पर्यटकों को लुभाने की नई रणनीति जरूरी

हम उम्मीद करें कि सरकार अयोध्या में राम मंदिर, उज्जैन में महाकाल लोक और वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम जैसे आस्था केंद्र स्थलों का देश के कोने-कोने में विकास करेगी और वहां बुनियादी ढांचा व पर्यटन सुविधाओं को सुगम बनाएगी। निश्चित रूप से ऐसे में देश वर्ष 2030 तक विदेशी पर्यटकों से 56 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लक्ष्य को मुठ्ठियों में करने के लिए आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगा…

यकीनन 8 जनवरी को गूगल सर्च पर भारत के लक्षद्वीप की खोज 20 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचते हुए लक्षद्वीप विश्व पर्यटन मानचित्र पर छाते हुए दिखाई दिया है। इसके पीछे घटनाक्रम यह है कि चार जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समुद्र से घिरे और खूबसूरत लक्षद्वीप पर पहुंचे थे। यहां से उन्होंने अपनी तस्वीरें शेयर की और भारतीयों से लक्षद्वीप घूमने की अपील करते हुए कहा कि जो लोग रोमांच को पसंद करते हैं उनके लिए लक्षद्वीप टॉप लिस्ट में होना चाहिए। वस्तुत: प्रधानमंत्री मोदी का अप्रत्यक्ष रूप से यह संदेश माना गया कि लक्षद्वीप के शानदार समुद्र तट प्राकृतिक सौंदर्य के साथ शांति के मामले में भी मालदीव को टक्कर देते हैं। ऐसे में कम समय व कम खर्च में मालदीव जैसा आनंद लक्षद्वीप में क्यों नहीं? गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा करके भारत से बेरुखी और चीन के प्रति बार-बार प्यार दिखा रहे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को नई पर्यटन चुनौती का झटका देने का संदेश दिया।

ऐसे में मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कर दी। इस पर भारत की नामी हस्तियों ने तीखी आलोचना की। साथ ही देखते ही देखते करीब 4000 भारतीय पर्यटकों ने मालदीव की होटल बुकिंग रद्द कर दी और 3000 भारतीयों ने मालदीव के लिए हवाई टिकटों की बुकिंग रद्द कर दी। साथ ही लक्षद्वीप के लिए होटलों और हवाई टिकटों की बुकिंग बढ़ती दिखाई दी। भारत के ऐसे सख्त रुख के बाद मालदीव सरकार सकते में आ गई और अपने तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया। दुनिया का यह पहला ऐसा मामला रहा, जब किसी अन्य देश के नेता पर टिप्पणी पर मंत्री निलंबित हुए हों। इस पूरे घटनाक्रम से पूरे देश और दुनिया में भी यह संदेश गया कि भारत के पास ऐसे पर्यटन स्थलों का बेजोड़ खजाना है जहां कम समय और कम खर्च में विदेशी पर्यटन की चाह रखने वाले जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि एक ऐसे समय में जब इस समय दुनिया में पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध देशों में भारतीय पर्यटकों को लुभाने की होड़ लगी हुई है, तब लक्षद्वीप का यह हालिया पर्यटन घटनाक्रम और ऐसे ही घरेलू पर्यटन स्थलों को रेखांकित करते हुए नए रणनीतिक प्रयास न केवल भारतीय पर्यटकों के विदेशी पर्यटन स्थलों की ओर बढ़ते प्रवाह को कम करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं, वरन दुनिया के कोने-कोने के देशों के पर्यटकों के कदमों को भारत की ओर मोडऩे में भी प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। पिछले दिनों श्रीलंका, थाईलैंड और मलेशिया ने भारतीय पर्यटकों को तेजी से आकर्षित करने तथा पर्यटन से विदेशी मुद्रा की कमाई बढ़ाने के मद्देनजर वीजा मुक्त प्रवेश की पहल की है। ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम और रूस सहित कुछ अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भी अधिक से अधिक भारतीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वीजा की प्रक्रिया आसान बनाई गई है। वस्तुत: अमरीका और यूरोपीय यूनियन के कई देशों के वीजा के लिए प्रतीक्षा अवधि लंबी और चीन से आने वाले पर्यटकों की संख्या कम होने के कारण भी ये देश विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की नई रणनीतियां प्रस्तुत कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि भारतीय पर्यटकों की विदेश यात्राओं के दौरान किए जाने वाले खर्च का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है, दूसरी ओर विदेशी पर्यटकों के द्वारा भारत में किए जाने वाले खर्च के ग्राफ की वैसी ऊंचाई नहीं है। विदेशी पर्यटकों के द्वारा भारत में खर्च 2019 से 76 फीसदी की वृद्धि के साथ 2027 तक करीब 60 अरब डॉलर पर पहुंचते हुए दिखाई देगा और परिणामस्वरूप भारत विदेशी पर्यटकों से कमाई के मामले में दुनिया के प्रमुख 10 बाजारों में शामिल नहीं हो पाएगा। यदि हम बर्नस्टीन की इस रिपोर्ट का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि यद्यपि भारत में भी कोविड-19 के बाद विदेशी पर्यटक बढ़ रहे हैं और विदेशी पर्यटकों से आमदनी बढ़ रही है, लेकिन विदेश जाने वाले भारतीयों के द्वारा विदेश भ्रमण में किए जा रहे भारी-भरकम व्यय की तुलना में भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों से भारत की आमदनी बहुत कम है। अभी भी दुनिया के कुल विदेशी पर्यटकों का दो फीसदी से भी कम हिस्सा ही भारत के खाते में आ रहा है। नि:संदेह जहां एक ओर भारतीयों का विदेशी पर्यटन की तरफ तेजी से बढ़ता रुझान घरेलू पर्यटन के मद्देनजर नुकसान की तरह है, वहीं देश के विदेशी मुद्रा कोष को घटाने वाला भी है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप देश में विदेशी पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए पर्यटन के व्यापक बुनियादी ढांचे और अन्य पर्यटन सुविधाओं को नई वैश्विक पर्यटन सोच के साथ आकार दिया गया है। बेहतर सडक़, रेल और हवाई संपर्क से भी विदेशी पर्यटन को बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। कश्मीर सहित देश के कोने-कोने के पर्यटन केंद्र अब पहले से अधिक सुरक्षित हैं। पर्यटन बजट में लगातार वृद्धि की गई है। खास बात यह भी है कि सरकार ने इस वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता के दौरान जी-20 के कार्यसमूह की रणनीतिक रूप से देश के कोने-कोने में 80 से अधिक शहरों में आयोजित 200 से अधिक विभिन्न बैठकों में हिस्सा लेने भारत आए विदेशी प्रतिनिधियों और विदेशी मेहमानों को भारत के पर्यटक स्थलों का भ्रमण करवाकर भारत के बेजोड़ पर्यटन केंद्रों के वैश्विक प्रचार-प्रसार का अभूतपूर्व मौका भी मुठ्ठियों में लिया है। ऐसे विभिन्न प्रयासों के बाद भी भारत में विदेशी पर्यटकों की संख्या अपेक्षित रूप से नहीं बढ़ी है। पिछले वर्ष 2023 में भारत में जनवरी से जून तक आए विदेशी पर्यटकों की संख्या 43.80 लाख रही है और यह 2023 में करीब एक करोड़ के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। लेकिन विदेशी पर्यटकों की यह संख्या कोविड-19 महामारी से पहले वर्ष 2018 में भारत आए 2.88 करोड़ विदेशी पर्यटकों की तुलना में अभी बहुत पीछे है।

