सडक़ हादसों पर नहीं लग रही ‘ब्रेक’, प्रदेश में हर साल सडक़ दुर्घटनाओं में जान गंवा रहे एक हजार लोग

जयदीप रिहान—पालमपुर

ऊना जिला में शुक्रवार को हुए स्कूल बस हादसे ने एक बार फिर से सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है। दुर्घटना का कारण तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगा, लेकिन चिंताजनक यह है कि प्रदेश में सडक़ दुर्घटनाओं के ग्राफ में कमी नहीं आ रही है और औसतन हर दिन आठ सडक़ हादसे दर्ज किए जा रहे हैं। इस वर्ष जुलाई के महीने तक ही प्रदेश में 1400 से अधिक सडक़ दुर्घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें 550 से अधिक लोगों की जान चली गई और दो हजार से अधिक घायल हुए। बीते दो दशक के दौरान तेज रफ्तार, सडक़ नियमों की अनदेखी, नशे की हालत में गाड़ी चलाना, वाहनों व सडक़ों की खराब हालत दुर्घटनाओं के मुख्य कारण हैं। 2015 के बाद से तो सडक़ हादसों का ग्राफ बेहद चिंताजनक रहा है।

2016 में बीते दशक के सबसे अधिक सडक़ हादसे दर्ज किए गए थे। 2016 में सडक़ दुर्घटनाओं की संख्या 3100 को पार कर 3156 तक जा पहुंची थी, जिनमें 5587 घायल हुए। 2017 में 3119 सडक़ दुर्घटनाओं में घायलों की संख्या 5338 रही। 2018 में 3118 सडक़ हादसों में घायलों की तादाद 5444 रही। 2019 में सडक़ हादसों की संख्या में कुछ कमी आई और 2896 मामले दर्ज हुए, जिनमें 4737 घायल हुए। उसके बाद कोरोना के दौरान में सडक़ दुर्घटनाओं का ग्राफ कुछ कम रहा और 2020 में 2236 सडक़ हादसों में 3197 घायल हुए। 2021 में प्रदेश में 2408 सडक़ दुर्घटनाओं में 3446 लोग घायल हुए थे। (एचडीएम)