राज्य स्कूली एथलेटिक्स-2018 के मायने

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

15 वर्ष के किशोर खिलाड़ी को 18 वर्ष के युवा खिलाड़ी के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है, जो अन्यायपूर्ण है। इस वर्ष तो धन भी 20 लाख से 40 लाख कर दिया है, इसलिए अगले सत्र से अंडर-17 वर्ष के लिए टीम भेजती बार खेलो इंडिया नियमों का भी ख्याल रखें…

राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर के परिसर में बने सिंथेटिक ट्रैक पर 14 नवंबर से लेकर 16 नवंबर तक हिमाचल प्रदेश स्कूल एथलेटिक प्रतियोगिता का हमीरपुर जिला स्कूली क्रीड़ा परिषद ने सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस प्रतियोगिता में लाहौल-स्पीति को छोड़कर अन्य सभी जिलों व तीनों खेल छात्रावासों के लगभग 500 धावक-धाविकाओं ने अपने-अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए पूरा प्रयत्न किया। इस प्रतियोगिता में मंडी, हमीरपुर व कांगड़ा जिलों का प्रदर्शन काबिले तारीफ रहा। इस प्रतियोगिता में राज्य खेल छात्रावास ऊना, बिलासपुर व भारतीय खेल प्राधिकरण धर्मशाला खेल प्रशिक्षण केंद्र की धावक व धाविकाओं  को कई स्पर्धाओं में जिलों में प्रशिक्षण प्राप्त धावक व धाविकाओं ने धूल चटाकर राष्ट्रीय स्कूली खेलों का टिकट पक्का कर लिया। इस बार पहले धावक राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे, जो धावक व धाविकाएं पहले छह स्थानों में आएंगे, वे पुणे में हो रही खेलो इंडिया प्रतियोगिता में भाग लेकर तय मापदंडों को पूरा करते हुए पांच लाख सालाना वजीफे के हकदार हो सकते हैं। धर्मशाला खेल छात्रावास की सीमा पिछले वर्ष यह वजीफा जीत चुकी है। इस राज्य एथलेटिक प्रतियोगिता में हमीरपुर की शिवाली ने 1500 मीटर की दौड़ में खेल छात्रावासों व अन्य कई एथलेटिक प्रशिक्षकों की धाविकाओं को पीछे छोड़ते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा कर राष्ट्रीय स्कूली एथलेटिक प्रतियोगिता के लिए अपना टिकट पक्का कर लिया है।

इस धाविका को प्रशिक्षण रजनीश शर्मा देते हैं, जो शिक्षा विभाग में टीजीटी नॉन मेडिकल के पद पर कार्यरत हैं। अपने महाविद्यालय समय में यह बहुत अच्छे धावक रहे हैं। कई बार हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय व हिमाचल राज्य का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय स्तर पर किया है। उनकी नौकरी भी खेल आरक्षण के अंतर्गत ही लगी है। 3000 मीटर की दौड़ में मंडी की तमन्ना ने भी खेल छात्रावासों की लड़कियों को पछाड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता है। राज्य खेल विभाग के प्रशिक्षक गोपाल ठाकुर इस धाविका के प्रशिक्षक हैं। इसी प्रशिक्षक के शिष्य प्रवीण ने 5000 मीटर व 1500 मीटर दौड़ों में मंडी के लिए स्वर्ण पदक जीते हैं। पिछले एक दशक से गोपाल ठाकुर मंडी के जोगिंद्रनगर में काफी अच्छा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए हुए हैं। मंडी जिला में उमेश सहित कई शारीरिक शिक्षक अच्छा कार्य कर रहे हैं। इस जिला के संतोष डीपीई ने भी कई वर्षों तक अच्छा प्रशिक्षण कार्य किया है। राज्य खेल छात्रावास ऊना के धावक तरुण प्रकाश ने 800 मीटर तथा अंकित पठानिया ने 400 मीटर में नए रिकार्ड कर प्रशिक्षक भागीरथ को एक और तोहफा दिया है। दो सप्ताह पूर्व हुई राष्ट्रीय कनिष्ठ एथलेटिक्स प्रतियोगिता में उसके शिष्य अंकेश चौधरी ने 800 मीटर में स्वर्ण पदक प्रदेश के लिए जीतकर इतिहास रचा है। धर्मशाला खेल छात्रावास की धाविका सोनिया ने 100 मीटर दौड़ में नया कीर्तिमान बनाकर तीव्रतम धाविका का खिताब अपने नाम कर लिया है। 200 मीटर की दौड़ में भी यह धाविका स्वर्ण पदक जीत कर राज्य की सर्वश्रेष्ठ धाविका बनी है। 100 मीटर दौड़ में हमीरपुर की दिव्या, जो अभी नौवीं कक्षा की छात्रा है, रजत पदक विजेता बनी है। भविष्य में इस धाविका से काफी उम्मीद है। इसके पिता प्रो. पवन वर्मा इसे प्रशिक्षण दे रहे हैं। सरकारी महाविद्यालय का यह शारीरिक शिक्षक और भी कई उभरते धावक-धाविकाओं को प्रशिक्षण दे रहा है। बालक वर्ग में कांगड़ा जिला के अभिषेक ने 100 मीटर व 200 मीटर की दौड़ों में स्वर्ण पदक जीतकर सर्वश्रेष्ठ धावक व तीव्रतम धावक का खिताब अपने नाम कर लिया है। हमीरपुर के कोस्टव ने 100 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीता है। यह नौवीं कक्षा का धावक शारीरिक शिक्षक पीयूष शर्मा की देखरेख में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे इस धावक से भविष्य में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते जा सकते हैं। इस प्रतियोगिता में बालक वर्ग की आलओवर ट्रॉफी मंडी जिला ने जीती है तथा उपविजेता ट्रॉफी पर कांगड़ा जिला ने अपना नाम लिखा लिया है।

बालिकाओं में विजेता ट्रॉफी हमीरपुर ने तथा उपविजेता ट्रॉफी कांगड़ा ने जीती है। इस प्रतियोगिता में खाने व ठहरने का अच्छा प्रबंध किया हुआ था। प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए उपनिदेशक उच्चतर शिक्षा सोमदत्त सांख्यान व एडीपीओ राजेंदर शर्मा की टीम को सब सराहते देखे गए। राज्य निदेशालय की एक गलती सबको चुभती रहती है। इस प्रतियोगिता में केवल अंडर-19 वर्ष आयु वर्ग के लिए ही प्रतियोगिता होती है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर अंडर-17 वर्ष आयु वर्ग के लिए भी प्रतियोगिता होती है। खेलो इंडिया के लिए भी अंडर-17 वर्ष आयु वर्ग के ही खिलाड़ी लिए जाते हैं। 15 वर्ष के किशोर खिलाड़ी को 18 वर्ष के युवा खिलाड़ी के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है, जो अन्यायपूर्ण है। इस वर्ष तो धन भी 20 लाख से 40 लाख कर दिया है, इसलिए अगले सत्र से अंडर-17 वर्ष के लिए टीम भेजती बार खेलो इंडिया नियमों का भी ख्याल रखें। शिक्षा विभाग में कई एथलेटिक्स प्रशिक्षक डीपीई के पद पर कार्यरत हैं, उनके किसी भी ट्रेनी ने अच्छा पदक विजेता प्रदर्शन नहीं किया है। अच्छा होगा वे भी अगले वर्ष अपने प्रशिक्षण की योग्यता दिखाकर हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर पदक दिलाएं।

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