स्वतंत्रता सेनानी लाल लालपत राय की जयंती पर प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महान स्वतंत्रता सेनानी लाल लालपत राय को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। श्री मोदी ने गुरुवार को एक ट्विट संदेश में कहा है कि महान स्वतंत्रता सेनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन। श्री सिंह ने भी अपने संदेश में कहाकि पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की जयंती के अवसर पर मैं उन्हें स्मरण एवं नमन करता हूं।

भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान उन्होंने देशवासियों के भीतर राष्ट्रप्रेम की भावना भरने और युवाओं को आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया। उनका योगदान देश की भावी पीढिय़ों को भी प्रेरणा देता रहेगा। वहीं, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की जयंती पर उन्हें भावपूर्ण नमन किया है।

श्री नायडू ने गुरुवार को यहां जारी एक संदेश में कहा कि लाला लाजपत राय ने क्रांतिकारियों की एक पूरी पीढ़ी को जागृत किया और लोगों को स्थानीय उत्पादों और सेवाओं के प्रति सचेत किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रखर स्वाधीनता सेनानी, राष्ट्रवादी, शिक्षाविद्, पंजाब केसरी लाला लाजपत राय जी की जन्म जयंती पर उनकी पुण्य स्मृति को सादर प्रणाम करता हूं।

श्री नायडू ने कहा कि उन्होंने अपने ओजस्वी भाषणों और लेखों से क्रांतिकारियों की एक पीढ़ी को स्वाधीनता के लिए जागृत किया। लाला लाजपत राय ने स्वदेशी अर्थव्यवस्था की स्थापना के लिए पंजाब नेशनल बैंक तथा स्वदेशी पूंजी से बीमा कंपनी की स्थापना में योगदान किया। स्वदेशी शिक्षा प्रसार के लिए डीएवी विद्यालयों की स्थापना में सहयोग किया।

साइमन कमीशन के विरुद्ध लाला जी के विरोध ने स्थानीय जनता को प्रेरित किया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के जौनपुर में आज देश की आजादी की लड़ाई के महान क्रांतिकारी एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति पंजाब केसरी लाला लाजपत राय का जन्मदिन मनाया गया। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिला में हुआ था। इनके पिता का नाम लाला राधा कृष्ण अग्रवाल था, ये पेशे से अध्यापक और उर्दू के लेखक थे।

लक्षमीबाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा कि लाला लाजपत राय ने वकालत की पढ़ाई पूरी कर हिसार व लाहौर में वकालत शुरू की। वे देश मे स्वावलम्बन से स्वराज लाना चाहते थे। देश में 1899 में आए अकाल में उन्होंने पीडि़तों की तन, मन और धन से सेवा की। उन्होने कहा कि लाला लाजपत राय ने अपना सर्वोच्च बलिदान उस समय दिया, जब साइमन कमीशन भारत आया था ।

30 अक्तूबर, 1928 को इंग्लैंड के प्रसिद्ध वकील सर जान साइमन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय आयोग लाहौर आया और उसके सभी सदस्य अंग्रेज थे। उस समय पूरे भारत मे साइमन कमीशन का विरोध हो रहा था। लालाजी ने साइमन कमीशन का विरोध करते हुए नारा दिया कि साइमन कमीशन वापस जाओ, तो इसके जबाब में अंग्रेजो ने लालाजी पर जमकर लाठी चार्ज किया, इसके जबाब में लालाजी ने कहा था कि मेरे शरीर पर लगी एक-एक लाठी अंग्रेजी साम्राज्य के लिए कफन साबित होगी।

सुश्री कौर ने कहा कि लालाजी ने उस समय अंग्रेजी साम्राज्य के ताबूत के कील के रूप में उधम सिंह और भगत सिंह को तैयार कर दिया था। देश की आजादी की लड़ाई लड़ते-लड़ते 17 नवंबर 1928 को लालाजी इस संसार को छोड़कर चले गए। लालाजी के देहांत के बाद उनके ऊपर कातिलाना हमला करने वाले अधिक समय तक जिंदा नहीं रह सके। देश के महान क्रांतिकारी राजगुरु ने 17 दिसंबर, 1928 को अंग्रेज पुलिस अफसर सांडर्स को मार डाला था।

इसी क्रम में आज जौनपुर जिला के सरावां गांव में स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी व लक्ष्मीबाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने महान स्वतंत्रता सेनानी एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति लाला लाजपत राय का 156 वाँ जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर कार्यकताओं ने शहीद स्मारक पर मोमबत्ती व अगरबत्ती जलाई और लालाजी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।