खेल प्रतिभाओं का संरक्षक बने बजट

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

सरकार को बजट में कुछ ऐसे वित्तीय प्रावधान करने चाहिएं कि बच्चे स्कूली स्तर पर पर्याप्त वजीफे से अपनी तैयारी करके केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए चयनित हो सकें। कोशिश होनी चाहिए कि किसी खेल प्रतिभा की राह में धन की अड़चन न आए…

एक समय था जब कहा जाता था, पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे होंगे बर्बाद! अब समय बदल गया है। आज अभिभावक खेलों में अपने बच्चों का भविष्य देख रहे हैं। भारत सरकार ने ‘खेलो इंडिया’ के अंतर्गत सभी चयन बाधाओं को पार कर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले एक हजार नए खिलाडि़यों को प्रति वर्ष पांच लाख वजीफा देने का निर्णय लिया है। किसी भी शिक्षण व प्रशिक्षण के लिए मिलने वाले वजीफे के मुकाबले यह राशि बहुत अधिक है। यह राशि चयनित खिलाड़ी को अगले आठ वर्षों तक उसके प्रशिक्षण के लिए मिलती रहेगी। स्कूली स्तर पर अंडर-17 आयु वर्ग के खिलाडि़यों के लिए यह स्पर्धा पिछले सप्ताह नई दिल्ली में विभिन्न खेलों के लिए आयोजित की गई। इस स्पर्धा में भाग लेने के लिए उन खिलाडि़यों व टीमों को आमंत्रण दिया गया था, जो वर्ष 2017 के स्कूली राष्ट्रीय खेलों में पहले आठ स्थानों तक आई थीं। खेल महासंघों द्वारा आयोजित कनिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के पहले चार स्थानों को भी खेलो इंडिया में प्रवेश था। इसके साथ-साथ एक टीम या व्यक्तिगत खिलाड़ी आयोजक राज्य से भी प्रवेश का पात्र था। शेष तीन टीमों या खिलाडि़यों को वाइल्ड कार्ड प्रवेश उन राज्यों के लिए था, जो अपना खेलो इंडिया कार्यक्रम की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता नहीं करवा पाए थे।

इस तरह 16 टीमों या व्यक्तिगत खिलाडि़यों ने खेलो इंडिया की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया। हिमाचल की तरफ से इस प्रतियोगिता में एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, जूडो, रेस्लिंग, भारोत्तोलन तथा कबड्डी में शिरकत की गई। धर्मशाला साई खेल छात्रावास की सीमा ने तीन हजार मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक प्राप्त कर पांच लाख रुपए सालाना के इस वजीफे पर अपना दावा पक्का कर लिया है। हिमाचल प्रदेश की कबड्डी टीम ने भी स्वर्ण पदक खेलो इंडिया में जीता है। साई व खेल महासंघों के विशेषज्ञों की एक टीम अब इन विजेता खिलाडि़यों में से अधिक के स्टार खिलाडि़यों की सूची तैयार कर उन्हें वजीफा देने की वकालत करेगी। इसी तरह अंडर-21 आयु वर्ग के खिलाडि़यों के लिए भी एक प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित करने की बात हो रही है। इस प्रतियोगिता में अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय खेल प्रतियोगिताओं के पहले आठ खिलाडि़यों व टीमों का प्रवेश होगा। अंडर-20 आयु वर्ग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पहले चार स्थानों पर आने वालों को भी प्रवेश की पात्रता होगी। साथ ही आयोजक प्रदेश के लिए एक तथा तीन अन्य स्थानों के लिए वाइल्ड कोटों से प्रवेश मिलेगा। इस प्रतियोगिता में भी 16 टीमें या व्यक्तिगत खिलाड़ी भाग लेंगे।

दिल्ली में आयोजित स्कूली खेलो इंडिया प्रतियोगिता में आयु वर्ग की हेराफेरी खुल कर सामने आई है। इस बुराई से हमें बचने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। नहीं तो यह योजना भी यूं ही समय से पूर्व दम तोड़ देगी। अगर 20 वर्ष का खिलाड़ी 16 वर्ष का बनकर चयनित होगा, तो उससे हम आगे क्या अपेक्षा रख सकते हैं। वरिष्ठ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों को टापस (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम) के अंतर्गत पचास हजार रुपए प्रतिमाह जेब खर्च तथा वर्ष में चालीस हजार रुपए अपने प्रशिक्षक, खेल चिकित्सक तथा अन्य मदों पर खर्च करने के लिए अलग से रखे हैं। भारत सरकार का खेल मंत्रालय विदेश में उत्कृष्ट होनहार खिलाडि़यों के प्रशिक्षण का प्रबंध करता है। ओलंपिक तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीतने पर केंद्र तथा राज्य सरकारें आकर्षक नकद इनाम, सम्मानजनक राजपत्रित अधिकारी की नौकरी तथा नौकरी में लगे खिलाडि़यों को आउट ऑफ टर्न पदोन्नति भी देती है। एशियन खेलों के पदक विजेताओं को लगभग हर राज्य अपने यहां सम्मानजनक नौकरी दे रहा है।

खेल प्रशिक्षण में अगले आठ वर्षों तक नए खिलाड़ी के लिए पांच लाख रुपए प्रति वर्ष के हिसाब से वजीफे का प्रबंध है, तो लंबी अवधि के प्रशिक्षण कार्यक्रम में हर प्रतिभावान खिलाड़ी जाना चाहेगा। भारत में अभिभावक, चिकित्सक, अभियंता, सीए व प्रबंधक बनाने के लिए अपने बच्चे को विशेष प्रशिक्षण व शिक्षण का प्रबंधन करते हैं, अब उसी तरह खेलों में भी अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य तलाशेंगे। पहले भी राज्य में कई खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नामित हैं, मगर उनका प्रशिक्षण स्वयं के खर्च व प्रबंधन पर ही होता था। अब यह खर्चा भारत सरकार उठा रही है। इसलिए राज्य में अति प्रतिभावान खिलाड़ी बच्चों को चयनित कर उनके प्रशिक्षण का पूर्ण प्रबंध अभिभावकों को अभी से करना होगा, ताकि किशोर होने पर फिर वे खेलो इंडिया के वजीफे में आ सकें। इसके लिए राज्य सरकारों तथा स्कूलों को भी आगे आना होगा, तभी स्टार खिलाड़ी हम खोज पाएंगे। प्रदेश सरकार अपना बजट कुछ समय बाद पेश करने जा रही है। अतः सरकार को बजट में कुछ ऐसे वित्तीय प्रावधान करने चाहिएं कि बच्चे स्कूली स्तर पर पर्याप्त वजीफे से अपनी तैयारी करके केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए चयनित हो सकें। कोशिश होनी चाहिए कि किसी खेल प्रतिभा की राह में धन की अड़चन न आए।

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