आशीष चौधरी को चाहिए आर्थिक मदद: भूपिंद्र सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

ओलंपिक जैसी बड़ी प्रतियोगिता की तैयारी के लिए बहुत अधिक संसाधनों व धन की आवश्यकता होती है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में किसी हद तक संसाधन व प्रशिक्षक तो मिल जाते हैं, मगर फिर भी इस सबसे अलग खिलाड़ी को अन्य कई प्रकार के खर्चों के लिए धन की जरूरत होती है। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाले अपने इकलौते खिलाड़ी को दिल खोलकर आर्थिक सहायता दे…

हिमाचल प्रदेश में विश्व स्तरीय खेल परिणामों के बारे में सोचना भी बहुत बड़ी बात है। यहां अभी तक न तो पर्याप्त खेल सुविधाएं हैं और न ही खेल संस्कृति। हिमाचल प्रदेश में व्यक्तिगत प्रयासों से 90 के दशक में कुछ जुनूनी प्रशिक्षकों ने विभिन्न स्थानों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए थे। वहां से प्रदेश को कई राष्ट्रीय पदक विजेता मिले हैं। खेल छात्रावासों के कारण टीम स्पर्धाओं में, विशेषकर कबड्डी व हैंडबाल में तो कई बार, मगर  कभी-कभी वालीबॉल में भी हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करता रहा है। हैंडबाल में स्नेहलता के व्यक्तिगत प्रयासों से ही उत्कृष्ट प्रदर्शन है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आज बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है। खेल उपकरणों से लेकर फूड सप्लीमेंट तक हर जीच बहुत महंगी है। आज विश्व स्तर पर बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा हो गई है। बहुत कम अंतराल से हार-जीत का निर्णय होता है। ऐसे में रिकवरी मीन की बहुत ज्यादा अहमियत हो जाती है।

रिकवरी के लिए फिर फूड सप्लीमेंट हो या मसाज व सोना वाथ, हर जगह बहुत अधिक दाम चुकाने पड़ते हैं। इस सब के लिए संसाधनों व धन की बहुत आवश्यकता होती है। हिमाचल प्रदेश का कोई खिलाड़ी यदि विश्व स्तर पर कुछ करने की अपनी क्षमता को सिद्ध करता है तो उसे हर प्रकार की सहायता प्रदेश सरकार से मिलनी चाहिए। बर्फ  के प्रदेश की संतानों ने पहाड़ की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को पार पाते हुए  खेल क्षेत्र में विश्व स्तर तक सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है। खेल जगत में ओलंपिक खेलों का विशिष्ट स्थान है। ओलंपिक में प्रतिनिधित्व करने के लिए संसार की कुछ चुनिंदा टीमों या व्यक्तिगत  क्वालीफाई रैंक में आने के लिए बहुत सी प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठतम प्रदर्शन करना पड़ता है। इसलिए कहा जाता है कि ओलंपिक खेलों में भाग लेना ही बहुत गर्व की बात है। हिमाचली खिलाडि़यों ने ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व ही नहीं किया है, अपितु संसार के इस उच्चतम खेल टूर्नामेंट में पदक भी जीते हैं। पद्मश्री चरणजीत सिंह 1964 टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता टीम के कप्तान रहे हैं। हमीरपुर के शूटर विजय कुमार ने 2012 लंदन ओलंपिक में रजत पदक विजेता बन कर भारत का गौरव बढ़ाया।

