रागिनी संगीत से जोड़ रही आध्यात्मिक सरोकार

पंजाब यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडलिस्ट, तबला-वोकल में पाई महारत

 धर्मशाला-हिमाचल की बेटी रागिनी संतोष भारतीय वादन संगीत के अध्यात्मिक सरोकार को वर्तमान परिस्थितियों के साथ जोड़ रही हैं और लोगों को संगीत के आध्यात्मिक पक्ष से मिलवाने के प्रयास कर रही हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी से सितार में गोल्ड मेडलिस्ट रही धर्मशाला की रागिनी संतोष तबले व वोकल में संगीत विसारद भी कर चुकी हैं। पंजाबी यूनिवर्सिटी में अध्ययन करते हुए संगीत विषय में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में भी पंजाब सहित राजस्थान में भी अपनी सेवाएं प्रदान कर चुकी हैं। वहीं अब हिमाचल प्रदेश में आर्मी स्कूल में छात्रों को संगीत की शिक्षा प्रदान कर रही हैं। साथ ही खुद समाज की वर्तमान स्थितियों को लेकर गीत लिख व कंपोज करके संगीत की आध्यात्मिक आंनद दिलाने के साथ ही आइना दिखाने का भी कार्य कर रही है। इसी कड़ी में उन्होंने कोरोना के मुश्किल दौर में लोक गायक निकेश बड़जात्या के साथ मिलकर नए गीत से कोरोना योद्धाओं को भी सलाम किया है। हमको बढ़ना है गीत से समाज को इस मुश्किल दौर से आगे बढ़ने के लिए भी पे्ररित किया है। 21 जून को विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय संगीत दिवस मनाया जाएगा। हिमाचल की वादियों, पहाड़ों, नदियों, झरनों और यहां के मंदिरों में बजने वाली घंटियों में भी संगीत सुनाई देता है। इसी कड़ी में पहाड़ की बेटी रागिनी संतोष जैसे कि इनके नाम में संगीत के राग की रागिनी बसती है, तो यह अपनी इस विद्या से सबको आंनदित और आध्यात्मिक आंनद भी प्रदान करती हैं। पीजी कालेज धर्मशाला में ग्रेजुएशन करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में एमए की, इस दौरान उन्हें सितार में वर्ष 2013 में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। वहीं संगीत विषय में ही भारतीय वादन संगीत के आध्यात्मिक सारोकार समकाल के विशेष संदर्भ विषय में पीएचडी भी कर रही हैं। इसके अलावा कालेज में एसोसिएशन प्रोफेसर पद में रहने के बाद अब हिमाचल में पहुंचकर बच्चों को गीत-संगीत की शिक्षा प्रदान कर रही हैं।