अब टीचर्ज को ज्यादा मेहनत की जरूरत

न्यू एजुकेशन पॉलिसी बनने के बाद छात्रों को समझाना होगा नया पैटर्न

चंडीगढ़, 3 सितंबर (ब्यूरो)

न्यू एजुकेशन पॉलिसी बनने के बाद इस साल नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा के स्टूडेंट्स पर अब टीचर्स को ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अनुसार स्टूडेंट्स को समझकर प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने सत्र 2020-2021 के लिए नए पैटर्न के अनुसार बोर्ड एग्जाम पेपर तैयार किए हैं, लेकिन कोरोना के चलते परीक्षाएं नहीं हो सकीं। परीक्षाएं न होने के कारण इस समय 11वीं कक्षा में एडमिशन ले रहे स्टूडेंट्स को नए पैटर्न की समझ नहीं है, तो वहीं राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत आठवीं कक्षा तक पास हुए स्टूडेंट्स को अब नौवीं में नए पैटर्न को समझना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में स्कूल टीचर्स को दोनों ही कक्षाओं के स्टूडेंट्स को तैयार करने में इस बार ज्यादा मेहनत करनी होगी। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए सीबीएसई ने दसवीं और बारहवीं बोर्ड कक्षाओं सहित नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा की परीक्षाएं दो बार आयोजित करने का फैसला लिया है।

न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अनुसार परीक्षा में प्रश्नों के उत्तर सीधे लिखने के बजाए तीन-चार ऑप्शन में से एक चुनकर बताना होगा। प्रश्न का उत्तर चुनने के साथ उसकी थ्योरी को भी समझाना होगा। परीक्षा लिखित होने के साथ-साथ प्रैक्टिकल भी होंगे, जिसमें स्टूडेंट्स को प्रोजेक्ट, मॉडल बनाने से लेकर लैब में पहुंचकर प्रैक्टिकल करना होगा। नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा की परीक्षा में शहर के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के 35 हजार स्टूडेंट्स अपीयर होंगे। शहर के 43 सरकारी और 40 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में ग्यारहवीं कक्षा की पढ़ाई चार सितंबर से शुरू हो रही है, जबकि 93 सरकारी और 60 के प्राइवेट स्कूलों में नौवीं कक्षा की पढ़ाई चल रही है।

नवंबर-दिसंबर में एग्जाम

न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत पहले एग्जाम नवंबर-दिसंबर में होंगे, जिसमें पुस्तक के 50 फीसदी सिलेबस में से प्रश्न पूछे जाएंगे। वहीं दूसरे एग्जाम मार्च-अप्रैल, 2022 में होंगे, जिसमें बाकी बचे अन्य 50 फीसदी सिलेबस में से प्रश्न आएंगे।