निचले हिमाचल में चंद्रागिरी
सफलता मिलने पर प्रभावी तरीके से शुरू करवाई जाएगी खेती
बिलासपुर — हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्र में अब चंद्रागिरी नामक कॉफी की विशेष प्रजाति की खेती की जाएगी। इस बाबत कॉफी बोर्ड जल्द ही प्रदेश के किसानों को बीज उपलब्ध करवाएगा। यह बीज इच्छुक किसान बागवानों को प्रायोगिक तौर पर दिया जाएगा। प्रयोग सफल रहने पर कॉफी को वाणिज्यिक फसल के रूप में तैयार किया जाएगा। कॉफी बोर्ड के निदेशक डा. विक्रम शर्मा ने खबर की पुष्टि की है। बुधवार को बातचीत में डा. शर्मा ने बताया कि कॉफी बोर्ड भारत सरकार ने देश भर में आगामी सत्र में 32000 मीट्रिक टन कॉफी उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। इस बाबत बड़े स्तर पर देश भर में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और हिमाचल प्रदेश में भी किसान बागवानों को कॉफी उत्पादन के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि चंद्रागिरी नामक बीज कॉफी की स्पेशल वेरायटी है जिस पर उन्होंने खुद प्रयोग किया है। जलवायु के हिसाब से निचले क्षेत्र के लिए यह बीज सफल माना गया है लिहाजा अब निचले हिमाचल में चंद्रागिरी नामक बीज का उत्पादन शुरू करवाया जाएगा जिसके लिए जल्द ही कॉफी बोर्ड के माध्यम से बीज किसानों तक पहुंचाया जाएगा। इस बाबत वह खुद गंभीरता से प्रयासरत हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि कर्नाटक का चिकमंगलूर हिमाचल प्रदेश के निचले इलाके की तरह वाणिज्यिक फसलों से विहीन था लेकिन देश में सबसे पहले कॉफी के पौधे कर्नाटक के चिकमंगलूर नामक स्थान की की पहाड़ी बुडन गिरी पर एक महान मुस्लिम फकीर बाबा बुडनशाह गिरी द्वारा तैयार किए गए थे। शाह हज़ के लिए मक्का की यात्रा पर गए थे वापस आते वक्त यमन नामक देश में उन्होंने विश्राम किया तथा उन्हें वहां के स्थानीय नागरिकों द्वारा एक पेय पेश किया गया जिसे पीते ही बाबा बुडन शाह ने शरीर पर एक अलग तरह का थकान मिटाने वाला प्रभाव देखा। उन्होंने वहां से चोरी छिपे 7 बीज अपनी धोती में बांधकर भारत पहुंचाए थे। आज आज भारत दुनिया की कुल कॉफी उत्पादन में सातवें स्थान पर है जिसमें ब्राज़ील प्रथम स्थान पर है।
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