एनआईटी हमीरपुर के छात्र को 1.2 करोड़ का पैकेज

हमीरपुर  –हर साल देश को सैकड़ों इंजीनियर देने वाले राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर के एक छात्र ने कमाल कर दिया है। राष्ट्रीय स्तर के इस संस्थान से पासआउट बीटेक के एक छात्र को अमरीका की एक कंपनी में 1.2 करोड़ के सालाना पैकेज पर नौकरी मिली है। 22 वर्षीय यह छात्र वहां प्रतिमाह 10 लाख रुपए सैलरी पर तैनात हुआ है। हालांकि छात्र के अनुरोध पर संस्थान की ओर से उसकी पहचान गोपनीय रखी गई है, लेकिन एनआईटी हमीरपुर के छात्र का इतने बड़े पैकेज पर जाना संस्थान के लिए गर्व की बात है। बता दें कि इससे पहले भी हर साल एनआईटी हमीरपुर से निकला कोई न कोई छात्र अंतररराष्ट्रीय स्तर पर खुद को प्रतिष्ठित किए हुए है। वर्ष 1986 में आरईसी (रीजनल इंजीनियरिंग कालेज) से शुरू हुए इस संस्थान को वर्ष 2004-05 में एनआईटी का दर्जा मिला था। यह कालेज देश के टॉप रैंकड कालेजों में से एक है। इस बार एनआईआरएफ रैंकिंग (नेशनल इंस्टिच्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) में एनआईटी हमीरपुर 64वें स्थान से 60वें स्थान पर पहुंचा है, जबकि आर्किटेक्चर कालेजों की रैकिंग में इसे एनआईआरएफ में 9वां स्थान हासिल हुआ है। एनआईटी हमीरपुर की बात करें तो देशभर के विभिन्न राज्यों के छात्र यहां इंजीनियरिंग के अलावा मैनेजमेंट और आर्किटेक्चर में यूजी (अंडरग्रेजुएट), पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) और पीएचडी (डाक्टरेट)  करते हैं। इस सेशन से यूजी और पीजी में दो नए प्रोग्राम शुरू किए गए हैं। जिनमें 40-40 सीटें हैं, जिसमें मैथेमेटिक्स और फिजिक्स शामिल हैं। पीएचडी एडमिशन पर एनआईटी लगातार काम कर रहा है। वर्ष 2019-20 के लिए यहां पीएचडी की 82 रजिस्ट्रेशन हुईं। संस्थान की ओर से तीन एमओयू साइन किए गए हैं। इसके अलावा उन्नत भारत अभियान के तहत एनआईटी हमीरपुर नेआसपास के पांच गांव गोद लिए हैं, जहां डिवेल्पमेंट के कार्य करवाए जाते हैं, जिनके निरीक्षण के लिए बाकायदा टीमें बनाई गई हैं। यहीं नहीं एनआईटी हमीरपुर के अंडर जो 22 संस्थान हैं, उनके द्वारा गोद लिए गांवों की सुपरविजन भी एनआईटी हमीरपुर की देखरेख में होती है। एनआईटी हमीरपुर के डायरेक्टर प्रो. विनोद यादव ने बताया कि जिस छात्र की 1.2 करोड़ के पैकेज पर सिलेक्शन हुई है, उसकी पहचान नहीं बता सकते क्योंकि छात्र ने हमसे इसका प्रोमिस लिया है। बाकी एनआईटी को आगे ले जाने और इसकी रैकिंग में और सुधार करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जहां-जहां कमियां हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।