पीजीटी को भी टेट जरूरी, सभी विषयों के लिए अलग टेट के प्रोजोजल को जयराम कैबिनेट की हां बाकी

 सभी विषयों के लिए अलग टेट के प्रोजोजल को जयराम कैबिनेट की हां बाकी

 सरकार की मंजूरी मिलते ही लाइफ टाइम वैलेडिटी पर भी होगा फैसला

प्रतिमा चौहान — शिमला

सरकारी स्कूल में अब अगर लेक्चरर की नौकरी चाहिए, तो अलग से टेट पास करना जरूरी होगा। न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत हिमाचल सरकार इस शर्त को लागू करने जा रही है। इससे पहले हिमाचल में टीचर ईलीजबिलिटी टेस्ट (टेट) जेबीटी, टीजीटी, शास्त्री, सी एंड वी शिक्षकों को अनिवार्य होता था। अब राज्य सरकार एनईपी के तहत पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) के लिए भी टेट अनिवार्य कर रही है। बता दें कि स्कूलों में मौजूदा समय में तैनात लेक्चरर अधिकतर कमीशन पास कर आए है। राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि हाई व सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाने वाले प्रवक्ताओं को पहले अपने विषय में टेट पास करना होगा। उसके बाद ही वे प्रवक्ता पद के लिए पात्र होंगे। ऐसे में अब यह तो साफ हो गया है कि सरकारी स्कूलों में विभिन्न कैटेगरी से शिक्षक बनने के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा (टेट) पास करना अनिवार्य होगा।

न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत प्रदेश सरकार यह नई शर्त लागू करेगी। कैबिनेट की बैठक में इस मामले पर चर्चा करने के बाद मंजूरी दी जाएगी। अहम यह है कि उसके बाद टेट की लाइफ टाइम वैधता को भी सरकार  बहाल करेगी। अभी शिक्षा विभाग की मदद से आर एंड पी रूल्स बनाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार पहले प्रवक्ताओं के लिए टेट अनिवार्यता पर फैसला लेगी और उसके बाद ही यह क्लीयर हो सकेगा कि टेट को हिमाचल में कैसे लाइफ टाइम वैधता दी जाएगी। शिक्षा विभाग ने इसका प्रोपोजल तैयार किया है, यानी अब जल्द ही अभ्यर्थियों की चिंता दूर हो जाएगी। इससे पहले हिमाचल में टैट केवल प्राइमरी व मिडल स्कूल के शिक्षक बनने के लिए ही अनिवार्य होता था, लेकिन अब अभ्यर्थी अपने विषय में परफेक्ट रहे, इस वजह से टेट को टीजीटी, जेबीटी, पीजीटी, के लिए भी अनिवार्य करने की तैयारियां शुरू कर दी गई है।

गौर रहे कि केंद्र सरकार ने दो माह पहले टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टेट) को लाइफ टाइम वैधता दे दी थी। वहीं, राज्यों को अपने स्तर पर अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक प्रदेश में टेट पास अभ्यर्थियों को सरकार ने राहत नहीं दी है। स्थिति साफ न होने के चलते वे अभ्यर्थी परेशानी में हैं, जिन्हें टेट पास किए सात साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है। शिक्षा सचिव की ओर से प्रारंभिक शिक्षा विभाग को इस मामले पर जवाब देने को कहा गया था, लेकिन विभाग से अभी तक इस मामले पर किस आधार पर टेट अभ्यर्थिंयों को यह लाभ देना है, इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया है। अब कैबिनेट में ही पूरा मामले पर स्थिति साफ होगी।

प्रदेश में हर साल हजारों अभ्यर्थी टेट पास करते है। मौजूदा समय में करीब 30 हजार टेट अभ्यार्थी ऐसे है, जो कि सरकार से लाइफ टाइम की वैधता का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षक पात्रता परीक्षा किसी अभ्यर्थी के लिए स्कूलों में शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए जरूरी योग्यताओं में से एक है। राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के 11 फरवरी 2011 की गाइडलाइन में साफ है कि टेट राज्य सरकारों द्वारा आयोजित किया जाएगा। टेट प्रमाणपत्र की वैधता और पास करने की तारीख से सात साल तक थी, जिसे अब केंद्र ने लाइफ टाइम कर दिया है। वहीं, शिक्षा सचिव राजीव शर्मा ने बताया कि  टेट एग्जाम करवाने के लिए क्या मानक होंगे, यह कैबिनेट में तय होगा। जल्द ही अभ्यर्थियों को राहत दी जाएगी। हालांकि हिमाचल में शिक्षक बनने के लिए अलग-अलग विषय में टेट की परीक्षा पास करना अनिवार्य है। निजी संस्थानों का दिया जा सकता है जिम्मा ः केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक प्राइमरी से हायर एजुकेशन में अब सभी के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है। अभी तक बोर्ड टेट की परीक्षा करवाता है, लेकिन अब शिक्षा विभाग का मानना है कि सभी के लिए टेट अनिवार्य किया गया है, तो बोर्ड पर इसका बोझ पड़ सकता है, ऐसे में निजी संस्थाओं के माध्यम से भी टेट एग्जाम आयोजित करवाया जा सकता है। इस तरह का प्रोपोजल तैयार किया गया है। (एचडीएम)