आशीष चौधरी का राष्ट्रमंडल टिकट पक्का

आशीष के पिता जी का लंबी बीमारी के बाद 2020 के शुरू में ही निधन हो गया था, मगर फिर भी आशीष ने खेल पर अपना ध्यान केंद्रित रखा और ओलंपिक जैसे संसार के सबसे बड़े खेल आयोजन के लिए क्वालीफाई किया था। आशीष के पिता स्वयं भी अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। साथ ही साथ वे बहुत अच्छे खेल प्रेमी भी थे। अपने खेल जीवन की सफलता का श्रेय आशीष ने अपने प्रशिक्षकों, खेल प्रशासकों व अपनी मेहनत को दिया। वहीं पर अपने पिता के योगदान को भी आगे रखा। उच्च स्तर पर खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए इसकी तैयारी कई वर्षों तक चलती है तथा इसमें बहुत धन खर्च होता है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में आने के बाद भी खिलाड़ी को सम्मानजनक प्रदर्शन करने के लिए सरकार से हर प्रकार की सहायता चाहिए होती है। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि उसे हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के समकक्ष पद पर  पदोन्नत करे…

हर चार वर्षों के बाद जहां ओलंपिक खेलों का आयोजन होता है, वहीं पर ओलंपिक के दो वर्षों बाद एशियाई व राष्ट्रमंडल खेलों का भी आयोजन होता है। कोरोना के कारण 2020 टोक्यो में आयोजित होने वाला ओलंपिक ठीक एक वर्ष बाद आयोजित करना पड़ा था। अब इस वर्ष चीन में होने जा रहे एशियाई खेलों को भी कोरोना के कारण अनिश्चित समय के लिए स्थगित कर दिया गया है। आगामी 28 जुलाई से आठ अगस्त तक  राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन इंग्लैंड के बर्मिंघम व मिडलैंड्स में हो रहा है। इससे पहले भी दो बार इंग्लैंड 1934 में लंदन व 2002 में मैनचेस्टर में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन कर चुका है। भारत ने भी अपना दल चुनने के लिए विभिन्न खेलों के लिए क्वालीफाई आयोजनों के बाद राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर लगाए हुए हैं। कुछ चुनिंदा हिमाचल खिलाड़ी भी इस प्रक्रिया में बने हुए हैं और हिमाचल प्रदेश की संतानों ने भी पहाड़ की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को पार पाते हुए विभिन्न क्षेत्रों सहित खेलों में भी विश्व स्तर तक सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है। पिछले सप्ताह राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान पटियाला में राष्ट्रमंडल खेलों के लिए हुए क्वालीफाई ट्रायल में हिमाचल प्रदेश के आशीष चौधरी ने अपने प्रतिभागियों को एकतरफा पछाड़ते हुए अपना टिकट पक्का कर लिया है।

 आशीष के खेल जीवन का सफर सुंदरनगर के महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय के प्रशिक्षण कार्यक्रम से ट्रेनिंग का श्रीगणेश कर  भिवानी व राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों में होते हुए संसार के सबसे बड़े खेल महाकुंभ ओलंपिक खेलने के बाद भी अभी जारी है। पिता स्वर्गीय भगत राम डोगरा व माता दुर्गा देवी के घर 18 जुलाई 1994 को सुंदरनगर शहर के साथ लगते जरल गांव में जन्मे आशीष की प्रारंभिक शिक्षा व कालेज की पढ़ाई सुंदरनगर में ही हुई। 2015  में केरल में आयोजित हुए राष्ट्रीय खेलों में हिमाचल प्रदेश के लिए स्वर्ण पदक विजेता बनने के साथ ही आशीष चौधरी ने 2020 ओलंपिक तक पहुंचने की आशा भी जगा दी थी। पिछले वर्ष 2019 में संपन्न हुई एशियाई मुक्केबाजी प्रतियोगिता में रजत पदक जीतने के बाद आशीष ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 2015 से आशीष लगातार राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान पटियाला में चल रहे राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है। 2017 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने आशीष को खेल आरक्षण के अंतर्गत मंडी जिला की धर्मपुर तहसील का कल्याण अधिकारी लगाकर नौकरी दी है।  आशीष के पिता जी का लंबी बीमारी के बाद 2020 के शुरू में ही निधन हो गया था, मगर फिर भी आशीष ने खेल पर अपना ध्यान केंद्रित रखा और ओलंपिक जैसे संसार के सबसे बड़े खेल आयोजन के लिए क्वालीफाई किया था। आशीष के पिता स्वयं भी अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। साथ ही साथ वे बहुत अच्छे खेल प्रेमी भी थे। अपने खेल जीवन की सफलता का श्रेय आशीष ने अपने प्रशिक्षकों, खेल प्रशासकों व अपनी मेहनत को दिया। वहीं पर अपने पिता के योगदान को भी आगे रखा। उच्च स्तर पर खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए इसकी तैयारी कई वर्षों तक चलती है तथा इसमें बहुत धन खर्च होता है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में आने के बाद भी खिलाड़ी को सम्मानजनक प्रदर्शन करने के लिए सरकार से हर प्रकार की सहायता चाहिए होती है। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि उसे हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के समकक्ष पद पर  पदोन्नत करे।

 आशीष चौधरी को चाहिए कि वह राष्ट्रमंडल खेलों तक पूरी ईमानदारी से अपने कोचिंग स्टाफ के साथ अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करे ताकि वह  स्वर्ण पदक विजेता बनकर तिरंगे को सबसे ऊपर लहरा कर जन गण मन की धुन पूरे विश्व को सुना सके। हिमाचल प्रदेश अपने लाडले को राष्ट्रमंडल खेलों के लिए टिकट पक्का करने पर बधाई  तथा  स्वर्णिम सफलता के लिए शुभकामनाएं देता है। प्रदेश के अन्य खिलाडि़यों को भी आशीष चौधरी से सबक लेना चाहिए। आशीष चौधरी जैसे खिलाड़ी प्रेरणा के स्रोत हैं। युवाओं को चाहिए कि वे खेल गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर भाग लें। युवाओं को नशे की ओर जाने से बचना चाहिए, साथ ही सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग करने से भी बचना चाहिए। इन व्याधियों से बचने का बेहतर तरीका खेल ही है। जब बड़ी संख्या में प्रशिक्षु खिलाड़ी खेल मैदान में अपने परीक्षण के लिए उतरेंगे तो उनमें काबीलियत रखने वाले कुछ खिलाड़ी आसानी से छांटे जा सकते हैं। ऐेसे खिलाडि़यों को प्रशिक्षण के जरिए बेहतर खिलाड़ी बनाया जा सकता है। यही खिलाड़ी खेल में प्रदेश का नाम ऊंचा करेंगे। सरकार को चाहिए कि वह प्रदेश में खेलों के लिए बेहतर वातावरण का निर्माण करे। अन्य राज्यों की तुलना में हिमाचल प्रदेश इस मामले में अभी पिछड़ा हुआ है। खिलाडि़यों को पूरी खेल सुविधाएं दिए जाने की जरूरत है। इससे दूसरे राज्यों में खिलाडि़यों का पलायन भी रुकेगा तथा प्रदेश का भी भला होगा।

भूपिंद्र सिंह

अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

ईमेल : bhupindersinghhmr@gmail.com