…आटे पर भगवान शिव चरणों के निशान

By: Feb 24th, 2017 12:05 am

भरमौर —  बेशक भगवान की मौजूदगी को लेकर एक यक्ष प्रश्न दुनिया के सामने खड़ा रहता है, लेकिन महाशिवरात्रि पर्व की अगली सुबह चंबा जिला के भरमौर स्थित चौरासी मंदिर में फर्श पर बिछाए आटे पर चरणों के निशान के आगे सारे मिथक भी टूट जाते थे। मंदिर के भीतर बिस्तर पर किसी के सोने का एहसास और हुक्के से गायब बूटी हर किसी शख्स को पल भर के लिए सोचने पर मजबूर कर देती थी। पूर्व ही यहीं वह तमाम तथ्य और घटनाएं थीं, जो भगवान भोलेनाथ की चौरासी मंदिर में मौजूदगी की बातों को ओर पुख्ता कर देती थी। बहरहाल मौजूदा समय में मंदिर के भीतर बिस्तर और हुक्का बूटी सहित रखने की परंपरा को पुजारी वर्ग बखूबी निभा रहा है। जानकारी के अनुसार शिवरात्रि पर्व को लेकर भरमौर में मान्यता है कि इस दिन भगवान भोले नाथ पाताल लोक से कैलाश पर्वत की ओर रुख कर लेते हैं। मान्यता के तहत भगवान भोले नाथ शिवरात्रि वाले दिन भरमौर स्थित शिव मंदिर में विश्राम करते हैं। वहीं इस बात का उल्लेख शिव भजन शिव कैलाशों के वासी से भी मिलता है। जिसमें एक पंक्ति एक तो डेरा तेरा चंबे रे चौगान दूजा लाई दित्ता भरमौरा शामिल है। जिसमें भगवान भोले नाथ का कैलाश पर्वत तक पहुंचने का वर्णन किया गया है। उधर, मंदिर के पुजारी गोविंद शर्मा बताते है कि विश्व प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा के बडे़ न्हौण के बाद भगवान भोले नाथ पाताल लोक की ओर अपना रुख कर लेते है। और महाशिवरात्रि पर्व के अगले दिन अपने निवास स्थान कैलाश पर्वत पर पहुंच जाते है। लिहाजा क्षेत्रवासियों के लिए महाशिवरात्रि का यह पर्व किसी बड़े उत्सव के कम नहीं होता है। वह बताते है कि शिवरात्रि के दिन चौरासी मंदिर परिसर स्थित भगवान भोलेनाथ के मंदिर में उनके विश्राम के लिए बिस्तर सजाया जाता है और हुक्का भी बूटी के साथ भरकर रखा जाता है। लिहाजा पूर्व में हुई घटनाओं के मुताबिक अगली सुबह मंदिर में भगवान की उपस्थिति का सबूत यहां बिछाए आटे पर चरणों के निशान होते थे और सजा कर रखा बिस्तर पर भी किसी के सोने का एहसास प्रत्यक्ष रूप से करवाता था। इसके अलावा बूटी से भरा हुक्का भी खत्म होता था। उनका कहना है कि शिवरात्रि पर्व के लेकर भरमौर की जनता को खासा उत्साह रहता है और इस पर्व को क्षेत्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। वह बताते हैं कि शिवरात्रि पर्व पर भरमौर क्षेत्र के अलावा अन्य हिस्सों से भी लोग प्राचीन शिव मंदिर में माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं। उल्लेखनीय है कि जिले के भरमौर क्षेत्र में स्थित कैलाश पर्वत का भगवान भोले नाथ का निवास स्थान माना जाता है। वहीं यहां पर हर वर्ष जन्माष्टमी से लेकर राधा अष्टमी तक विश्व प्रसिद्व मणिमहेश यात्रा का भी आयोजन होता है।


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