मूर्ख बंदर और चंद्रमा

By: Feb 5th, 2017 12:05 am

एक रात एक छोटा बंदर कुएं पर पानी पीने के लिए गया। जब उसने  कुएं  में झांककर देखा तो उसे पानी में चंद्रमा झिलमिलाता हुआ दिखाई दिया।  पहले तो सोचने लगा कि मैं जागते-जागते सपना तो नहीं देख रहा। फिर उसने आंखें झपट कर  देखा  तो लगा कहने, यह तो सच्चाई है कि चंद्रमा पानी में गिर गया है। यह देखकर वह बहुत डर गया और दूसरे बंदरों को यह बात बताने के लिए दौड़ा। दोस्तो..2 वह चिल्लाया चंद्रमा पानी में गिर गया है।  कहां किस जगह दूसरे बंदरों ने पूछा। मेरे साथ आओ! मैं तुम्हें दिखलाऊंगा छोटे बंदर ने कहा। छोटा बंदर उन्हें  कुएं  तक ले गया। वे सभी झुंड बनाकर  कुएं  में झांकने लगे। अरे हां! चंद्रमा तो पानी में गिर गया है। वे चिल्लाए  हमारा सुंदर चंद्रमा  कुएं में गिर गया! अब रात में अंधेरा हो जाएगा और हमें डर लगेगा। अब हम क्या करें। मेरी बात सुनो एक बूढ़े बंदर ने कहा हम सिर्फ एक ही काम कर सकते हैं, हमें चंद्रमा को  कुएं  से निकालने की कोशिश करनी चाहिए। हां..हां जरूर सभी उत्साह से बोले, हमें बताओ कि ऐसा कैसे करें। वह देखो  कुएं  के ऊपर पेड़ की एक डाली लटक रही है। हम सभी उसमें लटक जाएंगे और चुटकियों में चंद्रमा को कुंए से निकाल लेंगे। बहुत अच्छा तरीका है। सब चिल्लाए चलो, डाली पर लटकें। देखते ही देखते बहुत सारे बंदर उस पतली सी डाली से लटक गए और  कुएं  के भीतर झूलने लगे। उनमें से एक बंदर  कुएं  के भीतर पानी में हाथ डालकर चंद्रमा को निकालने वाला ही था कि ऊपर से पेड़ की डाली टूट गई। सभी मूर्ख बंदर  कुएं  में गिरकर पानी में डूब गए। चंद्रमा आकाश में स्थिर चमकता रहा।


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