हिमालयन रेजिमेंट की महती आवश्यकता: प्रो. प्रेम कुमार धूमल, पूर्व मुख्यमंत्री

प्रो. प्रेम कुमार धूमल

पूर्व मुख्यमंत्री

हिमालय पर्वत पर लेह, लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के साथ लगती सीमा पर जब-जब चीन घुसपैठ करने की कोशिश करता है, तब-तब देश को आभास होता है कि इन क्षेत्रों में इतनी ऊंचाई पर बर्फ  में, ढलानों पर और नदियों पर खतरनाक भौगोलिक परिस्थितियों में ऐसे क्षेत्रों में युद्ध लड़ना कितना कठिन है। इसके लिए ऐसी रेजिमेंट की स्थापना अत्यंत आवश्यक लगती है जो ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले नौजवान लोगों पर आधारित हो जो ऐसी ही कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में पैदा हुए और रहते हैं। ऐसे जवानों पर आधारित सेना की रेजिमेंट इन कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में अधिक सहजता के साथ देश की सीमाओं की सुरक्षा कर सकती है। हिमाचल को केंद्र की मोदी सरकार से इस संबंध में आशा है कि वह शीघ्र ही कदम उठाकर उचित फैसला लेगी…

समय, परिस्थिति और आवश्यकता मनुष्य, समाज और देश को महत्त्वपूर्ण निर्णय करने की प्रेरणा और उत्साह देते हैं। व्यक्ति, समाज और सरकार यदि उचित समय पर उचित निर्णय लेते हैं तो उसके दूरगामी परिणाम सबके लिए लाभदायक और उपकारी रहते हैं। जब-जब पहाड़ों पर देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा अनुभव हुआ, तब-तब हिमाचल रेजिमेंट को स्थापित करने के लिए आवाज उठती रही है, किन्हीं कारणों से विभिन्न सरकारें इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर निर्णय नहीं ले पाईं। वर्तमान में जो परिस्थितियां भारत-चीन सीमा एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर पैदा हुई हैं, उन्हें देखते हुए फिर इस रेजिमेंट के महत्त्व का एहसास, हर व्यक्ति जो पूरे देश को सुरक्षित, अखंडित रखना चाहता है, वह इसकी आवश्यकता महसूस करता है। समय और परिस्थितियों की विडंबना देखिए, कहा जाता था और पढ़ाया भी जाता था कि जब तक उत्तर में हिमालय पर्वत और दक्षिण में हिंद महासागर है, तब तक उत्तर और दक्षिण की हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं। आज सबसे बड़ा खतरा देश की सीमाओं और सुरक्षा को उत्तर में हिमालय पर्वत पर चीन की तरफ  से है तो दक्षिण में भी हिंद महासागर की ओर से भी चीन से ही सबसे बड़ा खतरा नजर आ रहा है। हिमालय पर्वत पर लेह, लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के साथ लगती सीमा पर जब-जब चीन घुसपैठ करने की कोशिश करता है, तब-तब देश को आभास होता है कि इन क्षेत्रों में इतनी ऊंचाई पर बर्फ  में, ढलानों पर और नदियों पर खतरनाक भौगोलिक परिस्थितियों में ऐसे क्षेत्रों में युद्ध लड़ना कितना कठिन है। इसके लिए ऐसी रेजिमेंट की स्थापना अत्यंत आवश्यक लगती है जो ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले नौजवान लोगों पर आधारित हो जो ऐसी ही कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में पैदा हुए और रहते हैं। ऐसे जवानों पर आधारित सेना की रेजिमेंट इन कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में अधिक सहजता के साथ देश की सीमाओं की सुरक्षा कर सकती है। हमने अलग-अलग समय में इस मांग को उठाया है। हमने कहा कि कहीं मराठा रेजिमेंट, कहीं पंजाब रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, बिहार रेजिमेंट, महार रेजिमेंट, कुमायूं रेजिमेंट, गढ़वाल रेजिमेंट, डोगरा रेजिमेंट, मद्रास रेजिमेंट अर्थात विभिन्न राज्यों और वर्गों के नाम पर रेजिमेंट्स स्थापित की गई हैं। हिमाचल जो सैनिकों और अधिकारियों की नर्सरी माना जाता है, जहां के वीर हर युद्ध में हर आतंकवाद की घटना में देश की एकता और अखंडता के लिए शहीद होते हैं और देश का प्रथम परमवीर चक्र और अन्य वीरता पुरस्कार तथा कारगिल संघर्ष में चार में से दो परमवीर चक्र प्राप्त करते हैं और आपरेशन विजय में हमारे 52 जवान व अधिकारी शहीद होते हैं तो फिर हिमाचल के नाम पर रेजिमेंट क्यों नहीं? एक समय पर कहा गया कि प्रदेशों के नाम पर रेजिमेंट न बनाने का नीतिगत निर्णय सरकार ने लिया है। हमारा उत्तर है कि प्रदेश के नाम पर रेजिमेंट मत बनाओ, इसका नाम हिमालय पर्वत के नाम पर हिमालयन रेजिमेंट रख दो और इसमें जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक के सभी हिमालयी राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों के नौजवानों को भर्ती किया जाए तो एक ऐसी रेजिमेंट तैयार होगी जिसके जवानों को पहाड़ पर तैनाती से पहले महीना भर लेह आदि में ले जाकर नई जलवायु का अभ्यस्त बनाने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि वे ऐसे ही भौगोलिक परिस्थितियों और मौसम में रहने के अभ्यस्त होते हैं। एक और मांग बार-बार उठाई जाती रही है कि डोगरा रेजिमेंट का जो सेंटर रामगढ़ में रखा गया है, वह बहुत दूर है, इस कारण से पूर्व सैनिक और युद्ध विधवाएं (वीरांगनाएं) जो लाभ रेजिमेंट सेंटर से मिलता है, उसे लेने में भी असमर्थ रहते हैं। सेंटर दूर होने के कारण हिमालय की तरफ  सीमा पर पोस्टिंग के समय भी सैनिकों को बहुत दूर से जाना पड़ता है। मेरा सुझाव है कि इस सेंटर को रामगढ़ से बदल कर हिमाचल प्रदेश में उचित स्थान पर स्थापित करना ठीक रहेगा। मोदी सरकार श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए आवश्यक पग उठा रही है, चाहे युद्ध सामग्री, अस्त्र-शस्त्र, बुनियादी ढांचा, सड़कों, पुलों आदि का निर्माण रेलवे लाइनें, हेलिपैड और हवाई अड्डे आदि बनाने की बात हो, यह सरकार पूरी तरह गंभीर है। इसलिए हिमालय के साथ लगती सीमा की सुरक्षा में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हिमालयन रेजिमेंट की स्थापना के ऊपर भी गंभीरता से विचार करके इसकी स्थापना करके देश की उत्तरी सीमा की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेंगे। आओ, आत्मनिर्भर भारत के लिए इस कदम की भी प्रतीक्षा करें।