वरिष्ठ स्कूल एथलेटिक्स-2019

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक

जब किशोर अवस्था से युवा अवस्था की ओर आप अग्रसर हो रहे होते हैं तो इस समय हमारी शारीरिक क्षमता में काफी अंतर होता है। यह अंतर अगर छह महीने से लेकर एक वर्ष तक का हो तो भी यह खेल प्रदर्शन को काफी हद तक ऊपर-नीचे कर देता है। अच्छा होगा हिमाचल स्कूली क्रीड़ा संगठन अंडर 17 वर्ष आयु वर्ग के लिए इसी प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व का प्रबंध अगले वर्ष से करे, ताकि हम स्कूली स्तर पर होने वाले इस प्रतिभा खोज कार्यक्रम के साथ न्याय कर सकें। इस विषय पर जरूर चर्चा कर सार्थक हल निकलना चाहिए। अगले वर्ष अंडर 17 वर्ष आयु वर्ग के लिए प्रतियोगिता होनी चाहिए जैसे हर राज्य में होती है। राज्य में इस समय कई प्रशिक्षक तथा शारीरिक शिक्षक एथलेटिक्स में प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं…

पिछले सप्ताह हमीरपुर के सिंथैटिक ट्रैक पर हिमाचल प्रदेश स्कूली अंडर 19 वर्ष आयु वर्ग के बालकों व बालिकाओं की राज्य स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता आयोजित हुई। इस प्रतियोगिता में राज्य के 12 जिलों तथा भारतीय खेल प्राधिकरण खेल छात्रावास धर्मशाला व राज्य युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के खेल छात्रावास बिलासपुर के धावकों व धाविकाओं ने में शिरकत की। इस प्रतियोगिता में इस वर्ष प्रदेश के सबसे छोटे जिला हमीरपुर ने बालिका वर्ग में ऑलओवर विजेता तथा बालक वर्ग में उपविजेता ट्रॉफियां जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर कर लिया। मंडी जिला बालक वर्ग की ऑलओवर विजेता ट्रॉफी पर एक बार फिर कब्जा करने में कामयाब रहा। इस प्रतियोगिता में 15 वर्ष व 18 वर्ष के बालक-बालिकाओं को एक साथ प्रतिस्पर्धा करते देखा गया, जो खेल नियमों के बिलकुल खिलाफ है। जब किशोर अवस्था से युवा अवस्था की ओर आप अग्रसर हो रहे होते हैं तो इस समय हमारी शारीरिक क्षमता में काफी अंतर होता है। यह अंतर अगर छह महीने से लेकर एक वर्ष तक का हो तो भी यह खेल प्रदर्शन को काफी हद तक ऊपर-नीचे कर देता है। अच्छा होगा हिमाचल स्कूली क्रीड़ा संगठन अंडर 17 वर्ष आयु वर्ग के लिए इसी प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व का प्रबंध अगले वर्ष से करें, ताकि हम स्कूली स्तर पर होने वाले इस प्रतिभा खोज कार्यक्रम के साथ न्याय कर सकें। इस विषय पर जरूर चर्चा कर सार्थक हल निकलना चाहिए। अगले वर्ष अंडर 17 वर्ष आयु वर्ग के लिए प्रतियोगिता होनी चाहिए जैसे हर राज्य में होती है। राज्य में इस समय कई प्रशिक्षक तथा शारीरिक शिक्षक एथलेटिक्स में प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं। इन सबको चाहिए कि वे इस स्तर पर प्रतिभाओं को वैज्ञानिक ढंग से तैयार करें, ताकि वे बिना टूटे व थके भविष्य के लंबे सफर में लगन व ललक के साथ चलकर भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत सकें। खेल प्रशिक्षण लगातार कदम दर कदम एक दशक से भी अधिक वर्षों तक चलने वाली प्रक्रिया है। इसलिए प्रशिक्षक समय बरते तथा प्रतिदिन सवेरे शाम तक एक घंटा खेल विज्ञान तथा प्रशिक्षण के आधारभूत नियमों को समझने के लिए जरूर लगाएं। इस प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ धाविका को लेकर विवाद भी हुआ। इस बार सर्वश्रेष्ठ धावक-धाविका को चुनने के लिए सबसे अधिक पदक विजेताओं को न लेकर टेबल के अनुसार अधिक अंक प्राप्त करने वालों को सर्वश्रेष्ठ बनाने का फार्मूला अपनाया गया, मगर जल्दबाजी में असली विजेता को नजरअंदाज कर किसी और को ही लाभ दे दिया गया, मगर विरोध होने पर फिर गलती को सुधारा भी गया, तब तक काफी देर हो चुकी थी। भविष्य में इस तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। खिलाड़ी लगातार कई वर्षों तक कठिन परिश्रम कर शारीरिक क्षमता के इस स्तर पर पहुंच कर उत्कृष्ट प्रदर्शन करता है, उसके प्रयासों को इस तरह कुचलना नहीं चाहिए। इस प्रतियोगिता में सबसे अधिक पदक हमीरपुर की दिव्य ने 100 मीटर में व 200 मीटर में स्वर्ण तथा लंबी कूद में रजत पदक जीते हैं। धर्मशाला खेल छात्रावास की 400 मीटर की धाविका खुशी को अंकों के आधार पर सर्वश्रेष्ठ धाविका का ताज दिया गया। गैर खेल छात्रावास में हमीरपुर की शिवाली को सर्वश्रेष्ठ धाविका बनाया गया। इसने 1500 मीटर व 3000 मीटर में स्वर्ण पदक जीते हैं। भविष्य में नियम एक समान रहने चाहिए। बालक वर्ग में हमीरपुर के धावक कौस्तव ने 100 मीटर व 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीते तथा अंकों के आधार पर सर्वश्रेष्ठ धावक बना। दिव्य तथा कौस्तव अभी 16 वर्ष से भी कम उम्र के हैं। इनके प्रशिक्षकों को चाहिए कि वे खेल विज्ञान के तरीकों से ही उनके प्रशिक्षण को आगे बढ़ाएं, ताकि उनको उच्चतम स्तर तक निखारा जा सके। इस प्रतियोगिता में मंडी जिला के धावक रोहित ने भी 400 मीटर की दौड़ को 51 सेकंड से नीचे दौड़ कर सबको प्रभावित किया है। इस प्रतियोगिता में लगभग 700 से अधिक बालक तथा बालिकाओं ने भाग लिया, उनके खाने-पीने व ठहरने का उचित प्रबंध किया गया था।   जिला के उपनिदेशक हायर एजुकेशन व एडीपीओ राजेंद्र शर्मा की टीम ने इस प्रतियोगिता को काफी ठीक ढंग से संपन्न करवाया। इस प्रतियोगिता से अंडर 17 वर्ष व अंडर 19 वर्ष आयु वर्ग के लिए टीम चुन ली गई है। आगामी स्कूली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक विजेता प्रदर्शन के लिए सभी टीम सदस्यों व उनके प्रशिक्षकों को शुभकामनाएं। देखते हैं कौन-कौन धावक या धाविका हिमाचल के लिए राष्ट्रीय पदक जीतकर गौरव दिलाते हैं और हिमाचल के खेल इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाते हैं।

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हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।                                               

-संपादक