एशियाई मुक्केबाजी में आशीष को पदक

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक

आज आशीष एशियाई मुक्केबाजी प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में पहुंचकर पदक विजेता तो बन ही गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि इस स्टार मुक्केबाज को आउट ऑफ टर्न पदोन्नति देकर इसके हौसले को इतना बुलंद कर दे कि यह प्रतिभावान खिलाड़ी अगले वर्ष ओलंपिक क्वालिफाई के लिए अधिक से अधिक परिश्रम कर टोकियो में भारत का प्रतिनिधित्व करता नजर आए। इससे भविष्य के खिलाडि़यों को प्रेरणा भी मिलेगी…

हिमाचल प्रदेश में मुक्केबाजी का इतिहास कई दशक पुराना है। राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल पदक जीतता रहा है। राजेश भंडारी, जो दशकों से राज्य मुक्केबाजी संघ के कर्ता-धरता हैं, आजकल भारतीय मुक्केबाजी महासंघ की प्रशिक्षण कमेटी के अध्यक्ष हैं। सुरेंद्र सांदिल तथा अन्य हिमाचल प्रदेश मुक्केबाजी संघ के पदाधिकारियों ने हिमाचली मुक्केबाजों के लिए हमेशा ही अच्छा मंच उपलब्ध करवाया है। इस समय कई महिला तथा पुरुष मुक्केबाज राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। प्रशिक्षक अनुराग वर्मा महिला टीम के साथ प्रशिक्षण शिविर में कई वर्षों से प्रशिक्षण दे रहे हैं। हिमाचल प्रदेश की महिलाआें ने तो मुक्केबाजी में काफी आगे तक का सफर तय कर लिया है। पुरुष वर्ग में चंबा के बकलोह का वीएस थापा सेना में प्रशिक्षण प्राप्त कर तथा सेना की तरफ से खेलते हुए ओलंपिक तक का सफर कई दशक पहले कर चुका है। हिमाचल प्रदेश को राष्ट्रीय खेलों में पदक दिलाने के लिए सबसे पहले शिव चौधरी को श्रेय मिलता है। मगर आमंत्रण प्रतियोगिताओं से आगे निकल कर पहली बार पुरुष वर्ग में शिव चौधरी के चचेरे भाई अशीष चौधरी ने 17,18 मार्च, 2019 को एशियाई मुक्केबाजी प्रतियोगिता के लिए हुए ट्रायल में राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान पटियाला के मुक्केबाजी हाल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर बैकांक के लिए अपना टिकट पक्का कर लिया। पहले राउंड में वाई तथा दूसरे राउंड में चाइना के मुक्केबाज को हराकर क्वार्टर फाइनल में कजाकिस्तान के मुक्केबाज को पांच-शून्य के अंतर से हराकर भारत के लिए पदक पक्का कर सेमीफाइनल में जगह बना ली। बैंकॉक में अशीष सेमीफाइनल जीत गया है।

यह लेख प्रकाशित हो चुका होगा, उसके बाद फाइनल होगा। प्रदेश सहित देश के सभी खेल प्रेमी आपकी आगामी फाइट की जीत के लिए प्रार्थना करते हैं कि आप देश के लिए स्वर्ण पदक जीतें। अशीष चौधरी का जन्म सुंदरनगर के पास जरल गांव में पिता भगतराम डोगरा व माता दुर्गा देवी के घर 18 जुलाई, 1994 को हुआ। दादा टटिहरू राम चौधरी के इस परिवार ने हिमाचल खेल जगत में बड़ा नाम कमाया है। बड़े पोते शिव चौधरी ने कई बार राष्ट्रीय मुक्केबाजी प्रतियोगिता व राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक प्राप्त करते हुए अंतरराष्ट्रीय आमंत्रण मुक्केबाजी प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। खेल आरक्षण के दम पर राज्य पुलिस में उपनिरीक्षक भर्ती होकर आज एएसपी के पद पर पहुंच चुके हैं। दूसरा पोता, मनीष चौधरी जो प्रसिद्ध कबड्डी कोच दया राम चौधरी का पुत्र है, राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर खेल आरक्षण से हिमाचल पुलिस में उपनिरीक्षक भर्ती होकर आजकल निरीक्षक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहा है। तीसरा पोता संदीप चौधरी राष्ट्रीय मुक्केबाज होकर बीबीएमबी के अग्निशमन विभाग में कार्यरत है। अपने जमाने के मशहूर पहलवान राम सिंह चौधरी का बेटा जोनी चौधरी हिमाचल कुश्ती में एक बहुत बड़ा नाम है। राष्ट्रीय खेलों का स्वर्ण पदक विजेता यह पहलवान खेल आरक्षण से हिमाचल एक्साइज विभाग में एक्साइज आफिसर है। आजकल हमीरपुर के बड़सर में सेवारत यह स्टार पहलवान अपने प्रशिक्षण के साथ-साथ हिमाचल के उभरते पहलवानों को भी सवेरे-शाम प्रशिक्षण दे रहा है। चौधरी टटिहरू राम के बेटे भगत राम अपने समय के अच्छे पहलवान तथा कबड्डी खिलाड़ी रहे हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एमए पास अशीष चौधरी के पिता ने सरकारी नौकरी को अधिमान न देकर कहीं और ही अपना लक्ष्य बनाया। आज अपने बेटे को एशियाई पदक विजेता देखकर यह पिता सम्मान व संतोष महसूस कर रहा होगा। इसी परिवार की तीसरी पीढ़ी का बेटा चेतन चौधरी जो अभी 15 वर्ष का है मुक्केबाजी के प्रशिक्षण में जुट गया है। अशीष चौधरी ने अपना मुक्केबाजी का करियर प्रशिक्षक नरेश कुमार की देखरेख में महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय के खेल मैदान से शुरू किया है।

उसके बाद भिवानी में और फिर अब राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान पटियाला के मुक्केबाजी हाल में प्रशिक्षण कार्यक्रम लगातार चल रहा है। हिमाचल सरकार ने 2017 में अशीष चौधरी को खेल आरक्षण के अंतर्गत मंडी जिला की धर्मपुर तहसील का कल्याण अधिकारी नियुक्त किया है। आज अशीष एशियाई मुक्केबाजी प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में पहुंचकर पदक विजेता तो बन ही गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि इस स्टार मुक्केबाज को आउट ऑफ टर्न पदोन्नति देकर इसके हौसले को इतना बुलंद कर दे कि यह प्रतिभावान खिलाड़ी अगले वर्ष ओलंपिक क्वालिफाई के लिए अधिक से अधिक परिश्रम कर टोकियो में भारत का प्रतिनिधित्व करता नजर आए। इससे भविष्य के खिलाडि़यों को प्रेरणा भी मिलेगी। हिमाचल में आज लोग अपने बच्चों का भविष्य खेल क्षेत्र में तलाशने लग गए हैं।

अच्छा होगा अधिक से अधिक अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी खुराक देकर पालें और उन्हें खेल मैदान की तरफ भी मोड़ें। आज जहां खेल हमें फिट होना सिखाते हैं वहीं पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने पर सम्मानजनक नौकरी के साथ इनाम व मान-सम्मान भी मिलता है। बर्फ का यह प्रदेश अपने सपूत के पदक विजेता प्रदर्शन पर उसे बधाई देता है तथा आगामी प्रतियोगिताओं के लिए शुभकामनाएं। अशीष दृढ़ निश्चय से आगे बढ़ो, सफलता आपके लिए बाहें फैलाए खड़ी है।

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