थापर इंस्टीट्यूट में 2452 विद्यार्थियों को सौपी डिग्रियां

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — चंडीगढ़

पंजाब के पटियाल स्थित देश के प्रतिष्ठ थापर इंस्टीयूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (टीआईईटी) संस्थान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में भी शीध्र ही दस्तक देने जा रहा है। संस्थान की ओर से एनसीआर के गुडगांव में लगभग 45 एकड़ ज़मीन पर अगले तीन साल में अपने संस्थान का परिसर बनाने का लक्ष्य है। इस बारे में थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के सेंट्रल बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष राजीव वढेहरा ने खुलासा करते हुए बताया कि उनके संस्थान की ओर से पंजाब के डेराबसी में स्थापित परिसर के विस्तार के साथ साथ एनसीआर दिल्ली में भी थापर इंस्टिट्यूट को लेजाने के योजना पर कार्य चल रहा है। वह आज यहां थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के वार्षिक दीक्षांत समारोह को लेकर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि थापर इंस्टीट्यूट देश के निजी संस्थानों में अव्वल नंबर पर है। उनके यहां लगभग 450 प्रतिष्ठ कंपनियां कैंपस प्लेसमेंट के लिए आती है और लगभग 90 से 95 फीसदी छात्र पढ़ाई पूरी करने से पहले ही विभिन्न कंपनियों की ओर से बहुत ही अच्छे पैकेज पर हायर कर लिए जाते है।

उन्होंने बताया कि सोमवार को संस्थान के 36वें दीक्षांत समारोह में 2452 डिग्रियां प्रदान की गईं। जिनमे 99 पीएचडी, 268 एमई/एम टेक, 67 एमएससी, 41 एमसीए, 32 एमए, 176 एमबीए, 60 इंटीग्रेटेड बीई/एमबीए और 1709 बीई/बीटेक डिग्री प्रदान की गई। इस दीक्षांत समारोह के दौरान, कुल 42 छात्रों को उनके उत्कृष्ट और मेधावी शैक्षणिक, शैक्षिक और सर्वांगीण प्रदर्शन के लिए पदकध्पुरस्कार देकर भी सम्मानित किया गया। दीक्षांत समारोह के दौरान थापर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रकाश गोपालन ने सभी डिग्री प्राप्तकर्ताओं को बधाई दी और संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए संकाय और कर्मचारियों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सराहना की कि दो कठिन महामारी वर्षों से उत्पन्न परिचालन कठिनाइयों के बावजूद शैक्षणिक और प्लेसमेंट परिणाम प्रभावित नहीं हुए। इस मौके पर थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी संस्थान के रजिस्ट्रार डा. गुरबिंदर सिंह ने बतया की उनके संस्थान में विभिन्न संकाओं में देश भर के विभिन्न राज्यों के लगभग 12000 छात्र व छात्रां पढ़ाई कर रहे है और उनमे लगभग छह फीसदी बच्चे हिमाचल से है।