हफ्ते का खास दिन

By: Jan 8th, 2017 12:05 am

विश्व हिंदी दिवस

10 जनवरी 2017

विश्व हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता पैदा करना तथा हिंदी को अंतराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी में व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं।

इतिहास

विश्व हिंदी दिवस पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का पत्र

विश्व में हिंदी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिंदी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था। इसलिए इस दिन को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी, 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिंदी दिवस के रूप मनाए जाने की घोषणा की थी। उसके बाद से भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी, 2006 को पहली बार विश्व हिंदी दिवस मनाया था। इसका उद्देश्य विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता पैदा करना तथा हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी में व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। नार्वे में पहला विश्व हिंदी दिवस भारतीय दूतावास ने तथा दूसरा और तीसरा विश्व हिंदी दिवस भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वाधान में लेखक सुरेशचंद्र शुक्ल की अध्यक्षता में बहुत धूमधाम से मनाया गया था। इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के सभागार में, रविवार 10 जनवरी, 2010 को, विश्व हिंदी सचिवालय, शिक्षा, संस्कृति एवं मानव संसाधन मंत्रालय, भारतीय उच्चायोग, इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र तथा हिंदी संगठन के मिले-जुले सहयोग से विश्व हिंदी दिवस 2010 मनाया गया, जिसमें मुख्य अतिथि हंगरी के भारोपीय शिक्षा विभाग से आई हुई डा. मारिया नेज्यैशी थी, इस उपलक्ष्य पर विश्व हिंदी सचिवालय की एक रचना एक विश्व हिंदी पत्रिका का भी लोकार्पण गणराज्य के राष्ट्रपति माननीय सर अनिरु जगन्नाथ जी के कर-कमलों द्वारा हुआ। इस अवसर पर भारतीय उच्चायोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर पर कविता-प्रतियोगिता के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया, सम्मान उन सभी नवोदित कवियों का वास्तव में रहा जिनको अपनी कलात्मकता प्रेषित करने का एक मंच प्राप्त हुआ।


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