कोरोना मरीज के एंटीबॉडी से बनी दवा, महामारी से जूझ रही दुनिया के लिए अच्छी खबर, यूएस में इनसानों पर ट्रायल शुरू

वाशिंगटन – कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही दुनिया के लिए एक अच्छी खबर है। अमरीका की एली लिली कंपनी ने घोषणा की कि उसने कोविड-19 से ठीक हो चुके एक मरीज के खून के नमूने से दवा बनाई है। इस दवा अब इनसानों पर परीक्षण शुरू हो गया है। अमरीकी दवा कंपनी ने कहा कि कोरोना मरीज को दुनिया की पहली एंटीबॉडी से तैयार दवा का डोज दिया गया है। इस दवा को ‘एलवाय-सीओवी555’ नाम दिया गया है। इसे लिली और अब सेल्लेरा बायोलॉजी कंपनी ने मिलकर तैयार किया है। इससे पहले मार्च महीने में लिली कंपनी सेल्लेरा के  साथ एंटीबॉडी से कोरोना वायरस के खात्मे के लिए दवा तैयार करने का करार किया था। कंपनी ने अपने बयान में कहा कि पहले चरण के अध्ययन में दवा की सेफ्टी और उसे हास्पिटल में भर्ती मरीजों के सहन करने की क्षमता का पता लगाया जाएगा। कंपनी ने कहा कि अगर ट्रायल सफल रहा, तो जल्द ही बाजार में उतार दिया जाएगा। कंपनी ने कोरोना से ठीक हो चुके मरीज से ब्लड सेंपल लेने के मात्र तीन महीने के अंदर इस दवा को तैयार किया है। ‘एलवाय-सीओवी555’ पहली ऐसी दवा है, जिसे कोरोना वायरस के खात्मे के लिए डिजाइन किया गया है। इस दवा के जरिए कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन की संरचना को निष्क्रिय किया जा सकता है। ‘एलवाय-सीओवी555’ दवा से कोरोना वायरस शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाएगा और न ही नुकसान पहुंचा पाएगा। कंपनी ने बताया कि अमरीका में कोरोना वायरस से ठीक हुए पहले मरीज के खून के नमूने से एंटीबॉडी ली गई थी। मरीज को फेफड़ों से जुड़ी तकलीफ थी। उसी के आधार पर एंटीबॉडी से दवा को तैयार किया गया है। कंपनी को उम्मीद है कि इस दवा के जरिए कोरोना से बीमार लोगों का प्रभावी इलाज हो सकेगा। इस दौरान अध्ययन में पता चला है कि दवा से कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन और उसकी सतह पर बुरा असर पड़ता है।