लक्ष्य को न साधने वाली विद्या व्यर्थ ही है

By: Feb 8th, 2017 12:15 am

ज्ञान एक ऐसा शक्तिशाली हथियार है जिसके द्वारा हम स्वयं के साथ-साथ विश्व को भी बदल सकते हैं और ज्ञान ही आपको आपका हक दिलाता है। शास्त्रों में तो यहां तक वर्णित है कि यदि लक्ष्य की सिद्धि न हो तो वह विद्या व्यर्थ है…

वर्तमान प्रगतिशील दुनिया में प्रत्येक मानवमात्र की यह हार्दिक इच्छा होती है कि वह एक सफल इनसान बने, सफल कहलाए अथवा समाज के अन्य नागरिक उसकी सफलता का उदाहरण दें। क्या वास्तव में सफलता पाने की डगर इतनी ही आसान है ? हमें यह भी नहीं भूलना है कि जिस समाज, पास-पड़ोस एवं कार्यक्षेत्र में हम रहते हैं वहां के लोगों के आचरण, व्यवहार एवं कार्यशैली से हम प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते हैं। लिहाजा सफलता प्राप्ति से जुड़े सूत्रों पर प्रतिदिन अध्ययन, चिंतन, मनन एवं आचरण करने से ही हम अपना एक अलग उच्च चारित्रिक व्यक्तित्व का निर्माण कर सकते हैं एवं दूसरों के लिए आदर्श उदाहरण बन सकते हैं। हमें अपने दिन की शुरुआत हंसी, मेल-मिलाप और आत्मीयता से परिपूर्ण होकर करनी चाहिए। निश्चित रूप से इससे हमारा सारा दिन भी प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। वस्तुतः प्रसन्नता रेडीमेड नहीं मिलती है, इसे हम अपने अच्छे कार्यों एवं अच्छी सोच से प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए जरूरी है कि हमारे मन में उसको पाने के प्रति अदम्य इच्छा हो। इसलिए सपने को सच करने से पहले सपना देखना निहायत ही जरूरी है। इसके लिए हमारा लक्ष्य पहले से ही निर्धारित होना चाहिए वर्ना लक्ष्यविहीन होकर हम यहां-वहां भटककर अपनी ऊर्जा बर्बाद करते रहेंगे। अपने मिशन में कामयाब होने के लिए हमारी एकमात्र साधना अपने लक्ष्य को पाने की होनी चाहिए। लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि हम अच्छा निर्णय अच्छे ज्ञान एवं विवेक के आधार पर ही ले सकते हैं। ज्ञान एक ऐसा शक्तिशाली हथियार है जिसके द्वारा हम स्वयं के साथ-साथ विश्व को भी बदल सकते हैं और ज्ञान ही आपको आपका हक दिलाता है। शास्त्रों में तो यहां तक वर्णित है कि, ‘‘यदि लक्ष्य की सिद्धि न हो तो वह विद्या व्यर्थ है।’’ अर्थात दोष विद्या, ज्ञानार्जन में नहीं है बल्कि दोष उस प्राणी मात्र का है जो विद्या के होते हुए भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाया। इसलिए हमेशा सही मार्ग पर चलते हुए हमे प्रगति पथ पर अग्रसर होना चाहिए। एक कामयाबी मिलने के बाद आप ठहरें नहीं, तत्काल दूसरे लक्ष्य की प्राप्ति में जुट जाएं। कहते हैं कि हम जैसा सोचते हैं हम वैसा ही बन जाते हैं, इसलिए अपनी सोच ऊंची एवं सकारात्मक रखें। यह भी याद रखें कि जीवन में आप रुपया-पैसा कमाकर वह प्रभाव नहीं पैदा कर सकते हैं, जैसा प्रभाव जीवन मूल्यों एवं नैतिकता से परिपूर्ण जीवन द्वारा छोड़ सकते हैं। अमूमन आपकी कामयाबी ही आपके दुश्मनों एवं आपका अहित चाहने वालों के लिए एक करारा सबक होती है। इसलिए सफलता के सुपथ पर आने वाली प्रत्येक बाधा और रुकावट से कभी भी अपना मनोबल कमजोर न होने दें और कठोर परिश्रम करने से कभी जी न चुराएं।

अनुज कुमार आचार्य, बैजनाथ


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