कविताएं

By: Feb 27th, 2017 12:04 am

तुम्हारे बिना मैं यतीम हो जाता

तेरे बिना हमारी दुनिया ,

होती जैसे अंधेरी गुफा

सूरज क्या होता है वह तो

बिलकुल इतना समझ न पाती,

या वह ऐसा अंबर होती,

जिसमें तारा एक न चमके

या फिर ऐसा प्यार कि

जिसमें आलिंगन का स्नेह , न बाती।

दुनिया होती सागर जैसी,

मगर नीलिमा से अनजानी

हिम आच्छादित,धवल छटा से,

जो मनमोहक ,चिर, सुंदर,

या फिर ऐसा उपवन होती,

जिनमें कलियां ,सुमन न खिलते,

जहां न गाती मधुर बुलबुलें,

जहां ने टिड्डों का मधुर स्वर।

पातहीन सब तरूवर होते

भद्दे, भोंडे ,काले,

गर्मी नहीं, न जाड़ा होता ,

न बसंत, केवल पतझर,

लोग असभ्य सभी हो जाते ,

दीन-हीन से,  भाव-शून्य से

रहा गीत…तो गीत न लेता जन्म

कभी इस धरती पर ।

-रसूल हमजातोव

भूखे लोगों

अपना हाथ बढ़ाओ

कविता की ओर

हथियार है कविता ,

नेतृत्व का दायित्व

लेना ही पड़ेगा…।

– बर्तोल ब्रेख्त, जर्मन कवि


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