ऊना के मोहिंद्र लाल, बिलासपुर के अनंत राम, लाहुल-स्पीति के संकलांग दोर्जे, ऊना के दीपक ठाकुर व चंबा के बीएस थापा कुछ एक नाम हैं जिन्होंने भारत का विभिन्न खेल स्पर्धाओं  में ओलंपिक तक का सफर तय  किया है। विंटर ओलंपिक में छह बार भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले मनाली के शिवाकेशवन को इस साल का अर्जुन अवार्ड भी मिला है। पिछले खेल सत्र में संपन्न हुई ओलंपिक क्वालीफाई मुक्केबाजी प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश के आशीष चौधरी ने टोक्यो ओलंपिक का टिकट पक्का कर लिया था। यह क्वालीफाई अगले साल के लिए स्थगित हुए ओलंपिक में भी मान्य होगा। आशीष के लिए प्रशिक्षक नरेश कुमार के प्रशिक्षण में अपनी ट्रेनिंग का श्रीगणेश कर संसार के सबसे बड़े खेल महाकुंभ तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा है। पिता स्वर्गीय भगत राम व माता दुर्गा देवी के घर 18 जुलाई 1994 को सुंदरनगर शहर के साथ लगते जरल गांव में जन्मे आशीष की प्रारंभिक शिक्षा व कालेज की पढ़ाई सुंदरनगर में ही हुई। 2015 में केरल में आयोजित हुए राष्ट्रीय खेलों में हिमाचल प्रदेश के लिए स्वर्ण पदक विजेता बनने के साथ ही आशीष चौधरी ने 2020 ओलंपिक तक पहुंचने की आशा भी जगा दी थी।

पिछले वर्ष 2019 में संपन्न हुई एशियाई मुक्केबाजी प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर आशीष ओलंपिक क्वालीफाई के काफी नजदीक आ गया। 2015 से आशीष लगातार राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान पटियाला में चल रहे राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है। 2017 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने आशीष को खेल आरक्षण के अंतर्गत मंडी जिला की धर्मपुर तहसील का कल्याण अधिकारी नियुक्त किया। ओलंपिक जैसी बहुत बड़ी प्रतियोगिता की तैयारी के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में आने के बाद भी बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है। आशीष के पिता जी का लंबी बीमारी के बाद छह महीने पहले निधन हुआ है। आशीष के पिता स्वयं भी अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। साथ ही साथ वह बहुत अच्छे खेल प्रेमी भी थे। चौधरी परिवार ने मुक्केबाजी में और भी राष्ट्रीय पदक विजेता हिमाचल प्रदेश के लिए दिए हैं। कुश्ती में जौनी चौधरी राष्ट्रीय खेलों का स्वर्ण पदक विजेता है। ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद जहां इस बात का श्रेय आशीष ने अपने प्रशिक्षकों, खेल प्रशासकों व अपनी मेहनत को दिया, वहीं अपने पिता के योगदान को भी आगे रखा था। आशीष ने 2020 ओलंपिक, अब जो 2021 में होगा, के सफर की सफलता अपने स्वर्गीय पिता को समर्पित की है। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इस प्रतिभाशाली मुक्केबाज को सम्मानजनक आर्थिक सहायता प्रदान करे व उसे हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के समकक्ष पद पर पदोन्नत भी करे।

ओलंपिक जैसी बड़ी प्रतियोगिता की तैयारी के लिए बहुत अधिक संसाधनों व धन की आवश्यकता होती है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में किसी हद तक संसाधन व प्रशिक्षक तो मिल जाते हैं, मगर फिर भी इस सब से अलग खिलाड़ी को अन्य कई प्रकार के खर्चों के लिए धन की जरूरत होती है। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि अपने इकलौते ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाले खिलाड़ी को दिल खोलकर आर्थिक सहायता दे। चौधरी को चाहिए कि वह अब ओलंपिक तक पूरी ईमानदारी से अपने कोचिंग स्टाफ के साथ अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करे ताकि वह टोक्यो में स्वर्ण पदक विजेता बनकर तिरंगे को सबसे ऊपर लहरा कर जन गण मन की धुन पूरे विश्व को सुना सके। हिमाचल प्रदेश का खेल जगत अपने लाडले को ओलंपिक का टिकट पक्का करने पर एक बार फिर बधाई देता है तथा ओलंपिक में स्वर्णिम सफलता के लिए दुआएं देता है।

ईमेलः bhupindersinghhmr@gmail.com