मेडिकल डिवाइस पार्क योजना का महत्त्व

आज हिमाचल में निवेश हेतु अच्छा वातावरण उपलब्ध है। 3500 एकड़ से भी अधिक का लैंड बैंक उद्यमों के लिए तैयार है तथा प्रदेश उभरते हुए ‘‘निर्यात हब’’ के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। ‘‘अमृतसर-कोलकाता गलियारा’’ परियोजना में बीबीएन नोड विकसित करने की स्वीकृति ‘‘ राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम’’ द्वारा प्रदान कर दी गई है। एमएसएमई बड़े व ‘एंकर’ उद्यमों को उदार प्रोत्साहन व ‘मेगा परियोजनाओं’ के लिए ‘कस्टमाईज़्ड पैकेज’- राज्य औद्योगिक नीति में उपलब्ध है। यह पार्क प्रदेश के औद्योगिक विकास को नए आयाम प्रदान करेगा, ऐसी आशा की जानी चाहिए…

यूं तो हिमाचल को इसकी भौगोलिक बाधाओं के कारण निवेश के लिए उपयुक्त मानने में कुछ नीतिकार संदेह प्रकट करते हैं, परंतु इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि गत 4-5 वर्षों में औद्योगिक क्षेत्र व अन्य सैक्टर्स में निवेश आकर्षित करने के लिए सराहनीय पहल की गई है, जिसका परिणाम ये हुआ कि आज न केवल पहाड़ी राज्यों में अपितु पूरे देश में ही हिमाचल निवशकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गया है। पहले भारत सरकार द्वारा हिमाचल के लिए ‘‘चिकित्सा उपकरण पार्क’’ की पूर्ण स्वीकृति व हाल ही में ‘‘बल्क ड्रग पार्क’’ की सैद्धांतिक मंजूरी इस बात का सशक्त प्रमाण है। ये कदम निश्चय ही ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’’ में हिमाचल की मजबूत भागीदारी दर्शाते हैं। चिकित्सा उपकरण उद्योग, इंजीनियरिंग और चिकित्सा का एक अनूठा मिश्रण है। इसमें मशीनों का निर्माण शामिल है, जिनका उपयोग मानव शरीर के भीतर जीवन का समर्थन करने के लिए किया जाता है। इन उपकरणों में सर्जिकल उपकरण व डायग्नोस्टिक उपकरण जैसे-एमआरआई, एक्स-रे, अल्ट्रासांउड और हाथ से पकड़े जाने वाले उपकरणों सहित लाइफ सपोर्ट इक्विपमेंट जैसे वेंटीलेटर, इंप्लांटस आदि शामिल हैं। 265 एकड़ क्षेत्र में जिला सोलन के नालागढ़ में इस नवोन्नत तकनीक से युक्त मैडिकल उपकरण निर्माण पार्क को विकसित किया जाएगा। राष्ट्रीय उच्चमार्ग 205 से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर, घनौली रेलवे स्टेशन से 9 कि.मी. की दूरी व चंडीगढ़ हवाई अड्डे से 50 कि.मी. दूर यह पार्क स्थित होगा । प्रदेश सरकार ने बहुत ही प्रतिस्पर्धात्मक बिन्दुओं पर अपनी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की थी, जिसका आकलन कर केन्द्र सरकार द्वारा इस पार्क को विकसित करने की हरी झण्डी राज्य सरकार के पक्ष में दी गई। इसमें उद्यमियों को अपना मैडिकल उपकरण निर्माण उद्यम लगाने के लिए भूमि 1 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर पर दी जाएगी। इसके अतिरिक्त उद्यमियों को देश व विदेश से आकर्षित करने के लिए अन्य कई आकर्षक प्रोत्साहन भी दिए जाएंगे जैसे-स्टैम्प ड्यूटी व पंजीकरण शुल्क माफ होगा, बिजली की आपूर्ति के लिए टैरिफ 3 रुपए प्रति यूनिट व बिजली डयूटी पूरी तरह माफ होगी।

