अब तो सम्मानित हों पदक विजेता

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक

ओलंपिक के रजत पदक विजेता विजय कुमार को नौकरी के लिए दो वर्ष इंतजार करना पड़ता है। एशियाई खेलों में एक स्वर्ण व एक रजत पदक विजेता कविता ठाकुर के पास अभी तक नौकरी क्यों नहीं है, क्या इस बात का उत्तर कोई देगा? एशियाई खेलों को खत्म हुए आज छह माह हो चुके हैं, परंतु नकद इनाम कब मिलेगा…

खेलों में उत्कृष्ट परिणाम देकर जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी देश के खिलाड़ी पदक जीतते हैं, तो विश्व उस देश का झंडा  ऊपर उठता देखता है। पिछले वर्ष राष्ट्रमंडल व एशियाई खेलों में कई हिमाचली संतनों ने देश के लिए पदक जीते हैं। भारत सरकार का खेल मंत्रालय पदक विजेताओं व उनके प्रशिक्षकों को पदक जीतने पर नकद इनाम देता है। इसी तरह हर राज्य सरकार भी अपने मूल निवासियों को अपने नियमों के अंतर्गत नकद इनाम देती है। केंद्र सरकार ने खिलाडि़यों को खेलें खत्म होने के बाद नकद इनाम दे दिया है, मगर हिमाचल प्रदेश सरकार अभी तक अपने पदक विजेताओं को नकद इनाम देने में नाकाम रही है। यह अलग बात है कि पिछले एक वर्ष में कई बार इनाम देने की बात कहकर युवा सेवाएं एवं खेल निदेशालय फिर अगली तारीख देकर अपना दामन छुड़ा लेता रहा है। पिछले छह वर्षों से किसी भी खिलाड़ी को परशुराम अवार्ड नहीं मिला है। प्रशिक्षकों को राज्य स्तर पर देश के अन्य राज्य अवार्ड देते हैं। उत्तर प्रदेश का प्रशिक्षक जो अपने ट्रेनी को राष्ट्र व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट कराने के काबिल बनाकर प्रदेश व देश को पदक दिलाता है, उसे गुरु वशिष्ठ अवार्ड मिलता है। हिमाचल प्रदेश में भी कई दशकों से प्रशिक्षकों को अवार्ड देने की बात हो रही है, मगर आज तक अवार्ड नहीं मिल पाया है। 2012 में जरूर कुछ प्रशिक्षकों को परशुराम अवार्ड के बराबर पचास हजार रुपए की धनराशि का नकद इनाम दिया गया था, मगर उन्हें कोई भी प्रशंसा पत्र नहीं दिया था। क्या हिमाचल प्रदेश खेल परिषद राज्य में प्रशिक्षकों को अवार्ड देने जा रही है? हिमाचल के कई कनिष्ठ खिलाड़ी राष्ट्र स्तर पर पदक विजेता हैं, कई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर चुके हैं, मगर उन्हें भी कई वर्षों से तयशुदा इनाम नहीं मिल पाया है।

