मुक्त व्यापार कितना सही

आसियान देशों के लिए विशेष तौर पर कुछ ऐसे क्षेत्रों में निवेश करने के लिए अच्छे मौके हैं जिनमें भारत ने काफी उन्नति की है। ये क्षेत्र हैं : डिजिटलीकरण, ई-कॉमर्स, सूचना प्रौद्योगिकी, बायोटेक्नोलॉजी, फार्मास्युटिकल्स,  पर्यटन और आधारभूत क्षेत्र। आसियान सहित दुनिया के विभिन्न देशों में इस बात को समझा गया है कि कोविड-19 के बीच भारत के प्रति बढ़ा हुआ वैश्विक विश्वास, आधुनिक तकनीक, बढ़ते घरेलू बाजार, व्यापक मानव संसाधन, वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में दक्षता जैसी अहमियत भारत को आर्थिक ऊंचाई दे रही है। हम उम्मीद करें कि अब सरकार नए सीमित दायरे वाले मुक्त व्यापार समझौतों की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी…

निःसंदेह इस समय भारत दुनिया के ऐसे विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को तेजी से अंतिम रूप देने पर अपना ध्यान फोकस करते हुए दिखाई दे रहा है, जिन्हें भारत के बड़े चमकीले बाजार की जरूरत है और जो देश बदले में भारत के विशेष उत्पादों के लिए अपने बाजार के दरवाजे भी खोलने के लिए उत्सुक हैं। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि कोरोना काल ने एफटीए को लेकर सरकार की सोच बदल दी है। सरकार बदले वैश्विक माहौल में अमरीका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन सहित कुछ और विकसित देशों के साथ सीमित दायरे वाले व्यापार समझौतों की निर्णायक डगर पर दिखाई दे रही है। अमरीका में नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ भारत के अच्छे आर्थिक और कारोबारी संबंधों के नए परिदृश्य ने भारत और अमरीका के बीच सीमित दायरे वाले कारोबारी समझौते को अंतिम डगर पर पहुंचा दिया है। मोटे तौर पर भारत और अमरीका के बीच कारोबार के सभी विवादास्पद बिंदुओं का समाधान कर लिया गया है। भारत ने अमरीका से जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंसेज (जीएसपी) के तहत कुछ निश्चित घरेलू उत्पादों को निर्यात लाभ फिर से देने की शुरुआत करने और कृषि, वाहन, वाहन पुर्जों और इंजीनियरिंग क्षेत्र के अपने उत्पादों के लिए बड़ी बाजार पहुंच देने की मांग की है। दूसरी ओर अमरीका भारत से अपने कृषि और विनिर्माण उत्पादों, डेयरी उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों के लिए बड़े बाजार की पहुंच, डेटा का स्थानीयकरण और कुछ सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उत्पादों पर आयात शुल्कों में कटौती चाहता है।

यद्यपि ईयू और ब्रिटेन सहित कुछ और देशों के साथ सीमित दायरे वाले एफटीए के लिए चर्चाएं संतोषजनक रूप में हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां भी बनी हुई हैं। विगत दिनों ईयू और चीन ने नए निवेश समझौते को अंतिम रूप दे दिया है। इसका असर भारत और ईयू के बीच ट्रेड और इन्वेस्टमेंट समझौते को लेकर आगे बढ़ रही बातचीत पर भी पड़ सकता है। चीन ने ईयू के साथ निवेश समझौते को अंतिम रूप देकर भारत के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है। ऐसे में यूरोपीय कंपनियों के समक्ष भारत को बेहतर प्रस्ताव रखना होगा। चूंकि विगत दिनों 31 दिसंबर 2020 को ब्रिटेन ईयू के दायरे से बाहर हो गया है। ऐसे में ब्रिटेन के साथ भी भारत को उपयुक्त एफटीए के लिए अधिक प्रयास करने होंगे। ज्ञातव्य है कि सीमित दायरे वाले ट्रेड एग्रीमेंट के पीछे वजह यह है कि ये मुक्त व्यापार समझौते की तरह बाध्यकारी नहीं होते हैं यानी अगर बाद में किसी खास कारोबारी मुद्दे पर कोई समस्या होती है तो उसे दूर करने का विकल्प खुला होता है। भारत ने पूर्व में जिन देशों के साथ एफटीए किए हैं, उनके अनुभव को देखते हुए इस समय सीमित दायरे वाले व्यापार समझौते ही बेहतर हैं। वस्तुतः विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत विश्व व्यापार वार्ताओं में जितनी उलझनें खड़ी हो रही हैं, उतनी ही तेजी से विभिन्न देशों के बीच एफटीए बढ़ते जा रहे हैं।

