युवा पीढ़ी भी समझे बेजुबान पशुओं की भाषा

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कर्म सिंह ठाकुर

लेखक सुंदरनगर से हैं

पिछले दिनों केरल में एक हथिनी तथा हिमाचल के बिलासपुर में एक गाय से हुई क्रूरता के बाद सुंदरनगर से संबंध रखने वाले 12 वर्षीय आर्यन की खबर विभिन्न तरह के टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में प्रकाशित होने से दिल को बड़ा सुकून मिला। यह 12 वर्षीय बालक लॉकडाउन के बीच में अपने स्थानीय क्षेत्र में आवारा बैलों, गायों, कुत्तों व बंदरो इत्यादि पशुओं के लिए भोजन की व्यवस्था में इतना लीन हो गया कि आवारा पशु उसके मित्र बन गए। आर्यन हर रोज सुबह उठकर घर में पड़े भोजन तथा आसपास के क्षेत्रों में उपलब्ध घास-फूस इत्यादि को इकट्ठा करके इन जंगली पशुओं के लिए भोजन की व्यवस्था करता है। इस बालक का पशुओं के साथ प्रेम इस कदर मेहरबान हुआ कि कुछ समय के बाद पशुओं ने आर्यन के घर आना ही शुरू कर दिया। आर्यन अपनी पॉकेट मनी बचाकर तथा खाली समय में इन बेजुबान पशुओं के लिए भोजन के जुगाड़ में जुट जाता है। इस बालक का पशुओं के साथ इस छोटी आयु में लगाव सच में काबिलेतारीफ  है। जहां एक तरफ  आज का बालक कमरे के अंदर बंद होकर महज मोबाइल फोन तथा टीवी चैनलों का गुलाम बन चुका है। माता-पिता तथा परिजनों के लिए भी यह गंभीर समस्या बनती जा रही है। हाल ही में ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर किए गए एक सर्वे में भी बड़ी हैरतअंगेज करने वाली घटना सामने आई है कि बालक अक्सर मोबाइल फोन पढ़ाई के बहाने माता-पिता से प्राप्त करते हैं तथा उस फोन पर 12 से 14 घंटे पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों में बिताते हैं। इससे उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन तथा अनेक शारीरिक बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं। ऐसे परिप्रेक्ष्य में यदि कोई बालक अपना घर छोड़कर इन आवारा पशुओं के लिए भोजन की व्यवस्था करने में जुट जाता है तो यह आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकता है। प्रदेश सरकार भी आवारा पशुओं की समस्या से जूझ रही है। किसानों की वर्ष भर की मेहनत इन आवारा पशुओं द्वारा पल भर में तबाह कर दी जाती है। इससे किसानों को हर वर्ष भारी नुकसान झेलना पड़ता है। आज का मानव इतना स्वार्थी हो गया है कि जब तक पशु उसके लिए लाभ का साधन है, तब तक वह उसे घास-फूस देना अपना कर्त्तव्य समझता है, लेकिन दूध न देने की स्थिति में वही पशु उसके लिए बोझ बन जाते हैं। अंततः पशु सड़कों पर पहुंच जाते हैं। सच यह है कि आत्मनिर्भरता के मार्ग को भी पशुपालन से कृषि व्यवस्था को समृद्ध करके प्राप्त किया जा सकता है।