खेलों में महिलाओं के मुकाम को सलाम

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

बिलासपुर की स्नेहलता एशियाई बीच खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली हैंडबाल की पहली महिला खिलाड़ी रही हैं। राज्य शिक्षा विभाग में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता पद पर नौकरी करने वाली इस खिलाड़ी ने अब तो अपने को देश के सफलतम महिला हैंडबाल प्रशिक्षकों की सूची में शामिल कर लिया है…

हिमाचल प्रदेश में खेलों का सफर बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। चार दशक पहले प्रदेश में खेलों के नाम पर देखा जाए तो कहने को बहुत कम था और महिलाओं के बारे में तो खेल क्षेत्र उस समय अंजाना ही था। उसी समय स्वर्गीय प्रताप सिंह रावत ने अपनी बेटियों को खेल मैदान भेजने के साथ-साथ अपने संग शिमला की सड़कों पर दौड़ाना शुरू किया था। इनमें से सुमन रावत आगे चलकर राष्ट्रीय स्तर पर लंबी दूरी की दौड़ों में हिमाचल को पदक दिलाती हुईं 1986 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतकर अर्जुन अवार्डी हो गईं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य की इस बेटी को युवा सेवाएं एवं खेल विभाग में जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी 1984 में बनाकर इसे प्रशिक्षण जारी रखने की सुविधा भी दी। आज सुमन रावत युवा सेवाएं एवं खेल विभाग में अतिरिक्त निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। मध्यम व लंबी दूरी की दौड़ों के अधिकतर राज्य रिकार्ड आज तक हिमाचल की कोई धाविका सुमन रावत को तोड़ना तो दूर नजदीक तक भी नहीं आ पाई है। हिमाचली खिलाडि़यों के लिए सुमन रावत के उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन ने प्ररेणा का काम किया है।

बास्केटबाल में हिमाचल प्रदेश की तरफ से खेलते हुए 80 के दशक में सिरमौर की गुलशन ने भारतीय महिला बास्केटबाल टीम में जगह बनाकर हिमाचल बास्केटबाल को पहचान दिलाई थी। इसी समय शिमला की कला राणा ने वालीबाल में भारत का प्रतिनिधित्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया था। हाकी में बड़ी बहन गीता को पीछे छोड़ते हुए सीता गोसाई ने कई वर्षों तक भारतीय महिला हाकी टीम की पहले सदस्य और बाद में कप्तान बनकर विभिन्न महत्त्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत दिलाई थी। अर्जुन अवार्ड से नवाजी गई इस स्टार खिलाड़ी को एशिया एकादश में भी जगह मिली थी। हिमाचल में नौकरी न मिलने के बाद रेलवे ने इस स्टार खिलाड़ी को नौकरी दी थी। आज भी सीता रेलवे में नौकरी कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश के कई शूटर एशियाई राष्ट्रमंडल व ओलंपिक खेलों में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन देकर राष्ट्र व प्रदेश को गौरव दिला चुके हैं। हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर पहला पदक महिला शूटिंग में दिलाने वाली बैजनाथ की सोनिया राणा ने एशियाई खेलों में भारत के लिए पदक जीता है। परशुराम अवार्ड से सम्मानित इस शूटर को हिमाचल कोई सम्मानजनक नौकरी आज तक नहीं दे पाया है। दो दशक पूर्व जूडो में हमीरपुर की नूतन ने हिमाचल को जूडो में पहला राष्ट्रीय पदक दिलाया था। इस खिलाड़ी को राज्य खेल पुरस्कार परशु राम अवार्ड से नवाजा गया है।

नूतन शिक्षा विभाग में प्रवक्ता के पद पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। हिमाचल प्रदेश को तेज गति की दौड़ों में पहला राष्ट्रीय पदक दिलाने वाली पुष्पा ठाकुर एशियाई व ओलंपिक खेलों के लिए लगे प्रशिक्षण शिविरों का हिस्सा भी रही हैं। हिमाचल को महिला राष्ट्रीय खेलों में दर्जन भर पदक दिलाने वाली पुष्पा ठाकुर को परशुराम अवार्ड से भी नवाजा गया है। यह धाविका आजकल हमीरपुर के जिलाधीश कार्यालय में अधीक्षक राजस्व के पद कार्यरत हैं। एथलेटिक्स की प्रक्षेपण स्पर्धा में हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर पहला पदक भाला प्रक्षेपण में दिलाने वाली कुल्लू की संजो देवी भी कई बार हिमाचल का नाम राष्ट्रीय स्तर पद पदकतालिका में चमका चुकी हैं। 2012 में संजो देवी को परशुराम अवार्ड से सम्मानित किया गया है। आजकल संजो देवी राज्य वन विभाग में रेंजर के पद पर बंजार में कार्यरत हैं। कबड्डी में हिमाचल से कई महिला खिलाडि़यों ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया है, मगर पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली बिलासपुर की पूजा ठाकुर ने बाद में हिमाचल टीम के लिए हर बार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता भारतीय टीम की सदस्य भी रही हैं। परशुराम अवार्ड से सम्मानित पूजा ठाकुर राज्य अबकारी व कराधान विभाग में निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं, मगर अब एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक जीतने के बाद मिलने वाले उच्च पद के लिए प्रदेश उच्च न्यायालय ने पूजा ठाकुर को राज्य पुलिस विभाग में डीएसपी बनाने का निर्देश सरकार को दिया है। हिमाचल पुलिस विभाग की राणी राणा ने कुश्ती में पहला वरिष्ठ राष्ट्रीय  प्रतियोगिता का पदक जीतने का गौरव पाया है। राणी राणा को विभाग ने पदोन्नत कर सहायक निरीक्षक बना दिया है। नेटबाल में भारत का प्रतिनिधित्व पहली बार एशियाई नेटबाल प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व करने वाली रिवालसर की चंपा देवी विज्ञान स्नातक की पढ़ाई कर रही है। क्रिकेट  में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली शिमला की सुषमा देवी को हिमाचल सरकार ने पुलिस विभाग में डीएसपी के पद पर नौकरी देकर महिला विश्वकप में उम्दा प्रदर्शन करने के लिए सम्मानित किया है। बिलासपुर की स्नेहलता एशियाई बीच खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली हैंडबाल की पहली महिला खिलाड़ी रही हैं।

राज्य शिक्षा विभाग में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता पद पर नौकरी करने वाली इस खिलाड़ी ने अब तो अपने को देश के सफलतम महिला हैंडबाल प्रशिक्षकों की सूची में शामिल कर लिया है। स्नेह के द्वारा प्रशिक्षित छह हैंडबाल खिलाड़ी इस समय चल रहे राष्ट्रीय हैंडबाल प्रशिक्षण शिविर की सदस्य हैं। रोहड़ू की कृष्णा थापा ने पहली बार मुक्केबाजी में 2009 में भारत का प्रतिनिधित्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया था, मगर आजकल यह मुक्केबाज हिमाचल से उत्तराखंड जाकर बस चुकी हैं। महिलाओं ने खेलों में  बहुत कम समय में अच्छा मुकाम पाया है। सरकार को इन्हें और ज्यादा प्रोत्साहित करना चाहिए।