 यह एक अच्छी बात है कि डब्ल्यूटीओ कुछ शर्तों के साथ सीमित दायरे वाले एफटीए की इजाजत भी देता है। एफटीए ऐसे समझौते हैं जिनमें दो या दो से ज्यादा देश आपसी व्यापार में कस्टम और अन्य शुल्क संबंधी प्रावधानों में एक-दूसरे को तरजीह देने पर सहमत होते हैं। दुनिया में इस समय लगभग 250 से ज्यादा एफटीए दिखाई दे रहे हैं। गौरतलब है कि भारत सीमित दायरे वाले एफटीए के साथ-साथ प्रमुख मित्र देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को भी अंतिम रूप देते हुए दिखाई दे रहा है। खास तौर से विभिन्न आसियान देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार समझौतों की संभावनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं। पिछले वर्ष 21 दिसंबर को भारत और वियतनाम के बीच वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान रक्षा, पेट्रो रसायन और न्यूक्लियर ऊर्जा समेत सात अहम समझौतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वियनताम के प्रधानमंत्री नुयेन शुआन फुक के द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं। साथ ही भारत की मदद से तैयार सात विकास परियोजनाएं वियतनाम की जनता को समर्पित की गईं हैं। इस सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने वियतनाम को भारत की एक्ट ईस्ट नीति की एक अहम कड़ी बताया और कहा कि भारत अपने इस मित्र देश की तरफ  लंबे समय के लिए रणनीतिक साझेदार के तौर पर देख रहा है। दोनों ही देश 15 अरब डॉलर यानी करीब 1110 अरब रुपए के व्यापारिक लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। वस्तुतः वियतनाम के साथ भारत के इन नए द्विपक्षीय समझौतों की अहमियत इसलिए भी है, क्योंकि विगत 15 नवंबर को दुनिया के सबसे बड़े ट्रेड समझौते रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसेप) ने 15 देशों के हस्ताक्षर के बाद जो मूर्तरूप लिया है, भारत उस समझौते में शामिल नहीं हुआ है।

साथ ही भारत ने यह रणनीति बनाई है कि वह आसियान देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंधों के कारण द्विपक्षीय समझौतों की नीति पर तेजी से आगे बढ़ेगा। उल्लेखनीय है कि आसियान सहित दुनिया के कई देश भारत के बढ़ते हुए उद्योग और कारोबार के मद्देनजर भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक समझौतों में अपना आर्थिक लाभ अनुभव करते हुए दिखाई दे रहे हैं। ज्ञातव्य है कि पिछले कुछ सालों में भारत ने आर्थिक मोर्चे पर उजली कामयाबी हासिल की है। कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों का सफलतापूर्वक मुकाबला करते हुए भारत वर्ष 2021-22 में दुनिया में सबसे अधिक 10-11 फीसदी विकास दर वाले देश के रूप में चिह्नित किया जा रहा है। भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत में डिजिटलीकरण, बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, शहरी नवीनीकरण और स्मार्ट शहरों पर बल दिया जा रहा है। आसियान देशों के लिए विशेष तौर पर कुछ ऐसे क्षेत्रों में निवेश करने के लिए अच्छे मौके हैं जिनमें भारत ने काफी उन्नति की है। ये क्षेत्र हैं ः डिजिटलीकरण, ई-कॉमर्स, सूचना प्रौद्योगिकी, बायोटेक्नोलॉजी, फार्मास्युटिकल्स,  पर्यटन और आधारभूत क्षेत्र। आसियान सहित दुनिया के विभिन्न देशों में इस बात को समझा गया है कि कोविड-19 के बीच भारत के प्रति बढ़ा हुआ वैश्विक विश्वास, आधुनिक तकनीक, बढ़ते घरेलू बाजार, व्यापक मानव संसाधन, वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में दक्षता जैसी अहमियत भारत को आर्थिक ऊंचाई दे रही है। हम उम्मीद करें कि अब सरकार एक ओर दुनिया के प्रमुख देशों के साथ नए सीमित दायरे वाले मुक्त व्यापार समझौतों की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी। खासतौर से अमरीका, ईयू और ब्रिटेन के साथ सीमित दायरे वाले एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर सरकार आसियान तथा अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों की डगर पर भी तेजी से आगे बढ़ेगी। ऐसी विदेश व्यापार रणनीति से भारत के विदेश-व्यापार के नए अध्याय लिखे जा सकेंगे।