इतना ही नहीं, भारत में विदेशी पर्यटकों की संख्या वृद्धि दुनिया के कई देशों की तुलना में कितनी कम है, इसका अनुमान हम इस तथ्य से लगा सकते हैं कि स्पेन में पिछले वर्ष 2023 की पहली छमाही में ही 37.50 करोड़ विदेशी पर्यटक गए थे। निश्चित रूप से लक्षद्वीप के जनवरी 2024 के शुरुआती पर्यटन घटनाक्रम से यह संदेश निकला है कि घरेलू पर्यटकों के तेजी से बढ़ते विदेश पर्यटन के कदमों को नियंत्रित करके उन्हें देश के पर्यटन स्थलों की ओर मोड़ा जा सकता है। हम उम्मीद करें कि सरकार लक्षद्वीप के हालिया घटनाक्रम तथा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों और दुनिया के ऊंचे क्रम के पर्यटन प्रधान देशों की तरह भारत में भी पर्यटन सेक्टर को और जीवंत बनाने की नई रणनीति के साथ वैश्विक पर्यटन की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पहली पंक्ति में आने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें कि देश में भी विदेशी पर्यटकों को रिझाने के लिए वीजा नीति उदार बनाई जाएगी और अल्प अवधि में बड़ी संख्या में वीजा निर्गम करने के लिए एक ठोस प्रशासनिक ढांचा तैयार किया जाएगा। हम उम्मीद करें कि सरकार अयोध्या में राम मंदिर, उज्जैन में महाकाल लोक और वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम जैसे आस्था केंद्र स्थलों का देश के कोने-कोने में विकास करेगी और वहां बुनियादी ढांचा व पर्यटन सुविधाओं को सुगम बनाएगी। निश्चित रूप से ऐसे में देश वर्ष 2030 तक विदेशी पर्यटकों से 56 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लक्ष्य को मुठ्ठियों में करने के लिए आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगा।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री