स्कूली बस हादसे

By: Jan 30th, 2017 12:05 am

(देव गुलेरिया, योल कैंप, धर्मशाला)

कानपुर में हुए स्कूल बस हादसे का दृश्य इतना दर्दनाक कि कोई भी इनसान उसे देखकर दहल जाए। उन स्कूली नन्हे नौनिहालों के बिखरे स्कूली बैग-किताबें सड़क पर हमारी स्कूली व्यवस्था को दर्शा रहे थे। रोते-बिलखते वे मां-बाप अपने उन नन्हे बच्चों को कभी फिर न देख सकेंगे। सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों की धज्जियां किस कद्र यह स्कूल प्रबंधक, वाहन मालिक उड़ा रहे हैं, कभी किसी सरकारी अधिकारी या फिर मां-बाप के जहन में यह प्रश्न नहीं उठा? कितने ही ऐसे हादसे हर रोज देखने-सुनने में आते हैं, फिर भी हम क्यों इनकी अनदेखी कर देते हैं? मां-बाप जब बच्चों को वाहन में बिठाने या लेने आते हैं, तो वे क्यों देखने में असमर्थ रहते हैं कि उस वाहन की क्षमता कितनी है और चालक कितने बच्चे बिठा रहा है? क्या कभी उन्होंने पीटीए बैठक में ये प्रश्न स्कूल प्रबंधन के समक्ष उठाए? क्या इन समस्याओं के निदान हेतु मां-बाप, स्कूल प्रबंधन या सरकार का  कोई योगदान नहीं होना चाहिए? कृपया मां-बाप निर्धारित मापदंडों के पालन का विषय स्कूल प्रबंधकों के समक्ष उठाएं। संबंधित विभाग के अधिकारी आकस्मिक जांच द्वारा निर्धारित मापदंडों का कठोरता से पालन करवाएं और दोषियों को दंडित करें। अगर हम सब मिलकर सही कदम उठाएं, तभी ऐसी घटनाएं भविष्य में रोकी जा सकती हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस हादसे से हम सभी सबक लेंगे और आने वाले वक्त में ऐसे हादसों से बचने के लिए प्रयास करेंगे।

 


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