कविताएं
तुम्हारे बिना मैं यतीम हो जाता
तेरे बिना हमारी दुनिया ,
होती जैसे अंधेरी गुफा
सूरज क्या होता है वह तो
बिलकुल इतना समझ न पाती,
या वह ऐसा अंबर होती,
जिसमें तारा एक न चमके
या फिर ऐसा प्यार कि
जिसमें आलिंगन का स्नेह , न बाती।
दुनिया होती सागर जैसी,
मगर नीलिमा से अनजानी
हिम आच्छादित,धवल छटा से,
जो मनमोहक ,चिर, सुंदर,
या फिर ऐसा उपवन होती,
जिनमें कलियां ,सुमन न खिलते,
जहां न गाती मधुर बुलबुलें,
जहां ने टिड्डों का मधुर स्वर।
पातहीन सब तरूवर होते
भद्दे, भोंडे ,काले,
गर्मी नहीं, न जाड़ा होता ,
न बसंत, केवल पतझर,
लोग असभ्य सभी हो जाते ,
दीन-हीन से, भाव-शून्य से
रहा गीत…तो गीत न लेता जन्म
कभी इस धरती पर ।
-रसूल हमजातोव
भूखे लोगों
अपना हाथ बढ़ाओ
कविता की ओर
हथियार है कविता ,
नेतृत्व का दायित्व
लेना ही पड़ेगा…।
– बर्तोल ब्रेख्त, जर्मन कवि
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