भूटान : सादगी का वैभव

By: Jan 23rd, 2017 12:05 am

प्रकृति की गोद में बसा भूटान एक ऐसा देश है, जो खुशहाली पर जोर देता है। जहां पूरी दुनिया का जोर जीडीपी यानी ‘सकल घरेलू उत्पाद’ पर होता है, वहीं भूटान अपने नागरिकों का जीवन स्तर जीएनएच यानी ‘सकल राष्ट्रीय खुशी’ से नापता है। यह एक बड़ा फर्क है जो भूटान को पूरी दुनिया से अलग करता है।

इस मुल्क में सैनिकों से ज्यादा भिक्षु हैं। कोई भी व्यक्ति हड़बड़ी में नहीं दिखाई पड़ता है। भौतिकवादी दुनिया से बेफिक्र यह मुल्क आत्मसंतोष और अंदरूनी ख़ुशी को ज्यादा तरजीह देता है। भारत और चीन के बीच घिरे इस छोटे से मुल्क की आबादी लगभग पौने 8 लाख है, जिसमें ज्यादातर लोग बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं। भूटान में लोकतंत्र और संवैधानिक राजशाही है। राजशाही यहां 1907 से है, लेकिन 2008 में यहां के राजा ने खुद से आगे बढ़ कर लोकतंत्र की घोषणा की। शायद यही वजह है कि भूटानी अपने राजा को बहुत सम्मान की दृष्टि देखते हैं। भूटान के ‘पारो’ और ‘थिम्फू’ दो प्रमुख शहर हैं। थिम्फू  भूटान की राजधानी है, वही पारो तो जैसे सपनों का शहर है। शांत और ठहरा हुआ, जो सुकून देता है। पारो घाटी से दिखने वाली सुंदरता आपको मदहोश कर देती है। यह एक ऐसा शहर है, जहां की सादगी के वैभव में आप खो सकते हैं। पारो में भूटान का इकलौता हवाई अड्डा भी है। भूटानी अपनी संस्कृति व पर्यावरण को लेकर बहुत संवेदनशील हैं। संभवतः यह दुनिया का अकेला कार्बन   नेगेटिव देश है। यहां की 70 प्रतिशत जमीन पेड़-पौधों से ढकी है। इस देश की नीतियों और आदतों दोनों में पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जाता है। भूटान के संविधान के अनुसार यहां के जमीन का 60 प्रतिशत हिस्सा जंगलों और पेड़ पौधों के लिए संरक्षित रखना अनिवार्य है। यहां प्राकृतिक सौंदर्य व संपदा के बदले  आर्थिक लाभों को महत्त्व नहीं दिया जाता है। साल 1999 से यहां प्लास्टिक की थैलियां भी प्रतिबंधित हैं। भूटानवासी भी पर्यावरण को लेकर बहुत सचेत होते हैं। भूटान में बहुत कम संख्या में निजी वाहन हैं। ज्यादातर लोग सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते हैं। भूटान में चारों तरफ  हरियाली ही हरियाली है, इसके बावजूद  लोग अपने घरों में अलग से बगीचा लगाते हैं। भूटानी लोग प्रकृति का बहुत सम्मान करते हैं। उनका प्रकृति के प्रति प्रेम महसूस किया जा सकता है।ं वे इन पहाड़ों से दिल से जुड़े हुए हैं। इसी कारण दुनिया के दूसरे मुल्कों के लिए एक मिसाल बन जाता है। देश में संसाधन कम होने के बावजूद सरकार लोगों की बुनियादी जरूरतों के प्रति संवेदनशील है और शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं पर विशेष ध्यान देती है। यहां कानून व्यवस्था भी काफी अच्छी है और अपराध दर व भ्रष्टाचार भी बहुत कम है। कानून का कड़ाई से पालन भी किया जाता है। भूटान के लोग बहुत मिलनसार और अपनत्व से भरे हुए होते हैं। उनमें भारतीयों के प्रति एक अलग ही अपनापन और लगाव देखने को मिलता है। वे भारतीयों को अपने से अलग नही मानते हैं। इसका प्रमुख कारण भूटान का भारत के साथ पुराना सांस्कृतिक रिश्ता है।

ग्रास हैप्पीनेस इंडेक्स का विचार 1972 में यहां के सम्राट जिग्मे सिंग्ये वांगचुक सामने लाए थे, उसके बाद भूटान ने तय किया कि उनके देश में समृद्धि का पैमाना जीडीपी नहीं बल्कि उन चीजों को बनाया जाएगा, जो नागिरकों को खुशी व इनसान और प्रकृति के बीच सामंजस्य पैदा करते हों। यह एक जबरदस्त विचार था। भूटान ने अपने सकल राष्ट्रीय खुशहाली में मापक के तौर पर सामाजिक विकास, सांस्कृतिक संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और गुड गवर्नेंस जैसी बातों को शामिल किया  है। भूटान में 1972 से ग्रास हैप्पीनैस इंडेक्स लागू होने के बाद जीवन प्रत्याशा बढ़ी है, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के पहुँच तकरीबन पूरी आबादी तक हुई है। धीरे-धीरे ही सही विकास और खुशी को लेकर दुनिया का नजरिया बदल रहा है। अब दुनिया भूटान के विचारों पर ध्यान दे रही है। 2010 में ब्रिटेन में भी ‘वेल बीईंग एंड हैप्पीनैस इंडेक्स’ की शुरुआत की गई। साल 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने प्रस्ताव पारित कर हैप्पीनैस इंडेक्स के विचार को अपने एजेंडे में शामिल किया। इसी तरह से 2013 में वेनेजुएला में ‘मिनिस्ट्री ऑफ हैप्पीनेस’ बनाई गई। यूएई ने भी ‘हैप्पीनेस और टॉलरेंस मिनिस्ट्री’ बनाई है। भारत में मध्य प्रदेश इस तरह का विभाग बनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। भूटान का मॉडल दुनिया के भविष्य का मॉडल है। इसे अपनाना आसान नहीं है, लेकिन और कोई विकल्प भी तो नहीं बचा है। अगर कभी भूटान जाने का मौका मिले, तो वहां प्रकृति से सामंजस्य बना कर खुश रहने का सबक लेना मत भूलिएगा, भूटान भविष्य है।

-जावेद अनीस, सी-16, मिणाल इन्क्लेव, गुलमोहर कॉलोनी 3,ई-8, एरिया कॉलोनी भोपाल, मध्य प्रदेश


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