आशीष चौधरी का टिकट पक्का

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय के प्रशिक्षण केंद्र की नर्सरी से मुक्केबाजी प्रशिक्षक नरेश कुमार के प्रशिक्षण में अपनी ट्रेनिंग का श्री गणेश कर भिवानी व राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों से होते हुए संसार के सबसे बड़े खेल महाकुंभ तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा है। पिता स्वर्गीय भगत राम डोगरा व माता दुर्गा देवी के घर 18 जुलाई 1994 को सुंदरनगर शहर के साथ लगते जरल गांव में जन्मे आशीष की प्रारंभिक शिक्षा व कालेज की पढ़ाई सुंदरनगर में ही हुई। 2015 केरल में आयोजित हुए राष्ट्रीय खेलों में हिमाचल प्रदेश के लिए स्वर्ण पदक विजेता बनने के साथ ही आशीष चौधरी ने 2020 ओलंपिक तक पहुंचने की आस भी जगा दी थी…

हिमाचल प्रदेश की संतानों ने पहाड़ की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को पार पाते हुए  विभिन्न क्षेत्रों में विश्व स्तर तक सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है। खेल जगत में ओलंपिक खेलों का विशिष्ट स्थान है। ओलंपिक में प्रतिनिधित्व करने के लिए संसार के कुछ चुनिंदा टीमों या व्यक्तिगत  क्वालीफाई रैंक में आने के लिए बहुत सी प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठतम प्रदर्शन करना पड़ता है। इसलिए कहा जाता है ओलंपिक खेलों में भाग लेना ही बहुत गर्व की बात है। हिमाचली खिलाडि़यों ने ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व ही नहीं किया है अपितु संसार के इस उच्चतम खेल टूर्नामेंट में पदक भी जीते हैं। पदमश्री चरण जीत सिंह 1964 टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता टीम के कप्तान रहे हैं। हमीरपुर के शूटर विजय कुमार ने 2012 लंदन ओलंपिक में रजत पदक विजेता बन कर भारत का गौरव बढ़ाया। ऊना के मोहिंदर लाल, बिलासपुर के अनंत राम, लाहुल-स्पीति के संकलांग दोर्जे, ऊना के दीपक ठाकुर व चंबा के बीएस थापा कुछ एक नाम हैं जिन्होंने भारत का ओलंपिक में प्रतिनिधित्व किया है। जार्डन में संपन्न हुई ओलंपिक क्वालीफाई मुक्केबाजी प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश के आशीष चौधरी ने टोक्यो ओलंपिक का टिकट पक्का कर लिया है। सुंदरनगर के महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय के प्रशिक्षण केंद्र की नर्सरी से मुक्केबाजी प्रशिक्षक नरेश कुमार के प्रशिक्षण में अपनी ट्रेनिंग का श्री गणेश कर भिवानी व राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों से होते हुए संसार के सबसे बड़े खेल महाकुंभ तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा है। पिता स्वर्गीय भगत राम डोगरा व माता दुर्गा देवी के घर 18 जुलाई 1994 को सुंदर नगर शहर के साथ लगते जरल गांव में जन्मे आशीष की प्रारंभिक शिक्षा व कालेज की पढ़ाई सुंदरनगर में ही हुई। 2015 केरल में आयोजित हुए राष्ट्रीय खेलों में हिमाचल प्रदेश के लिए स्वर्ण पदक विजेता बनने के साथ ही आशीष चौधरी ने 2020 ओलंपिक तक पहुंचने की आस भी जगा दी थी।

पिछले वर्ष 2019 में संपन्न हुई एशियाई मुक्केबाजी प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर आशीष ओलंपिक क्वालीफाई के काफी नजदीक आ गया। 2015 से आशीष लगातार राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान पटियाला में चल रहे राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है। 2017 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने आशीष को खेल आरक्षण के अंतर्गत मंडी जिला की धर्मपुर तहसील का कल्याण अधिकारी नौकरी दी है। आशीष के पिता जी का लंबी बीमारी के बाद पिछले महीने ही निधन हुआ है। आशीष के पिता स्वयं भी अच्छे खिलाड़ी रहे हैं, साथ ही साथ वे बहुत अच्छे खेल प्रेमी भी थे। टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद जहां इस बात का श्रेय आशीष ने अपने प्रशिक्षकों, खेल प्रशासकों व अपनी मेहनत को दिया वहीं पर अपने पिता के योगदान को भी आगे रखा। आशीष ने 2020 ओलंपिक के सफर की सफलता अपने स्वर्गीय पिता को समर्पित की है। ओलंपिक बहुत बड़ा खेल आयोजन है, इस की तैयारी कई वर्षों तक चलती है तथा इस में बहुत धन खर्च होता है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में आने के बाद भी खिलाड़ी को अपनी जेब से लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इस प्रतिभाशाली मुक्केबाज को सम्मानजनक आर्थिक सहायता प्रदान करें व उसे हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के समकक्ष पद पर भी पदोन्नत करे। आशीष चौधरी को चाहिए कि वह अब ओलंपिक तक पूरी ईमानदारी से अपने कोचिंग स्टाफ के साथ अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करे ताकि वह टोक्यो में स्वर्ण पदक विजेता बनकर तिरंगे को सब से ऊपर लहरा कर जन-गण-मन की धुन पूरे विश्व को सुना सके। हिमाचल प्रदेश जगत अपने लाड़ले को ओलंपिक का टिकट पक्का करने पर बधाई तथा ओलंपिक में स्वर्णिम सफलता के लिए शुभकामनाएं देता है।

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हिमाचली लेखकों के लिए

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-संपादक