सेना के मोर्चे पर लेफ्टिनेंट मोनिका

By: Feb 12th, 2017 12:07 am

देशसेवा के लिए प्रदेश की लड़कियां बहुत ही उत्सुक हैं। देश सेवा की भावना लड़कियों में इस कद्र है कि प्रदेश में सरकारी नौकरी को छोड़ सेना में भर्ती हो रही हैं। इसका ताजा उदहारण हाल ही में धर्मपुर उपमंडल की सिधपुर पंचायत के डेढल गांव की मोनिका हैं, जो हाल ही में सेना में लेफ्टिनेंट चयनित हुई हैं। मोनिका नेरचौक में बतौर स्टाफ नर्स चुनी गई थीं, लेकिन देश सेवा भावना से मोनिका सेना में भर्ती हो गई हैं। यूं तो प्रदेश के कई युवा सिविल में नौकरी करने की चाह रखते हैं, लेकिन मोनिका ने आराम की नौकरी छोड़ देश सेवा करने का निर्णय लेकर मिसाल पेश की है। प्रदेश में आरामदायक नौकरी पाने वाले युवाओं के लिए यह एक बड़ी पे्ररणा है। प्रदेश की इस होनहार बेटी मोनिका का जन्म मंडी जिला के धर्मपुर उपमंडल की सिधपुर पंचायत के डेढल गांव में लता देवी व हंसराज पराशर के घर हुआ।  24 सितंबर, 1991 को जन्मी इस होनहार बेटी की धर्मपुर ही नहीं पूरे प्रदेश में चर्चा हो रही है। मोनिका ने दसवीं की पढ़ाई राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सिधपुर से पूरी की और जमा दो राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बनी हमीरपुर से पूरी की । वहीं नर्सिंग की पढ़ाई आईजीएमसी शिमला से पूरी की । मोनिका के पिता कानूनगो के पद पर कार्यरत हैं और माता गृहिणी हैं। स्टाफ नर्स की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद मोनिका स्टाफ नर्स के तौर पर नेरचौक में चयनित हुई थीं। सेना में भर्ती होने पर मोनिका ने इस नौकरी को अब छोड़ दिया है। मोनिका ने कहा कि उनका सेना में भर्ती का टेस्ट सितंबर 2016 में लखनऊ में हुआ था, जिसमें उनका चयन हो गया। वह 8 फरवरी को झारखंड के रांची में सेना में ज्वाइनिंग देने गई हैं। उन्होंने बताया कि सेना में नौकरी करना उनका सपना था और भगवान ने उनके सपने को पूरा किया है जिसके लिए वह तहेदिल से भगवान का शुक्रिया करती है । उन्होंने बताया कि उनके सपने को पूरा करने के लिए उनकी माता लता देवी व पिता हंसराज, भाई रजत कुमार व बहन शैलजा का भी विशेष योगदान रहा है। इसके लिए परिवार ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया है और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है । जिसके बूते वह आज इस मुकाम को हासिल कर पाई है।

सेना के मोर्चे पर लेफ्टिनेंट मोनिकामुलाकात

यह पड़ाव है मंजिल नहीं, दूर तलक जाना है अभी…

आपने करियर के रूप में नर्सिंग को ही क्यों चुना

मेडिकल लाइन में ही जाने की इच्छा थी। जिसके चलते इस लाइन को करियर के रूप में चुना है।

विकल्प तो सिविल में भी हैं नर्सिंग के फिर आपने सेना को ही क्यों अपनाया?

