अयोध्या से कश्मीर तक

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

वरिष्ठ स्तंभकार

अब उच्चतम न्यायालय ने भी कह दिया है कि मध्यस्थता करवाए जाने का प्रयोग विफल हो गया है। इसलिए छह अगस्त से राम मंदिर मामले की सुनवाई अब रोज हुआ करेगी। खुदा का शुक्र है कि कपिल सिब्बल ने अब फिर नहीं कहा कि यह मामला एक बार फिर बाबर के वारिसों के हवाले कर दिया। राजनीतिक जरूरत के हिसाब से अब इसकी जरूरत कांग्रेस को शायद नहीं रही है। आशा करनी चाहिए राम मंदिर निर्माण का मामला अब जल्दी सुलझ जाएगा और सोनिया गांधी की पार्टी इसका विरोध नहीं करेगी। उधर अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए परिस्थितियां अनुकूल होने लगी हैं, उधर कश्मीर घाटी में आतंकवादी शायद एक बार अंतिम  लड़ाई लड़ लेना चाहते हैं…

देश में काफी लंबे अरसे से मांग आ रही थी कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के विवाद को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाना चाहिए, लेकिन कुछ राजनीतिक दलों की इच्छा है कि यह मामला लंबे समय तक लटकता रहे, ताकि अधूरे मंदिर के आधार पर उसका राजनीतिक लाभ उठाया जा सके। यह आशंका तब पक्की हो गई, जब सोनिया गांधी, राहुल गांधी की पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय में खुल कर कहना शुरू कर दिया कि न्यायालय इस मामले को लोकसभा चुनावों के बाद सुने, जल्दी करने की कोई जरूरत नहीं है। ध्यान रहे उस समय लोकसभा के चुनाव नहीं हुए थे। सिब्बल की इस रणनीति से सभी को हैरानी हुई थी कि आखिर सोनिया कांग्रेस राम मंदिर के मामले को जल्दी से जल्दी क्यों नहीं निपटने देती, इसको लटकाए रखने में उसका क्या स्वार्थ है।

तब आशा थी कि आखिर उच्चतम न्यायालय तो राम मंदिर मामले की गंभीरता को समझता ही है, वह मामले को लटकने नहीं देगा, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने भी मामले की सुनवाई रोक कर पूरा मामला ही मध्यस्थों के हवाले कर दिया। यह स्पष्ट ही था कि मामला मध्यस्थ सुलझा नहीं सकेंगे, क्योंकि एक पक्षकार चाहता ही नहीं कि अयोध्या में राम मंदिर बने और हुआ भी यही। न्यायालय मध्यस्थों की समय-सीमा बढ़ाता गया और मामला उतना ही ज्यादा उलझता गया, तब सभी को एहसास हुआ कि कपिल सिब्बल की इच्छा जाने-अनजाने राम मंदिर को लेकर मध्यस्थता वाले इस नए सूत्र ने पूरी कर दी, लेकिन चुनावों के बाद सोनिया कांग्रेस की रुचि राम मंदिर को लटकाए रखने में शायद नहीं रही। जिनको वे बताना चाहते थे कि चुनाव में हमारा साथ दीजिए, क्योंकि हमने राम मंदिर के प्रयासों में अड़ंगा लगा रखा था, उन्होंने भी कांग्रेस का साथ देने की बजाय दूसरों के संग जफ्फी डाल दी थी। अब उच्चतम न्यायालय ने भी कह दिया है कि मध्यस्थता करवाए जाने का प्रयोग विफल हो गया है। इसलिए छह अगस्त से राम मंदिर मामले की सुनवाई अब रोज हुआ करेगी। खुदा का शुक्र है कि कपिल सिब्बल ने अब फिर नहीं कहा कि यह मामला एक बार फिर बाबर के वारिसों के हवाले कर दिया। राजनीतिक जरूरत के हिसाब से अब इसकी जरूरत कांग्रेस को शायद नहीं रही है। आशा करनी चाहिए राम मंदिर निर्माण का मामला अब जल्दी सुलझ जाएगा और सोनिया गांधी की पार्टी इसका विरोध नहीं करेगी। उधर अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए परिस्थितियां अनुकूल होने लगी हैं, उधर कश्मीर घाटी में आतंकवादी शायद एक बार अंतिम लड़ाई लड़ लेना चाहते हैं। उनके  निशाने  पर अन्य स्थान भी हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल तो उन्होंने कश्मीर घाटी में चल रही अमरनाथ यात्रा को अपने निशाने पर लिया है।

अमरनाथ यात्रा के रास्ते में सुरक्षा बलों को स्निफर राइफल और कलेरोल माइन बरामद हुई है। राइफल पाकिस्तान की है। इन हथियारों से अमरनाथ यात्रियों का नरसंहार किया जा सकता था। पाकिस्तान किसी भी तरह कश्मीर घाटी  में शांति होने देना नहीं चाहता। पिछले कुछ समय से सुरक्षा बलों ने घाटी में किसी सीमा तक शांति स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है। अनेक आतंकवादी या तो पकड़े गए या फिर मारे गए। नई स्थिति का सामना करने के लिए और आतंकवादियों के किसी भी हमले का सामना करने के लिए सरकार ने तुरंत अमरनाथ यात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है कि वे जल्दी ही अपनी यात्रा समाप्त करके अपने घरों को चले जाएं। घाटी में आने वाले पर्यटकों के लिए भी इसी प्रकार की कोई एडवाइजरी जारी की है। जाहिर है सरकार कश्मीर घाटी में किसी भी प्रकार का खतरा मोल नहीं लेना चाहती।

कश्मीर घाटी में आतंकवादियों का समर्थन करने वाले कश्मीरी नहीं, बल्कि मध्य एशिया के तुर्क/ मुगल और अरब के सैयद और मस्जिदों के वायज या मीरवाइज हैं, जो मजहब के नाम पर कश्मीरियों को गुमराह कर रहे हैं। ये सैयद मौलवी कश्मीर में सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। अब तक की सरकारों की कश्मीर को लेकर नीति स्वयं अनिर्णय की शिकार थी, लेकिन तारीख में पहली बार सरकार आतंकवादियों को समाप्त करने की अपनी स्पष्ट नीति पर चल रही है। इसी नीति के अंतर्गत अमरनाथ यात्रियों या पर्यटकों को एडवाइजरी जारी की गई है, ताकि आतंकवादी लड़ाई के  समय किसी यात्री या पर्यटक को ढाल न बना सकें।

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