राष्ट्रमंडल खेलों में हिमाचली सपूत का पदक

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

राष्ट्रीय टीम  के हिमाचल प्रदेश से विकास ठाकुर एकमात्र खिलाड़ी हैं, जो 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेकर देश के लिए पदक जीत चुके हैं। अन्य राज्यों की तरह हिमाचल को भी चाहिए कि वह अपने इस स्टार खिलाड़ी को राज्य की खेल नीति के अनुसार पहले दर्जे की राजपत्रित अधिकारी की नौकरी दे…

हमीरपुर के दूरदराज सीमांत गांव पटनौण में बृजलाल ठाकुर के घर जन्मे अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलक विकास ठाकुर की प्रारंभिक पढ़ाई व प्रशिक्षण पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ, क्योंकि बृजलाल ठाकुर वहीं पर रेलवे में नौकरी करते हैं। मात्र छह वर्ष की आयु में विकास ठाकुर ने घर के नजदीक वेट लिफ्टिंग क्लब में जाना शुरू कर दिया था तथा नौ वर्ष की आयु में लोहे की रॉड से खेलना श्ुरु कर दिया था। पहली बार 2013 समोआ में आयोजित कनिष्ठ राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन प्रतियोगिता में विकास ठाकुर ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीता, इसी वर्ष मलेशिया में आयोजित वरिष्ठ राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन प्रतियोगिता में भी विकास ठाकुर को रजत मिल गया। 2014 की राष्ट्रमंडल खेलें जो ग्लासगो में आयोजित हुई, उसमें भारत की मेडल टैली में इजाफा करते हुए विकास ठाकुर ने रजत पदक जीता था। मेडल जीतने का सिलसिला जारी रखते हुए 2015 की वरिष्ठ राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन प्रतियोगिता में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता।

2016 की सैफ खेलों में स्वर्ण पदक तथा 2017 की वरिष्ठ राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर विकास ठाकुर ने अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रखते हुए अब आस्ट्रेलिया के शहर गोल्ड कोस्ट में आयोजित 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में 94 किलोग्राम भार वर्ग में भाग लेते हुए देश के लिए कांस्य पदक जीता है। इससे पहले विकास ठाकुर 85 किलोग्राम भार वर्ग में देश का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। पिछल वर्ष कंधे की चोट के कारण विकास का अभ्यास बहुत बाधित रहा है। इस कारण वजन बढ़ जाने के कारण भी अगले वेट में भाग लेने के लिए विकास को मजबूर होना पड़ा है। मुख्य प्रतियोगिता वर्ष में कंधे की चोट के बावजूद प्रदर्शन के लिए पदक विजेता विकास ठाकुर तथा उनके राष्ट्रीय प्रशिक्षक विजय शर्मा बधाई के हकदार हैं। 94 किलोग्राम भार वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए राष्ट्रमंडल खेलों में विकास ठाकुर ने स्नैच के पहले प्रयास में 152 किलोग्राम तथा दूसरे प्रयास में 156 किलोग्राम तथा तीसरे प्रयास में 159 किलोग्राम भार उठाकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया तथा क्लीन एंड जर्क में विकास ठाकुर ने अपने पहले प्रयास में 192 किलोग्राम भार उठाया तथा दूसरे व तीसरे प्रयास में वह 200 किलोग्राम भार उठाने में असफल रहे।

इस तरह 351 किलोग्राम भार वर्ग में विकास ठाकुर ने तीसरा स्थान प्राप्त कर कांस्य पदक भारत के लिए जीता है। राष्ट्रीय टीम  के हिमाचल प्रदेश से विकास ठाकुर एकमात्र खिलाड़ी हैं, जो 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेकर देश के लिए पदक जीत चुके हैं। इस स्टार खिलाड़ी को हिमाचल प्रदेश में सम्मानजनक नौकरी देकर सरकार को उभरते खिलाडि़यों के लिए प्रेरणा का कार्य करना चाहिए। एशियाई खेलों में कबड्डी के पदक विजेता कुछ खिलाडि़यों को सरकार पहले ही राजपत्रित अधिकारी की सम्मानजनक नौकरी दी जा चुकी है। विकास ठाकुर इस समय भारतीय वायुसेना में जूनियर कमीशंड अधिकारी के पद पर कार्यरत है। पिछली राष्ट्रीय भारोत्तोलन प्रतियोगिता में विकास ठाकुर ने हिमाचल का प्रतिनिधित्व कर प्रदेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक भी जीता है। उससे पहले वायुसेना में सेवारत होने के कारण 2014 से लेकर 2017 तक की सभी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में विकास ठाकुर ने सेना की टीम का प्रतिनिधित्व कर हर वर्ष स्वर्ण पदक जीता है। जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में विकास ठाकुर ने पंजाब का प्रतिनिधित्व किया है, क्योंकि वह लुधियाना में अपने पिता जी के साथ रहकर पढ़ाई कर रहा था। विकास ठाकुर का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी अधिकतर स्टार हिमाचली खिलाडि़यों की तरह केंद्रीय विभागों या अन्य राज्यों में ही हुआ है। विकास ठाकुर के पास अभी बहुत लंबा खेल करियर है। वह 2020 टोकियो ओलंपिक का प्रस्तावित भारोत्तोलक है। पिछले चार वर्षों से वह लगातार राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान पटियाला में चल रहे राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में अपना प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है।

अन्य राज्यों की तरह हिमाचल को भी चाहिए कि वह अपने इस स्टार खिलाड़ी को राज्य की खेल नीति के अनुसार पहले दर्जे की राजपत्रित अधिकारी की नौकरी दे। राज्य खेल नीति में ओलंपिक राष्ट्रमंडल व एशियाई खेलों के पदक विजेताओं को मंत्रिमंडल की सहमति से राजपत्रित अधिकारी की नौकरी दी जा सकती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को चाहिए कि देश व तिरंगे को राष्ट्रमंडल खेलों में गौरव दिलाने के लिए अपने इस प्रतिभावान लिफ्टर को सम्मानजनक नौकरी देकर हिमाचल प्रदेश की खेलों को ऊपर उठाने के लिए यह कदम जल्द ही उठा देना चाहिए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की लिफ्टर पूनम यादव के पदक जीतने पर उसे पचास लाख रुपए व राजपत्रित अधिकारी का पद देने की घोषणा भी कर दी है। इस बर्फ के प्रदेश की संतानें जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश व प्रदेश को गौरव दिला रही हैं, तो उनकी पैरवी व प्रश्रय का पूरा-पूरा दायित्व भी हिमाचल का ही बनता है। हिमाचल में भी प्रतिभा की कमी नहीं है। यह कदम इस प्रतिभा को ऊंचाइयों तक ले जाने में कारगार होगा। सरकार के ऐसा करने से खिलाडि़यों का उत्साह बढ़ेगा और भविष्य में आने वाले नए खिलाडि़यों के लिए यह प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

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