जल भंडारण टैंकों की सफाई जरूरी

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सुखदेव सिंह

लेखक नूरपुर से हैं

गंदा पानी पीने से सबसे अधिक बीमारियां फैलती हैं। यही वजह है कि आजकल बीमारियों से बचने के लिए लोग मिनरल वाटर पीने को ज्यादा तरजीह देते हैं। गरीब आदमी के लिए दो वक्त की रोटी तैयार करना भी आसान काम नहीं, तो फिर ऐसे में मिनरल वाटर पीना मुश्किल है। बरसात के दिनों में अक्सर प्राकृतिक जल स्रोतों में कच्चा पानी भर जाता है और जल शक्ति विभाग की ओर से कोई जागरूकता न बरते जाने का खामियाजा हर साल लोगों को भुगतना पड़ता है। कच्चा पानी पीने से अक्सर बरसात के समय लोगों को तेज बुखार, सिर दर्द और दस्त की समस्या रहती है। एक रिपोर्ट में यह भी खुलासा हो चुका है कि पानी में यूरेनियम की मात्रा ज्यादा होने की वजह से इनसान की किडनियां तक भी जवाब दे सकती हैं। ऐसे में जल शक्ति विभाग द्वारा जल भंडारण टैंकों की सफाई किए जाने का क्या शेड्यूल रहता है, सिवाय उसके कोई नहीं जानता है। इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कड़ा रुख अपनाते हुए प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। एनजीटी ने एसओपी बनाकर जल शक्ति विभाग के आलाधिकारियों को थमाकर हर महीने जल भंडारण टैंकों की सफाई किए जाने की हिदायत दी है। जमीन के अंदर पानी का स्तर दिनोंदिन कम होने के कारण भविष्य में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। पानी की एक-एक बूंद कीमती है, इसे व्यर्थ न गंवाएं। जल ही जीवन है, यह सब बातें कहने-सुनने और पढ़ने में ही अच्छी लगती हैं। सच बात तो यह है कि हम लोग पानी की कीमत की सही पहचान न करके उसे व्यर्थ बहा रहे हैं। जनता के अलावा विभाग की कार्यप्रणाली सही न रहने की वजह से अक्सर पानी की पाइपों में रिसाव होता रहता है जिसे ठीक करने की कोई जहमत नहीं उठाता है। ऐसे में जल संरक्षण के लिए चलाए गए अभियान का क्या औचित्य रह जाता है? घटती पेड़ों की तादाद और बढ़ते जा रहे अवैध खनन की वजह से जल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं। प्रकृति से जब भी खिलवाड़ करने की कोशिश की गई है, इसके विपरीत परिणाम इनसान को ही भुगतने पड़े हैं। अब समय आ गया है जब हमें जल संरक्षण के प्रति सचेत हो जाना चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि जल भंडारण टैंकों की सफाई नियमित रूप से हो, अन्यथा बीमारियां फैलने का खतरा हमेशा बना रहेगा।