राज्य को दिए जाने वाले जीएसटी पर भी उद्यमियों को 70 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की जाएगी। अपना उद्यम लगाने के लिए यदि उद्यमी बैंक से लोन लेता है तो उसे अधिकतम 51 लाख रुपए तक 7 प्रतिशत की दर से ब्याज में छूट भी दी जाएगी। उद्यमी की ढुलाई लागत को कम करने के लिए सरकार द्वारा इकाई के सालाना टर्नओवर पर 3 प्रतिशत की दर से राज्य के भीतर ही माल ढुलाई पर भाड़ा अनुदान दिया जाएगा। पानी, वेयर हाउस व पार्क रखरखाव शुल्क भी उद्यमी से नहीं वसूला जाएगा। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इन सब प्रोत्साहनों के दृष्टिगत उद्यमी को अपने निवेश पर 108 प्रतिशत रिटर्न मिलेगा। इस पार्क को उद्यमियों के लिए और उपयोगी बनाने के लिए कई सांझा सुविधाएं भी प्राप्त होंगी जैसे- इलैक्ट्रो-मैगनैटिक इन्टरफैरेंस केन्द्र, बायो-मैटीयरियल/बायो- कम्पैटिबिलिटि, त्वरित ऐजिंग परीक्षण केन्द्र, 3-डी डिज़ायनिंग व प्रिटिंग केन्द्र, फ्लैट पैनल डीटैक्टर्स/एमआरआई चुम्बक/पीज़ो इल्ैक्ट्रिकल क्रिस्टल/पावर इल्ैक्ट्रोनिक्स सुविधा। अभी तक प्राप्त फीडबैक के आधार पर इस पार्क में रोगी के लिए-श्रवणयन्त्र व पेस मेकर, डिस्पोज़ेबल व कन्ज़्यूमेबल-सुइयां व सिरिंज, दन्त उत्पाद-जैसे डैन्चर, ब्रेसिज़़ आदि, अनुसंधान व विकास सुविधाएं, एमआरआई, एक्स-रे, अल्ट्रासांउड आदि उपकरण, हड्डियों से संबंधित-घुटना प्रत्यारोपण व कृत्रिम ज्वाइंट्स आदि उपकरणों का निर्माण किया जाएगा। इस पार्क से प्रदेश को जो संभावित लाभ होंगे, उनके बारे में भी थोड़ी चर्चा कर ली जाए।

राष्ट्रीय महत्ता की 350 करोड़ की यह मैगा परियोजना प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाएगी। इस पार्क में जो उद्यम स्थापित होंगे, उनसे 5000 करोड़ रुपए के संभावित निवेश की आशा है तथा 8000 से 10,000 व्यक्तियों के लिए रोजग़ार के अवसर सृजित होंगे, सहायक उद्यमों के विकास में भी मदद मिलेगी और प्रदेश की सामाजिक व आर्थिक संरचना को और बल मिलेगा। परियोजना की स्वीकृति से अब तक राज्य सरकार द्वारा अपने हिस्से के रूप में मैचिंग ग्रांट के 74.95 करोड़ जमा कर दिए गए हैं व ‘‘राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान’’ मोहाली को ‘‘नौलेज भागीदार’’ व पीजीआई चंडीगढ़ के ‘‘नवाचार व बायो-डिजा़इन केन्द्र’’ को तकनीकी भागीदार के रूप में शामिल करने बारे ‘‘समझौता ज्ञापन’’ हस्ताक्षरित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्र्रीय स्तर पर ‘‘निवेश आउटरीच कार्यक्रम’’ भी तैयार किया जा रहा है व संबंधित विभागों के साथ बिजली, जलापूर्ति व सडक़ निर्माण संबंधी बुनियादी ढांचा विकसित करने हेतु वार्ताएं की जा रही हैं। आज हिमाचल में निवेश हेतु अच्छा वातावरण उपलब्ध है। 3500 एकड़ से भी अधिक का लैंड बैंक उद्यमों के लिए तैयार है तथा प्रदेश उभरते हुए ‘‘निर्यात हब’’ के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। ‘‘अमृतसर-कोलकाता गलियारा’’ परियोजना में बीबीएन नोड विकसित करने की स्वीकृति ‘‘ राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम’’ द्वारा प्रदान कर दी गई है। एमएसएमई बड़े व ‘एंकर’ उद्यमों को उदार प्रोत्साहन व ‘मेगा परियोजनाओं’ के लिए ‘कस्टमाईज़्ड पैकेज’- राज्य औद्योगिक नीति में उपलब्ध है। यह पार्क प्रदेश के औद्योगिक विकास को नए आयाम प्रदान करेगा, ऐसी आशा की जानी चाहिए।

संजय शर्मा

लेखक शिमला से हैं