पेंसिल्वेनिया की हैल्थ एडवाइजर बनीं हिमाचल की बेटी डा. बसु, अमरीकी राज्य के गवर्नर ने दी नियुक्ति

अमरीकी राज्य के गवर्नर ने दी नियुक्ति, 1996 में गई थीं यूएस

धर्मशाला में प्रारंभिक शिक्षा के बाद कर्नाटक में की एमबीबीएस

प्रदेश के कई डाक्टरों को अमरीका से जुडऩे में कर रहीं मदद

पवन कुमार शर्मा — धर्मशाला

हिमाचल की बेटी डा. वसु सिंह यूएस में पेंसिल्वेनिया के गवर्नर की सलाहकार नियुक्त हुई हैं। पेंसिल्वेनिया के गवर्नर जोश शपिरो ने डा.वसु को राज्य के हेल्थ एडवाइजर के रूप में नियुक्ति दी है। पेशे से डाक्टर वसु वहां पर मेडिकल डायरेक्टर हैं। एशियन-अमरीकन अफेयर कमीशन में गवर्नर द्वारा यह नियुक्तियां की जाती हैं। डा. वसु को यह जिम्मा दूसरी बार दिया गया है। इससे पहले भी वह गर्वनर के सलाहकार के रूप में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। डा. वसु ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई धर्मशाला के गल्र्ज स्कूल से की है। उसके बाद धर्मशाला कालेज से बीएससी मेडिकल की पढ़ाई पूरी की थी। उन्होंने अपनी डाक्टरी यानी एमबीबीएस की पढ़ाई कर्नाटक के बीजापुर से की। डा. वसु वर्ष 1996 में अमरीका चली गई, लेकिन उन्होंने हिमाचल के साथ अपना नाता बनाए रखा और प्रदेश के युवाओं को अमरीका में पढ़ाई करवाने सहित विभिन्न परियोजनाओं से पहाड़ के लोगों को जोडऩे में अहम भूमिका निभाई है।

वह एम्स बिलासुपर सहित प्रदेश के अनेकों स्वास्थ्य संस्थानों से जुडक़र कार्य कर रही हैं। कांगड़ा जिला के करीब पांच गांवों में हेल्थ संबंधित गतिविधियों पर कार्य करने के अलावा टांडा मेडिकल कालेज, हमीपुर व शिमला सहित विभिन्न संस्थानों के युवाओं को यूएस से डाक्टरी करवाने से लेकर शिक्षा व हेल्थ के क्षेत्र में कार्य करने के लिए डा. वसु गाइड करते हुए मेंटर की तरह कार्य कर रही हैं। डा. वसु ने बताया कि प्रदेश के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने के लिए उन्हें प्रदेश सरकार या प्रशासन से जो अवसर मिलेंगे, उसके लिए वह कार्य करेंगी। चाहे वह सरकारी क्षेत्र हों या फिर निजी क्षेत्र, सभी तरह से अपने प्रदेश के लिए कार्य करने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि टांडा मेडिकल कालेज सहित विभिन्न संस्थानों में प्रशिक्षु डाक्टरों को यूएस में मेडिकल ट्रेनिंग करने के लिए वह सहायता कर रही हैं। डा. वसु ने बताया कि यूएस में मेडिकल की पढ़ाई दोबारा से करनी पड़ती है। भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए करवाई जाने वाली पढ़ाई के बाद भी वहां पर अलग से डाक्टरी की पढ़ाई करनी पड़ती है। हिमाचल में उनका आना-जाना होता रहता है, ऐसे में प्रदेश के लिए कई परियोजनाओं पर काम करने के लिए अलग-अलग स्तर पर उनकी बातचीत भी चल रही है। (एचडीएम)