सीखने की उम्र

मेरा प्रयास सिर्फ इतना सा है कि हम जो नया ज्ञान अर्जित करें, उसे सिर्फ शौक ही न रहने दें बल्कि उसका आर्थिक लाभ भी लें। आज जब मैं हैपीनेस गुरु से आगे बढ़ कर स्पिरिचुअल हीलर यानी आध्यात्मिक चिकित्सक के रूप में प्रसिद्धि पा चुका हूं तो अपने पास आने वाले लोगों को ये बताने से गुरेज नहीं करता कि खुश रहने के लिए शौक पालिए, पर यदि आप उन्हें बिजनेस में भी बदल सकें तो सोने पर सुहागा होगा। मुझे खुशी है कि खुशनुमा गपशप सरीखी मेरी बातचीत के इस तरीके के कारण भी बहुत से नए बिजनेस खुले हैं, सफल हुए हैं, उनके कारण नए रोजगार बने हैं और हम सब देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती में विनम्र योगदान कर पा रहे हैं…

पंजाब के एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए नामचीन बिजनेस गुरु शिव खेड़ा ने स्वीकार किया कि दो साल पहले तक उन्हें ईमेल करना नहीं आता था। सहायकों की टीम उनके काम निपटा देती थी। कोरोना काल में जब सारी दुनिया को लॉकडाउन से गुजरना पड़ा, दफ्तर बंद हो गए और अपने बहुत से काम खुद निपटाने की जरूरत आन पड़ी तो उन्होंने अपने पोते-पोतियों से ईमेल करना सीखा। कोरोना का सबसे बड़ा सबक यही है कि परिस्थितियां कब किसे विवश कर दें, कहना मुश्किल है, इसलिए जितना संभव हो, अपने कामों के लिए हमें आत्मनिर्भर होना चाहिए। जहां तक संभव हो अपने कामों से संबंधित टूल्स का ज्ञान होना चाहिए, उन्हें प्रयोग करना आना चाहिए। सहायक उपलब्ध हों, और रूटीन के काम खुद न करने पड़ें तो बहुत अच्छा है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि आवश्यकता होने पर हम किसी का मुंह ताकने के लिए विवश न हो जाएं। हम सब जानते हैं कि कर्नल सैंडर्स ने 65 वर्ष की उम्र में केएफसी की स्थापना की जो आज दुनिया भर में फैला है। उस वक्त जब उन्होंने केएफसी की स्थापना की तो बिजनेस नया था। नए बिजनेस को संभालना, चलाना, कर्मचारियों का चयन, नियुक्ति, प्रशिक्षण और उन्हें टिकाए रखना, ग्राहकों को अच्छी क्वालिटी का स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध करवाना, कच्चे माल की खरीद, व्यवसाय का प्रचार आदि सब उन्होंने उसी उम्र में किया।

तब क्या चुनौतियां नहीं आई होंगी। पैंसठ साल की उम्र में कर्नल सैंडर्स ने उन चुनौतियों का मुकाबला करने के कुछ नए तरीके तो अवश्य सीखे ही होंगे। खुद मैं अपनी बात करूं तो बुढ़ापे की इस उम्र में भी मैं अब भी हर रोज कुछ न कुछ नया सीख रहा हूं। कोरोना के कारण मार्च 2020 में जब हमारे कार्यालय बंद हुए तो लगभग साल भर तक नहीं खुले। हम सब अपने-अपने घरों से ही काम कर रहे थे। सहायक नहीं थे। कार्यालय में बैठ कर बहुत से काम जो मैं टीम के विभिन्न सदस्यों को सौंप सकता था, तब संभव नहीं थे, इसलिए बहुत से काम खुद करने की जरूरत आन पड़ी तो उन्हें करना शुरू किया। जैसे कोई नन्हा बच्चा चलना सीखते हुए लडख़ड़ाता है, कई बार गिरता भी है, लेकिन फिर चलना शुरू कर देता है, वही मेरे साथ भी हुआ। सहायकों द्वारा किए जाने वाले जो काम मैं खुद करता था, उनकी गुणवत्ता और पैकेजिंग बहुत अच्छी नहीं होती थी, पर शुरुआत हो गई। बहुत से काम ठीक ढंग से करने सीख लिए, हालांकि बहुत से काम अभी भी सीखने की स्टेज पर ही हूं। अपने काम खुद करने की प्रेरणा मुझे अपनी पोती की उम्र की एक छोटी सी बच्ची से मिली। तनावमुक्त जीवन जीने का प्रशिक्षण देने के कारण लोग मुझे हैपीनेस गुरु के रूप में जानते हैं। पिछले वर्ष मैं उस वक्त हैरान रह गया जब मेरी पुस्तकों के प्रकाशक डा. विनीत गेरा ने मेरा परिचय श्रीमती नित्या मेहता से करवाया। नित्या जी की तेरह साल की बिटिया स्निग्धा मेहता ने अपने उपन्यास का दूसरा भाग लिखा था और उसका प्रकाशन भी मेरे प्रकाशक द्वारा ही होना था, अत: डा. गेरा ने मुझसे अनुरोध किया कि मैं स्निग्धा के उपन्यास की भूमिका लिख दूं। मैं यह जानकर चमत्कृत था कि इस छोटी सी बच्ची ने इस कच्ची उम्र में न केवल उपन्यास लिखना सीखा, बल्कि एक प्रकाशित लेखिका बनने का गौरव भी प्राप्त किया। कोरोना ने बहुत सी नौकरियां छीन लीं, बहुत से व्यवसाय बंद हो गए, कई घर उजड़ गए और बहुत से लोग भगवान को प्यारे हो गए। इस कठिन समय में बहुत से लोग निराश हुए, हताश हुए या डिप्रेशन में चले गए। इस कठिन समय में मुझे यही उचित लगा कि मैं अपने देशवासियों की हरसंभव सहायता करूं।

