग द्वारा खेल छात्रावास चलाए जा रहे हैं। इनमें प्रदेश के प्रतिभावान खिलाडि़यों का चयन कर सरकारी खर्चे पर प्रशिक्षण की हर सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है, मगर आज तक ये छात्रावास भी हिमाचल को विजेता ट्रॉफी भारतीय विश्वविद्यालय स्तर पर नहीं दिला सके हैं। अकेली स्नेहलता ने यह कार्य कर राज्य के सामने उदाहरण पेश किया है।

स्नेहलता का कहना है कि मेरी नौकरी खेल आरक्षण के अंतर्गत लगी है। मैं हिमाचल प्रदेश को अपने अध्यापन कार्य के साथ-साथ अपने खेल में भी कुछ समय देकर अपनी माटी के कर्ज को थोड़ा कम करने की कोशिश कर रही हूं। हिमाचल के हैंडबाल को खड़ा करने में नंदकिशोर शर्मा के प्रयत्नों को आगे डा. प्रवेश शर्मा व अब स्नेहलता अपने जीवन साथी सचिन चौधरी के साथ गति दे रही हैं। हिमाचल खेल जगत इस विजेता उपलब्धि पर हिमाचली की बेटियों को बधाई देता है! मैं आशा करता हूं कि अधिक से अधिक हिमाचली अंतरराष्ट्रीय स्तर तक भारत का प्रतिनिधित्व कर तिरंगे को सबसे ऊपर उठाने में बढ़-चढ़कर योगदान देंगे।

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