बचपन से किशोरावस्था के बीच खेल शुरुआत

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

किस तरह अधिक से अधिक बच्चों को एथलेटिक्स में जोड़ना है, इसके लिए अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक महासंघ ने किड एथलेटिक्स कार्यक्रम शुरू किया है। इससे बच्चों में एथलेटिक्स के प्रति शौक जागेगा और भविष्य के उत्कृष्ट परिणाम देने वाले अद्भुत धावक व धाविकाएं मिलेंगी…

शिक्षा का अर्थ मानव का संपूर्ण मानसिक व शारीरिक विकास करना होता है, जिससे वह जीवन में आने वाली कठिनाइयों पर सफलतापूर्वक काबू पाकर खुशहाल जीवन जी सके। जैसे शिक्षा संस्थान मंे आने के पूर्व ही बच्चा भाषा को बोलना सीख चुका होता है, उसी तरह किस उम्र में कौन सी शारीरिक क्षमता का विकास होगा, उसके लिए बच्चे अपने घर-आंगन में प्राकृतिक रूप से चलना-कूदना तथा फेंकना शुरू तो कर देते हैं, मगर उनके संपूर्ण विकास के लिए वैज्ञानिक ढंग से योजना तो उनके शिक्षा संस्थान में ही होती है। किसी भी देश की प्रगति व खुशहाली का पैमाना आज के ओलंपिक खेलों की पदक तालिका में नजर आता है। विश्व के विकसित देश अमरीका, रूस, जर्मनी, जापान व चीन आदि ओलंपिक की पदक तालिका में ऊपर देखे जा सकते हैं।

जब देश के सभी नागरिक स्वस्थ होंगे, तो वह देश तेजी से तरक्की करेगा और उन्हीं स्वस्थ नागरिकों में से अच्छे खिलाड़ी भी विभिन्न खेलों के लिए मिलेंगे। सत्तर के दशक से भी पहले जर्मनी ने अपने आठ वर्ष के बच्चों को विभिन्न शारीरिक क्रियाओं से जोड़कर एक खेल व फिटनेस अभियान चलाकर देश के लिए नागरिक व विश्व स्तरीय कई खिलाडि़यों को तलाशा। यही कारण है कि जनसंख्या के अनुपात में वह सबसे अधिक पदक ओलंपिक में जीतता है। तीन दशक पूर्व तक चीन खेलों में विश्व स्तर पर कहीं भी नजर नहीं आता था, मगर उसने भी अपने यहां बचपन व किशोरावस्था के बच्चों को विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से विभिन्न खेलों की प्ले फील्ड तक पहुंचाकर जहां अपने देश को तरक्की की राह पर बहुत आगे ले गया, वहीं पर खेलों में भी वह अब अमरीका की बराबरी करने लग गया है। विश्व स्तर पर विभिन्न खेलों के महासंघों के प्रशिक्षकों व खेल वैज्ञानिकों ने सात वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए मनोरंजन खेल स्पर्धाएं आयोजित करवाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं। किस तरह अधिक से अधिक बच्चों को एथलेटिक्स में जोड़ना है, इसके लिए अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक महासंघ ने किड एथलेटिक्स कार्यक्रम शुरू किया है।

इससे जहां ज्यादातर बच्चों में एथलेटिक्स के प्रति शौक जागेगा, वहीं पर भविष्य के उत्कृष्ट परिणाम देने वाले अद्भुत धावक व धाविकाएं मिलेंगी। अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक महासंघ ने जो किड एथलेटिक्स के लिए कार्यक्रम बनाया है, उसमें बच्चों के स्वभाव व मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत स्पर्धाओं की जगह टीम स्पर्धाओं को रखा है। इससे बच्चे के मन पर अकेले हार का दबाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि टीम स्पर्धा होने के कारण हार या जीत पूरी टीम की होगी। इससे बच्चा सहकारिता, भाईचारा व आपसी सहयोग जैसी भावनाओं को कम उम्र में ही आसानी से खेल-खेल में ही सीख जाएगा, तो उसे भविष्य में एक अच्छा नागरिक बनने में भी सहायता होगी। आजकल विद्यालय में केवल वार्षिक खेलों के समय ही केवल चुनिंदा विद्यार्थियों को ही खेलने का मौका मिल पाता है। शेष पूरे विद्यालय के विद्यार्थी केवल दर्शक बनकर ही उन्हें देख पाते हैं। किड एथलेटिक्स में आठ से दस विद्यार्थियों की कई टीमें एक साथ भाग ले सकती हैं, इससे हर विद्यार्थी तक आसानी से शारीरिक क्रिया करवाने के लिए पहुंचा जा सकता है। जहां खेल आयोजन तीन-चार दिनों तक चलता है और वह बार-बार नहीं करवाया जा सकता है, मगर किड एथलेटिक्स मात्र दो घंटों में खत्म कर विद्यार्थियों को इनाम बांट कर फ्री किया जा सकता है। इससे बच्चों में हौसला व शौक दोनों बरकरार रहते हैं। किड एथलेटिक्स में बच्चों को थकावट भी नहीं होती है। मनोरंजन पर आधारित इस खेल में बच्चा खुशी-खुशी हर क्रिया को आसानी से कर जाता है। हिमाचल प्रदेश एथलेटिक्स संघ राज्य में विभिन्न जगह समय-समय पर किड एथलेटिक्स के कैंप लगाकर वहां के जिला एथलेटिक्स संघों को प्रशिक्षित कर रहा है। खेल व शिक्षा विभाग को खेल संघों के साथ मिलकर इस तरह की योजनाएं प्राथमिक पाठशालाओं में शुरू करवानी चाहिए, ताकि हर विद्यार्थी तक पहुंच बनाकर सही उम्र में उसकी शारीरिक योग्यता को सही समय पर विकसित किया जा सके। एथलेटिक्स सभी खेलों की जननी है।

मानव विस्थापन की स्वाभाविक क्रियाओं चलना, दौड़ना, कूदना व फेंकने पर जब बचपन से ही सही दिशा में वैज्ञानिक ढंग से कार्य होने लग जाएगा, तो फिर अन्य खेलों को भी भविष्य के उम्दा खिलाड़ी आसानी से मिल जाएंगे। सरकार को चाहिए कि प्राथमिक विद्यालय स्तर पर किड एथलेटिक्स जैसी योजनाओं के खेल किट के लिए धन का प्रावधान करके राज्य खेल विभाग व राज्य एथलेटिक्स संघ के साथ मिलकर जल्द ही प्रदेश के विद्यालयों में इस कार्यक्रम को शुरू करे, ताकि अधिक से अधिक हिमाचली खिलाड़ी ऊंचाइयों की बुलंदियों को छूकर प्रदेश का नाम रोशन कर सकें।