यही कारण है कि अन्य राज्यों के प्रलोभन में बाहर अच्छी नौकरी व खेल सुविधा की चाह में कई खिलाड़ी हिमाचल से पलायन कर चुके हैं। खेलो इंडिया में पिछले वर्ष स्वर्ण पदक विजेता व एशियाई एथलेटिक्स में यूथ 3000 मीटर की दौड़ में कांस्य पदक विजेता सीमा देवी को जब राज्य में सरकार ने कोई सम्मान नहीं दिया, तो वह अपनी भविष्य की पढ़ाई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतर्गत न करके पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला पहुंच गई। इस वर्ष खेलो इंडिया में प्रदेश के लिए स्वर्ण पदक दिलाने वाला अंकेश चौधरी ऊना खेल छात्रावास छोड़कर पिछले तीन वर्षों से पूना के आर्मी खेल संस्थान में प्रशिक्षण ले रहा है। लंबी दूरी में उभरता हुआ जोगिंद्रनगर का धावक सावन बरवाल भी सेना में भर्ती हो गया, जब ये खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल के लिए पदक जीत रहे होते हैं, तो इन्हें समय रहते प्रशंसा पत्र तथा तयशुदा नकद इनाम क्यों नहीं दिया जाता है। क्यों सीमा, अंकेश तथा सावन जैसे उभरते खिलाड़ी प्रदेश को छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं? 2015 केरल की राजधानी तिरुवंतपुरम में आयोजित राष्ट्रीय खेलों के स्वर्ण पदक विजेता अशीष चौधरी सहित अन्य पदक विजेताओं को उनका जायज हक नकद इनाम चार वर्ष तक क्यों नहीं मिल पाया है, इसका उत्तर क्या हिमाचल के खेल विभाग के पास है? कनिष्ठ तथा कनिष्ठ राष्ट्रीय खेलों में हिमाचल के खिलाडि़यों का पदक जीतना सपना होता है, मगर अपने दम पर कठिन परिश्रम कर कई दर्जन खिलाड़ी पिछले चार-पांच वर्षों में पदक विजेता हो चुके हैं, मगर इन पदक विजेता खिलाडि़यों को अभी तक नकद इनाम सरकार नहीं दे पाई है। हिमाचल में खेल सुविधा के साथ-साथ खेल संस्कृति का भी अभाव साफ देखा जा रहा है। जब हिमाचल की ही संतानें हिमाचल के बाहर प्रशिक्षण प्राप्त कर राष्ट्रमंडल खेलों का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी समरेश जंग, ओलंपिक में रजत पदक विजेता विजय कुमार, सीता गोसाईं व दीपक ठाकुर विश्व के श्रेष्ठ हाकी खिलाडि़यों की सूची में तथा विकास ठाकुर राष्ट्रमंडल खेलों में लगातार दो बार देश के लिए पदक विजेता बन सकते हैं, तो फिर हिमाचल में रहकर अति प्रतिभावान खिलाड़ी ही क्यों पिछड़ते हैं, इसका उत्तर कौन देगा? क्यों हिमाचल में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे खिलाडि़यों का मनोबल ही तोड़ दिया जाता है, उन्हें शाबाशी के स्थान पर इंतजार व प्रताड़ना मिलती है।

ओलंपिक के रजत पदक विजेता विजय कुमार को नौकरी के लिए दो वर्ष इंतजार करना पड़ता है। एशियाई खेलों में एक स्वर्ण व एक रजत पदक विजेता कविता ठाकुर के पास अभी तक नौकरी क्यों नहीं है, क्या इस बात का उत्तर कोई देगा? एशियाई खेलों को खत्म हुए आज छह माह हो चुके हैं, नकद इनाम कब मिलेगा? इस तरह के कई प्रश्न हैं, जिनका समय रहते उत्तर आवश्यक हो जाता है। हिमाचल प्रदेश खेल परिषद खिलाडि़यों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने पर नकद इनाम तथा अवार्ड देती है। इस खेल परिषद का अध्यक्ष मुख्यमंत्री तथा सचिव युवा सेवाएं एवं खेल विभाग का निदेशक होता है।

वरिष्ठ उपाध्यक्ष युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री होता है। खिलाड़ी प्रदेश व देश को गौरव दिलाते हैं। उनके साथ इस तरह की उपेक्षा ठीक नहीं है। अच्छा होगा इन पदक विजेता खिलाडि़यों को उनके द्वारा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीते गए पदकों का उचित नकद इनाम व अवार्ड सम्मान सहित अब जल्द ही दे देना चाहिए, ताकि इस बर्फ के पहाड़ी प्रदेश की भोली, मगर बहादुर संतानें भविष्य के लिए खेल के मैदान में कठिन परिश्रम करके प्रदेश व देश का नाम रोशन कर तिरंगे को विश्व स्तर पर सबसे ऊंचा उठाकर जन-गन-मन की धुन पूरे संसार को सुना सकें।

ई-मेल : bhupindersinghhmr@gmail.com