भाजपा को चुकानी होगी कीमत, मोटर व्हीकल एक्ट वापस न लेने से ड्राइवर-वाहन चालकों में गुस्सा

निजी संवाददाता — नारायणगढ़

लोकसभा चुनावों में भाजपा को ड्राइवर्स की नाराजगी भुगतनी पड़ेगी। भारतीय न्याय संहिता में कड़ी सजा व जुर्माने के कानून को संसद में वापस नहीं लेने पर ड्राइवर्स व वाहन चालकों में सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया है। सरकार के कानून वापसी के झूठे प्रचार का सीटू ने किया पर्दाफाश। संसद में बने कानूनों को वापस लेने का अधिकार संसद के पास है। गृह मंत्रालय को नही। ट्रांसपोर्ट वर्कर्स किसी बहकावे में आने वाले नहीं है। इसी के साथ आल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के आह्वान पर इंडिया गठबंधन में शामिल सभी राजनीतिक पार्टियों को ज्ञापन देने का ऐलान भी किया गया है। सीआईटीयू से संबद्ध दी ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन हरियाणा (1853) की जिला कमेटी बैठक कम्युनिटी हाल में प्रधान रफी मोहम्मद की अध्यक्षता में हुई जिसमें मनीर, सदीक मोहम्मद, धर्मवीर, रमजान, नाजिम, हरपाल सिंह, इमरान व नमन शामिल हुए।

सीटू नेता सतीश सेठी ने कानून को वापस लेने के सरकार के झूठे प्रचार की सिलसिलेवार जानकारी देते हुए कहा कि संसद में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह बनी भारतीय न्याय संहिताओ (बीएनएस) को गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर एक जुलाई 2024 से लागू कर दिया है। इसकी धारा 106 (1) में ड्राइवर व वाहन चालकों को दुर्घटना होने पर पांच साल की सजा का प्रावधान है। जबकि पहले वाले कानून में यह दो साल की सजा या जुर्माने का था। इसके साथ ही नई जोड़ी गई धारा 106 (2) में 10 साल की सजा व जुर्माने का कड़ा प्रावधान और कर दिया है। इन दोनों धाराओं में बढ़ाई गई सजाओ व जुर्मानों के खिलाफ ही नव वर्ष पर ड्राइवर्स ने देश भर में चक्का जाम किया था। आंदोलन के चलते सरकार ने 2 जनवरी को सभी पक्षो से बात कर कानून में संशोधन करने का वादा किया था।