हमीरपुर की रजनी यूएई में नर्सिंग ऑफिसर, आर्थिक तंगी के बाद भी सपने साकार कर पेश की मिसाल

नादौन के साई की होनहार ने आर्थिक तंगी के बाद भी सपने साकार कर पेश की मिसाल

दिव्य हिमाचल ब्यूरो— हमीरपुर

हमीरपुर के नादौन उपमंडल के साई गांव की बेटी रजनी देवी मात्र 28 साल की उम्र में विदेश में नर्सिंग ऑफिसर बनी हैं। रजनी ने आर्थिक तंगहाली के बावजूद न केवल अपने सपने को साकार किया, बल्कि छोटे भाई और बहनों को भी उच्च शिक्षा दिलवाई। रजनी की माता की बात करें, तो वह आंगनबाड़ी में कार्यरत हैं और पिता के बारे में कुछ न ही कहें, तो ही बेहतर होगा। खैर, वर्तमान समय की बात करें, तो रजनी हाल ही में बतौर नर्सिंग ऑफिसर यूएई में सेवारत हुई हैं।

इससे पहले रजनी चंडीगढ़ के नर्सिंग कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं। उसके बाद यूपी में मात्र 28 साल की उम्र में उनकी काबिलीयत और उनके रिसर्च वर्क को देखते हुए उन्हें यूपी के भारत नर्सिंग कालेज में दो साल असिस्टेंट प्रोफेसर, फिर प्रोफेसर की सेवाओं के बाद प्रिंसीपल के पद पर तैनाती दी गई। रजनी के रिसर्च वर्क की बात करें, तो उन्होंने कोरोना काल में कोरोबेक्स वैक्सीन पर रिसर्च की थी। इसके अलावा मेदांता अस्पताल में इंफेक्शन को कंट्रोल करने के लिए क्लीनिकल रिसर्च किया था। रजनी की शिक्षा की बात करें, तो उनकी पूरी शिक्षा सरकारी स्कूलों में हुई। प्राइमरी तक की घलूं स्कूल में, दसवीं तक बटरान स्कूल में और मेडिकल स्ट्रीम में जमा दो कांगू सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की। रजनी की इस कामयाबी में उनकी माता अनीता देवी का काफी रोल रहा। आंगनबाड़ी में कार्यरत अनीता देवी पर पूरे परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी थी। उन्होंने सारी मुसीबतों को किनारे रखकर अपने बच्चों को स्टैंड करने के लिए अपने सारे दुख भुलाकर आगे बढऩे में विश्वास किया और आज सभी बच्चे बेहतर शिक्षा ले रहे हैं।

ट्यूशन पढ़ाकर बंटाती थीं मां का हाथ

रजनी की छोटी बहन शिवानी, जो कि यूनिवर्सल लॉ कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, बताती हैं कि रजनी जब जमा दो में पढ़ती थीं, तो घर का खर्च चलाने के लिए मां की मदद करने के लिए आसपास के छोटे बच्चों को पढ़ाती थी। वह कहती हैं कि मेरी दूसरी बहन शालू जो अब एमसीए कर रही हंै और छोटा भाई विशाल, जो बीटेक कर चुका है, सबको दीदी ने पढ़ाया है।