Chandigarh : पांच फीसदी जीएसटी जनता के हक में नहीं, मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग के लोगों पर बोझ

एडवाइजर एसएमई चैंबर्स आफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सरकार से की अपील, फैसले पर करे पुनर्विचार

25 किलो से कम के पैक पर पांच प्रतिशत जीएसटी

निजी संवाददाता — चंडीगढ़

केंद्र सरकार द्वारा लिया गया फैसला खाद्य, दालें, आटा और अन्य उत्पादों के पैक और लेबल वाली वस्तुओं के 25 किलो से कम के पैक पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाना बहुत खराब है और बिलकुल भी जनता के हक में नहीं है। सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि इससे हर चीज की लागत और बढ़ जाएगी। यह बात एडवाइजर एसएमई चैंबर्स आफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर अजय अग्रवाल ने कही। उन्होंने कहा कि समाज के मध्यम वर्ग और निम्न वर्गों पर एक बड़ा बोझ होगा। पहले से ही हर कोई, हर जगह जीएसटी का भुगतान कर रहा है और महंगाई से त्रस्त है। पांच प्रतिशत जीएसटी से अर्जित यह ईमानदार करदाताओं का पैसा वोटों के लिए मुफ्त में वितरित किया जाएगा। अगर राजनेता मुफ्त देना भी चाहते हैं, तो वह अपनी पार्टी के फंड से क्यों नहीं देते। सरकार क्यों जानबूझकर चूक करने वाले बड़े कर्जदारों से बड़ी राशि की वसूली नहीं करती और उन्हें तब तक सलाखों के पीछे रखना चाहिए जब तक कि वह बैंकों के साथ बकाया ऋण चुका नहीं देते। मुद्रास्फीति पहले से ही बहुत अधिक है। सरकार मध्यम वर्ग की कीमत पर केवल अमीर लोगों, बड़े औद्योगिक घरानों की और अपने वोट बैंक की चिंता कर रहा है। करदाताओं की गाढ़ी कमाई को मुफ्त में क्यों दिया जाए।

सरकार देश को लूटने वाले राजनेताओं को दिए जाने वाले वेतन, भत्ते, पेंशन और अन्य लाभों पर भारी खर्च में कटौती करें। इन राजनेताओं पर कोई कर क्यों नहीं है और उन्हें सांसद या विधायक के रूप में प्रत्येक कार्यकाल के लिए अलग से पेंशन मिलती है। पेट्रोल, घरेलू गैस और सभी वस्तुओं पर कीमतों में वृद्धि हो रही है, महंगाई आसमान छू रही है। यह वास्तव में मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों के लिए जीवन यापन करने के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। सरकार जवाब दें कि वह जमा पर ब्याज पर टीडीएस क्यों लेते हैं। जिसके लिए एक जमाकर्ता पहले ही कर दे चुका है। एक वरिष्ठ नागरिक जिसके पास पैसा कमाने का कोई अन्य साधन नहीं है और वह केवल पेंशन और ब्याज आय पर जीवित है, एक बड़ा पीडि़त है। पहले से ही कोरोना ने लगभग हर व्यक्ति को किसी न किसी तरह से प्रभावित किया है लेकिन सरकार कीमतों में लगातार वृद्धि कर रही है। सरकार से मेरा अनुरोध है की 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने के अपने निर्णय पर तुरंत पुनर्विचार करें अन्यथा देश में बड़ी अशांति होगी और सामान्य व्यक्ति का जीवन दूभर हो जाएगा।