सेना और जासूसी

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कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

पिछले सप्ताह देश-प्रदेश की कुछ मुख्य घटनाएं, जिनमें पर्यटन उद्योग को देखते हुए हिमाचल सरकार ने दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को खुली छूट दे दी थी, पर कोरोना के मामले बढ़ जाने की वजह से सरकार ने दूसरे राज्यों से आने वालों पर  दोबारा प्रतिबंध लगा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा कोरोना पर दिल्ली मॉडल की सराहना से दिल्ली सरकार फूली नहीं समा रही, रेगिस्तान के एक युवा नेता ने अपनी ही सरकार के खिलाफ  हल्ला बोल दिया है, तो सुशासन बाबू के उद्घाटन के एक महीने के अंदर करोड़ों का बना पुल गंधक नदी की लहरों संग बह गया और बिग बी को कोरोना हर चैनल में ब्रेकिंग न्यूज बना हुआ है। उधर  पूर्वी लद्दाख में चीन का डेपसांग से पीछे नहीं हटना तथा फिंगर फोर के बजाय वाई नाला को एलएसी मानना चिंता का विषय है, इस पर सेना या सरकार से आने वाली आफिशियल स्टेटमेंट प्रतीक्षित है। इसी दौरान पाकिस्तानी जेल में पिछले कुछ वर्षों से जासूसी के जुर्म में सजा काट रहे भारतीय नेवी के पूर्व सैनिक अधिकारी कुलभूषण जाधव को कांऊसलर एक्सैस दिया गया। पाकिस्तान का आरोप है कि कुलभूषण  भारतीय सेना द्वारा प्रायोजित जासूसी करता था और उसने इस जुर्म को कबूल भी लिया है और उसको इसकी सजा भी मुकर्रर कर दी गई है जिसकी रिव्यू पेटीशन 60 दिन के अंदर डाले जाने की अवधि अगले सप्ताह समाप्त हो रही है। इसी के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्देश पर पिछले कल भारतीय उच्चायुक्त कुलभूषण जाधव से मिले, पर उनका मानना है कि  कुलभूषण जाधव बड़े ही दबाव में दिखाई दिए और पाकिस्तान ने उनको एक ऐसे माहौल में मिलाया, जहां पर वह अपने दिल की बात या फिर रिव्यू पेटीशन के लिए कुछ भी लिख कर देने से गुरेज करते रहे। अगर अगले सप्ताह तक रिव्यू पेटीशन नहीं डाली गई तो इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत सर्वजीत की तरह एक और वीर सपूत को पाकिस्तान की जेल में मरने के लिए उसकी किस्मत पर छोड़ देगा। कुलभूषण जाधव भारत के लिए पाकिस्तान की जासूसी कर रहे थे या नहीं, यह विषय तार्किक है, पर इस बात में कोई दो राय नहीं कि हर देश की सेना में कुछ सैनिक अपने देश की सुरक्षा की खातिर अहम जानकारी हासिल करने के लिए दूसरे देश में सिर पर कफन बांध कर जासूसी के लिए जाते हैं और जब उनको इस तरह की जिम्मेदारी दी जाती है तो ऐसे सैनिक को यह मालूम होता है कि अगर वह अपने इस कार्य के दौरान विदेशी धरती पर पकड़ा जाता है तो उसे अपना देश कभी भी स्वीकार नहीं करेगा। इस तरह के कटु सत्य  का पता होने के बावजूद सैनिक देश की सुरक्षा के लिए जानकारी हासिल करने के लिए अपने घर, परिवार, हर चीज को दांव पर लगाकर निकल जाते हैं। अगर अपना कार्य पूरा कर वापस आ जाते हैं तो इसमें कोई दो राय नहीं कि उनको इज्जत, सम्मान सब देते हुए डोभाल भी बनाया जाता है और जो वहां पकड़ा जाता है, उसकी दशा सर्वजीत या कुलभूषण जाधव की तरह ही होती है। भारत को कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी हिरासत से छुड़ाने के लिए कूटनीतिक स्तर पर प्रयास जारी रखने चाहिए। इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय पहले ही भारत के पक्ष में निर्णय दे चुका है। इसके बावजूद जाधव की रिहाई न होना भारत के लिए चिंताजनक है।