 मेरा बचपन से ही सपना रहा है आर्मी में जाने का आर्मी के प्रति मन में पहले से ही सम्मान है। इस लिए ही इस फील्ड को चुना। देश के लिए कुछ करने के लिए आर्मी से बेहतर विकल्प हो ही नहीं सकता।

आपने इस करियर में जाने की कब सोची और तैयारी कब शुरू की

नर्सिंग करने के बाद ही आर्मी में जाने के बारे में सोच लिया था। मैंने सेना में भर्ती का टेस्ट सितंबर 2016 में लखनऊ में दिया था। नर्सिंग में जो कुछ सीखा था बाद में अस्पताल में व्यावहारिक तौर पर काम करने से बहुत कुछ सीखने को मिला। नेरचौक में सरकारी नौकरी मिली, लेकिन देश सेवा का सपना दिल में था, तो सेना ज्वाइन कर ली। मैंने बिना किसी कोचिंग के यह मुकाम हासिल किया है।

क्या हिमाचल की लड़कियां इस क्षेत्र में कुछ और बेहतर कर सकती हैं?

इस क्षेत्र में लड़कियां बीएससी नर्सिंग के बाद पीजी, टेस्ट के लिए मिलिट्री,  एम्स समेत अन्य संस्थानों में स्टाफ नर्स के रूप में काम कर सकती हैं। और मेरे हिसाब से तो सेना से बेहतर विकल्प नहीं हो सकता। रोजगार के साथ देश सेवा का भी अवसर मिलता है।

सेना में जाकर आप अपनी जिंदगी को कितना बदला हुआ महसूस कर रही हैं?

 मैंने अभी 8 फरवरी को झारखंड में ज्वाइनिंग दी है अभी तो कुछ बदलाव नहीं है। मेडिकल लाइन में पहले ही हर काम आर्मी की तर्ज पर सिस्टम में रह कर ही किया जाता है। स्वयं को हर परिस्थिति में बदलने के लिए तैयार रहना पड़ता है। सिविल में अनुशासन में कुछ रियायत हो सकती है, पर सेना में नो चांस।

हिमाचल की लड़कियों को इस करियर के लिए प्रेरित करने के लिए कोई तीन टिप्स दें।

– जो भी करो मन से करो।

–  कार्य करने के  लिए विश्वास का होना आवश्यक है।

– मन से अपने कार्य के प्रति मेहनत करनी चाहिए।

अब आपको सेना में सेवा का अवसर मिला है, तो आपका उद्देश्य क्या रहेगा।

आर्मी में बेहतर सेवाएं देने के लिए हर मोर्चे पर तत्पर रहूंगी और अपनी पढ़ाई भी आगे नियमित रखूंगी। यह पड़ाव है मंजिल नहीं है। अभी तो शुरुआत है, बहुत दूर तक जाना है।

अब तक नर्सिंग के क्षेत्र में केरल का प्रभुत्व रहा, पर अब तो हिमाचल में भी लड़कियां इस करियर के लिए क्रेजी हैं, इसके पीछे वजह क्या है।

पहले नर्सिंग में केरल का क्षेत्र अग्रणी होता था, पर अब तो हर क्षेत्र की लड़कियां नर्सिंग के क्षेत्र में आ रही हैं और हिमाचल में नर्सिंग के क्षेत्र में इतना बड़ा स्कोप करियर बनाने में नहीं हैं, जिसकी वजह से लड़कियां ज्यादातर आर्मी के क्षेत्र में करियर बनाने को क्रेजी हैं। आपने देखा ही होगा हर साल लड़को ंसे ज्यादा लड़कियां आर्मी में ज्यादा चयनित हो रही हैं वैसे भी हिमाचल सैन्य पृष्ठभूमि वाला प्रदेश है, तो सेना के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है।

आप नर्सिंग में चली गईं। नर्स न होती तो क्या होती?

मेडिकल लाइन में ही करियर बनाने का मन बना लिया था  और इसी क्षेत्र में आगे काम करने की मन में ठान ली थी और इसी लाइन में स्टाफ नर्स के तौर पर नेरचौक में अपनी सेवाएं दे रही थी, पर अभी मैंने इस नौकरी को छोड़ दिया क्योंकि मेरा सपना पूरा हो गया। अगर सेना में नर्स न होती तो नेरचौक में नर्स होती। लक्ष्य जनसेवा का था, जो सेना में जाने से जवान सेवा में बदल गया। अब सेना में जा कर जवानों की सेवा का लक्ष्य है।

– अमन अग्निहोत्री, मंडी


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