तब मैंने स्पिरिचुअल हीलर की अपनी सेवाओं को ऑनलाइन भी देना आरंभ किया और लोगों को रोगमुक्त होने में सहायता की। पत्रकारिता की मेरी पृष्ठभूमि के कारण मैं अपने पास आने वाले लोगों से कई तरह के सवाल पूछता था ताकि उनके बारे में अधिक से अधिक जानकर उनकी व्यक्तिगत उन्नति में भी सहायक हो सकूं। इसी दौरान मेरी मुलाकात आकाशवाणी शिमला, जालंधर, जयपुर, दिल्ली आदि केंद्रों के मुखिया रह चुके प्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय विश्व प्रकाश दीक्षित ‘बटुक’ की अड़सठ वर्षीय सुपुत्री सुश्री माधवी दीक्षित से हुई। वे भी आकाशवाणी में वरिष्ठ पदों पर रह चुकी हैं और रिटायरमेंट के बाद खाली बैठने के बजाय कुछ नया करने और सीखने का शौक उन्हें मेरे संपर्क में ले आया। बातचीत के दौरान सुश्री दीक्षित के एक कथन ने मेरे ज्ञान चक्षु खोले। उन्होंने कहा कि ज्यादातर भारतीय ‘कर्स ऑफ नालेज’, यानी ज्ञान के अभिशाप नामक रोग से ग्रसित हैं। ‘कर्स ऑफ नालेज’ का खुलासा करते हुए उन्होंने मुझे बताया कि आम भारतीय या तो यह मानता है कि वह सब कुछ जानता है और उसे कुछ भी नया सीखने की जरूरत नहीं है। इसका दूसरा पहलू यह है कि हमारे पास जो ज्ञान है, हम उसकी महत्ता नहीं समझते और उसे व्यवसाय बनाने या उससे आर्थिक लाभ लेने की कोशिश नहीं करते, तीसरा पहलू यह है कि हम बिना कोशिश किए ही यह मान लेते हैं कि अमुक काम हमारे बस का नहीं है और चौथा पहलू यह है कि अक्सर हम उम्र का बहाना बना कर कुछ नया सीखने से इन्कार कर देते हैं कि लोग क्या सोचेंगे।

उनका यह खुलासा हमें नई दिशा देने में समर्थ है। कोशिश किए बिना ही हार मान लेना गलत है, और कुछ नया करने या नया सीखने की कोई एक उम्र नहीं होती, हर उम्र में नया ज्ञान सीखा जा सकता है, नया कुछ किया जा सकता है। इसमें मैं अपनी ओर से इतना ही जोडऩा चाहूंगा कि हमारे पास बहुत सा ऐसा ज्ञान होता है, जिसे व्यवसाय में बदलकर उससे आर्थिक लाभ लेना संभव है। इसके लिए सिर्फ कल्पनाशक्ति की आवश्यकता है। स्पिरिचुअल हीलिंग के अपने शौक को मैंने व्यवसाय में बदला। तकनीक का सहारा लेकर हीलिंग का ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया। आज भी मेरा वह अनुभव कायम है कि हर उम्र के लोग जीवन का उत्साह बनाए रखने के लिए कुछ न कुछ नया सीखना ही चाहते हैं। नई बातें सीखने से हमारा दिमाग चुस्त रहता है और भूलने की बीमारी नहीं घेरती। मेरा प्रयास सिर्फ इतना सा है कि हम जो नया ज्ञान अर्जित करें, उसे सिर्फ शौक ही न रहने दें बल्कि उसका आर्थिक लाभ भी लें। आज जब मैं हैपीनेस गुरु से आगे बढ़ कर स्पिरिचुअल हीलर यानी आध्यात्मिक चिकित्सक के रूप में प्रसिद्धि पा चुका हूं तो अपने पास आने वाले लोगों को ये बताने से गुरेज नहीं करता कि खुश रहने के लिए शौक पालिए, पर यदि आप उन्हें बिजनेस में भी बदल सकें तो सोने पर सुहागा होगा। मुझे खुशी है कि खुशनुमा गपशप सरीखी मेरी बातचीत के इस तरीके के कारण भी बहुत से नए बिजनेस खुले हैं, सफल हुए हैं, उनके कारण नए रोजगार बने हैं और हम सब देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती में विनम्र योगदान कर पा रहे हैं।

पीके खु्रराना

हैपीनेस गुरु

ई-मेल: indiatotal.features@gmail.com