नागरिकता को लेकर मुगलों की एंट्री

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

वरिष्ठ स्तंभकार

सोनिया कांग्रेस और कम्युनिस्ट इस बम विस्फोट की सामूहिक जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे या नहीं फिलहाल नहीं कहा जा सकता, लेकिन ओवैसी बंधुओं ने एक नई बहस छेड़ दी है। उनका कहना था कि हम मुसलमानों ने भारतीयों पर आठ सौ साल राज किया है। हम मुगलों ने तुम्हें दौड़ा-दौड़ा कर मारा है और आज भारतीयों की यह औकात कि वे हमसे वलदीयत के कागज पत्र मांगते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि भारत पर अरबों, तुर्कों और मंगोलों-मुगलों ने आठ सौ साल राज किया है, लेकिन उनके राज से भारतीय मुसलमानों का क्या लेना-देना है…

नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में एकत्रित सोनिया कांग्रेस, कम्युनिस्ट और मुस्लिम लीग के जमावड़े में हैदराबाद के ओवैसी बंधुओं ने एक प्रकार से बम विस्फोट कर दिया है। सोनिया कांग्रेस और कम्युनिस्ट इस बम विस्फोट की सामूहिक जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे या नहीं फिलहाल नहीं कहा जा सकता, लेकिन ओवैसी बंधुओं ने एक नई बहस छेड़ दी है। उनका कहना था कि हम मुसलमानों ने भारतीयों पर आठ सौ साल राज किया है। हम मुगलों ने तुम्हें दौड़ा-दौड़ा कर मारा है और आज भारतीयों की यह औकात कि वे हमसे वलदीयत के कागज पत मांगते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि भारत पर अरबों, तुर्कों और मंगोलों-मुगलों ने आठ सौ साल राज किया है, लेकिन उनके राज से भारतीय मुसलमानों का क्या लेना-देना है?

भारतीय मुसलमान न तो अरब हैं, न ही तुर्क और न ही मुगल मंगोल। वे तो भारतीय हैं। इन्हीं पर तो अरब के सैयदों, मध्य एशिया के मुगल मंगोलों और तुर्कों यानी सैमुतु ‘सैयदमुगल मंगोलतुर्क’ ने आठ सौ साल राज किया था। भारतीय मुसलमान शासित थे, शासक नहीं। अलबत्ता हिंदोस्तान के वे मुसलमान जिनके पूर्वज अरब और मध्य एशिया से भारत पर हमला करने के लिए आए थे और उन्होंने भारत के एक बड़े भू-भाग को जीत भी लिया था, यह दावा कर सकते हैं कि उनके पूर्वजों ने हिंदोस्तान पर राज किया था, लेकिन हिंदोस्तान में इस प्रकार के मुसलमानों की संख्या पांच प्रतिशत के आसपास है, यह गणना भी इसी प्रकार के एक अरब मुसलमानों ने की थी, वे मौलाना आजाद थे और नेहरू ने उन्हें अपनी सरकार में शिक्षा मंत्री बनाया था। मौलाना आजाद का कहना था कि भारत के 95 प्रतिशत मुसलमान, हिंदुओं की औलाद हैं। शेष पांच प्रतिशत बाहर से आए हैं। इनके पूर्वज या तो हमलावर थे या हमलावरों के साथ आए थे।  उन्होंने कहा था कि मैं भी उनमें से एक हूं, लेकिन ये पांच प्रतिशत यहां के लोगों के साथ पूरी तरह घुल-मिल गए हैं। ऐसा मौलाना मानते थे, लेकिन ओवैसी बंधुओं को सुन कर लगता है कि अभी वे यहां घुल-मिल नहीं सके। वे अभी भी यह मान कर चलते हैं कि उन्होंने भारतीयों पर आठ सौ साल राज किया था और अभी भी उनका यह अधिकार सुरक्षित है। ओवैसी जैसे लोग जिस हैदराबाद नवाब के यहां रजाकार रहे थे, उस नवाब के पूर्वज भी मध्य एशिया से आकर यहां राज कर रहे थे। नवाब ने हैदराबाद को केंद्रीय शासन से अलग रख कर एक नया देश बनाने की कोशिश की थी। इसमें उसकी सहायता उस के रजाकार ही कर रहे थे, लेकिन सरदार पटेल ने हिंदोस्तान से  मध्य एशिया के इस अंतिम स्तंभ को मिटा कर हैदराबाद को भारतीय संविधान के दायरे में ला दिया । आठ सौ साल के राज्य का अंत हो गया और पुनः उसकी स्थापना की सभी संभावनाएं भी समाप्त हो गईं। ओवैसी बंधुओं का दर्द कहीं न कहीं उसी से जुड़ा लगता है। उनकी पैतृक परंपरा का मुगलों से कोई संबंध है या नहीं, यह तो वे ही अच्छी तरह जानते होंगे, लेकिन इतना निश्चित है कि वे इसका खुलासा नहीं करेंगे। उनसे कहीं ईमानदार तो मौलाना अबुल कलाम आजाद थे जिन्होंने साहसपूर्वक यह स्वीकार कर लिया था कि उनका ताल्लुक अरबस्तान से है, लेकिन ओवैसी बंधु अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी भारतीय नागरिकता को लेकर न किसी को शक है और न ही उनसे इसे सिद्ध करने के लिए प्रमाण मांगे जा रहे हैं। मांगे भी नहीं जा सकते, क्योंकि अरब या मध्य एशिया से कई शताब्दी पहले आए हुए हमलावरों या उनके सहयोगियों की संतानों के पास आज अरब या मध्य एशिया का किताबी ज्ञान तो हो सकता है, लेकिन वहां से कोई रिश्ता होना संभव नहीं है, लेकिन दुर्भाग्य से ओवैसी जैसे लोग आज भी मनोवैज्ञानिक रूप से अपने आप को अपने पूर्वजों के देश से जोड़ते हैं। रही बात भारतीय मुसलमानों की, उनका भला इन अरबों-तुर्कों से क्या रिश्ता हो सकता है? लेकिन लगता है ओवैसी बंधु अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए भारतीय मुसलमानों को आगे करके मोदी सरकार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ना चाहते हैं। भारतीय मुसलमानों का यही दुर्भाग्य है। भारत में सैमुतु मूल के लोग भारतीय मुसलमानों का नेतृत्व संभाले हुए हैं। यह नेतृत्व लंबे समय तक बना रहे इसके लिए वे इन भारतीय मुसलमानों को समझा रहे हैं कि तुमने आठ सौ साल तक हिंदोस्तान पर राज किया है। तुम्हें नागरिकता सिद्ध करने के लिए कहा जा रहा है। जबकि न तो देश के मुसलमानों को नागरिकता सिद्ध करने के लिए कहा जा रहा है और न ही कोई उनकी भारतीय नागरिकता को प्रश्नित कर रहा है। ओवैसी बंधु, विदेशी मुगलों से अपने आप को जोड़ कर मोदी के खिलाफ वातावरण बनाना चाहते हैं, लेकिन उनके दुर्भाग्य से भारतीय मुसलमान, अरबों से अपना नाता कैसे जोड़ सकते हैं?

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