स्पीति की पारंपरिक राजधानी है डनकर
डनकर जो स्पीति की एक पारंपरिक राजधानी है, एक बड़ा गांव है और पूर्व में स्पीति के राजा की राजधानी थी। पहाड़ी की चोटी पर किला जो पुराने दिनों में जेल के रूप में प्रयोग होता था, सारे दृश्य का स्वामित्व रखता है, जिसमें 160 से अधिक लामा, भोटी भाषा में बुद्ध धर्म की धार्मिक पुस्तकें और ध्यान बुद्ध का बुत्त है…
डनकर गोम्पा
यह गोम्पा मध्य स्पीति के पूर्वी भाग की जनसंख्या की सेवा कर रहा है। डनकर जो स्पीति की एक पारंपरिक राजधानी है, एक बड़ा गांव है और पूर्व में स्पीति के राजा की राजधानी थी। पहाड़ी की चोटी पर किला जो पुराने दिनों में जेल के रूप में प्रयोग होता था, सारे दृश्य का स्वामित्व रखता है, जिसमें 160 से अधिक लामा, भोटी भाषा में बुद्ध धर्म की धार्मिक पुस्तकें और ध्यान बुद्ध का बुत्त है, जिसमें चार आकृतियां पीठ से पीठ लगाकर बैठी हुई हैं। ये आकृतियां चार से पांच शताब्दियों पुराने मठ, जो 13500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है, की शोभा बढ़ा रही हैं।
देहरा गोपीपुर
यह ब्यास नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। देहरा को भिन्न-भिन्न मछली पकड़ने के केंद्रों जैसे पौंग बांध, पत्तन कुरुं और नादौन के आधार रूप में प्रयोग करना संभव है। चिंतपुर्णी मंदिर यहां से बहुत दूर नहीं है।
धर्मकोट
धर्मकोट, मकलोडगंज से 2 किलोमीटर ऊपर पहाड़ी पर धैलाधार की गोद में स्थित एक छोटा सा गांव है। इस गांव को इजरायल से बहुत संख्या में पर्यटकों की उपस्थिति के कारण छोटा इजराइल भी कहा जाता है। इजराइल के पर्यटक इस गांव के इतने शौकीन थे कि कुछ ने तो अपना विवाह संस्कार यहां संपन्न करवाया।
इजरायल के पर्यटक इस गांव में लगभग सारा वर्ष मौजूद रहते हैं। धर्मकोट गृह पर्यटन उद्योग का एक उदाहरण है, जिसे हमारी सरकार प्रोन्नत करना चाहती है। विदेशी सैलानी विशेषकर इजरायली पर्यटकों की स्थिर मांग के कारण गांव के बाशिंदों ने अपने घरों को अतिथि गृह में बदल दिया है।
धौलाकुआं
यह जिला सिरमौर में विशाल व विस्तृत फैले बागीचों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें नींबू प्रजाति के पौधे, फल विधायन कारखाने, विभिन्न प्रकार के जूस, जैम, आचार और डिब्बाबंद उत्पाद शामिल हैं। धौलाकुआं से थोड़ी दूरी पर कटासन देवी का मंदिर है, जहां राजा जगत सिंह ने एक बड़े युद्ध में गुलाम कादिर रोहिला की बढ़ती हुई सेना को हराया था। उस विजय के स्मरणार्थ कृतज्ञता प्रकट करने के लिए राजा ने देवी मंदिर बनवाया था।
देवी कोठी
चंबा में यह छोटा सा गांव देवी चामुंडा के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह 1754 ई. में बनाया गया था। इसमें लकड़ी की नक्काशी का सुंदर कार्य हुआ है।
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