मांगें मनवाने को संघर्ष करेंगे कांट्रैक्ट कर्मचारी, राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ मोर्चा, सबक सिखाने की तैयारी

लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ खोला मोर्चा, सबक सिखाने की तैयारी

दिव्य हिमाचल ब्यूरो— चंडीगढ़

चंडीगढ़ के सैकड़ों कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी बेरोजगार होने जा रहे हैं, जिसमें राजनीतिक पार्टियां और इनके दिग्गज नेता भी बराबर के भागीदार हैं। इनकी नीतियों के चलते कर्मचारी वर्ग सदैव पिसता आया है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में कर्मचारी वर्ग इन नेताओं को अपनी अहमियत से अवगत करवाएगा। यह कहना है आल कांट्रैक्चुअल कर्मचारी संघ भारत के जनरल सेके्रटरी शिवमूरत का। लोकसभा चुनावों से पहले हुई इस प्रेस वार्ता में हजारों कांट्रैक्ट, डीसी रेट, एनएचएम व आउटसोर्सिंग वर्कर्स ने शासन व प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपनी मांगों के प्रति लगातार संघर्ष करने का ऐलान कर दिया है। आल कांट्रैक्चुअल कर्मचारी संघ भारत ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि यूटी चंडीगढ़ में संवैधानिक विसंगति के चलते वर्ष 1992 से कर्मचारियों पर पंजाब सेवा नियम लागू थे। चंडीगढ़ प्रशासन ने केंद्रीय दिशा-निर्देशों अनुसार रिकू्रटमेंट रूल्ज के अभाव में पंजाब सेवा नियमों अनुसार सेंक्शन व अन्य पोस्टों पर हजारों की तादाद में कांट्रैक्ट, डीसी रेट व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के रूप में तकरीबन 20000 भर्तियां की, लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन ने कांट्रैक्ट कर्मचारियों को नियमित करने में कभी कोई पहल नहीं की, हालांकि डेली वेज कर्मचारियों के लिए वर्ष 2014-15 में सर्वोच्च न्यायालय के उमा देवी के निर्णय अनुसार दस साल की सेवा को नियमित किया गया।

परंतु कांट्रैक्ट कर्मचारियों पर न तो पंजाब की पालिसी अपनाई गई और न ही सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार केंद्रीय दिशा-निर्देशों की एकमुश्त पक्का करने की पालना की गई । संघ के नेताओं ने बताया कि प्रशासन की निर्णय लेने की अक्षमता व संवैधानिक विसंगति के चलते अफसरशाही अपनी मनमानी से पंजाब और केंद्रीय रूलों में पिक एंड चूज करती रही और कर्मचारी अपने लाभों के लिए कोर्ट की शरण लेते रहे। वर्ष 2022 में तीस वर्ष बाद संवैधानिक विसंगति को दूर करने के लिए चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियम लागू किए गए और केंद्रीय दिशा-निर्देशों अनुसार चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा सेंक्शन पोस्टों पर कार्यरत कांट्रैक्ट कर्मचारियों के पदों को खाली मान कर उन्हें नौकरी से बाहर निकालने की कवायद तेज कर दी गई है। प्रशासन द्वारा तीस वर्ष बाद केंद्रीय दिशा-निर्देशों अनुसार युद्ध स्तर पर रिकू्रटमेंट रूल पारित कर व खत्म पदों को पुनर्जीवित कर रेगुलर भर्तियों की तैयारी की जा चुकी है, जिसकी वजह से बिना किसी कसूर के कांट्रैक्ट कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार लटका दी गई है।