ई-शिक्षा

By: Mar 1st, 2017 12:07 am

ई-शिक्षाई-शिक्षा (ई-लर्निंग) को सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक समर्थित शिक्षा और अध्यापन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो स्वाभाविक तौर पर क्रियात्मक होतीे है और जिनका उद्देश्य शिक्षार्थी के व्यक्तिगत अनुभव, अभ्यास और ज्ञान के संदर्भ में ज्ञान के निर्माण को प्रभावित करना है। सूचना एवं संचार प्रणालियां, चाहे इनमें नेटवर्क की व्यवस्था हो या न हो, शिक्षा प्रक्रिया को कार्यान्वित करने वाले विशेष माध्यम के रूप में अपनी सेवा प्रदान करती हैं।  पाठ्य सामग्रियों का वितरण इंटरनेट, इंट्रानेट/एक्स्ट्रानेट, ऑडियो या वीडियो टेप, उपग्रह टीवी और सीडी-रोम के माध्यम से किया जाता है। इसे खुद- ब- खुद या अनुदेशक के नेतृत्व में किया जा सकता है और इसका माध्यम पाठ, छवि, एनिमेशन, स्ट्रीमिंग वीडियो और ऑडियो है। स्कूल में शिक्षा की तस्वीर बदल रही है। अब कक्षाओं में छात्रों की पढ़ाई, पहले से ज्यादा सुविधाजनक और हाईटेक हो गई है। देश के कई स्कूलों में ब्लैकबोर्ड की जगह प्रोजेक्टर्स, टीचर के हाथ में चॉक की जगह स्टाइल्स डिवाइस और बच्चों के हाथ में पेन- पेंसिल की जगह रिमोर्ट कंट्रोल आ गए हैं। ऐसे में इसे विकासशील देश में शिक्षा की नई तस्वीर कहा जा सकता है। नई तकनीकी से शिक्षा ले रहे छात्राओं की पढ़ाई केवल किताबों तक सीमित नहीं है। पढ़ाई के इस नए तरीके में बच्चों को हर चीज वीडियो, पिक्चर्स और ग्राफिक्स के जरिए समझाई जाती है। टेस्ट देने के लिए भी हाईटेक तरीके का इस्तेमाल है। प्रोजक्टर पर प्रश्न दिखते ही छात्र रिमोर्ट के जरिए अपना जवाब देंगे और तुरंत सही व गलत का पता भी चल जाएगा। पढ़ाई का तरीका बदलने वाली यह टेक्नोलॉजी न सिर्फ बच्चों के लिए दिलचस्प है बल्कि टीचर्स के लिए आसान है। किंडर गार्टन से लेकर 12वीं क्लास के ये मोड्यूल आईसीएसई, सीबीएसई बोर्ड के अलावा स्टेट बोर्ड  में भी उपलब्ध हैं। इतना ही नहीं हिंदी, मराठी, गुजराती, तामिल जैसी भाषाएं भी इस मोड्यूल के जरिए आसानी से पढ़ाई जा रही हैं। बच्चों को दिया जाना वाला होमवर्क स्कूल की वेबसाइट पर मिल जाता है और स्कूल की हर एक्टिविटी का जानकारी ट्विटर पर दी जाती है। भले ही यह चलन दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े मेट्रो शहरों से शुरू हुआ हो, पर अब भोपाल, इंदौर, धर्मशाला, चंडीगढ़, लखनऊ जैसे शहरों में यह ज्यादा पॉपुलर हो गया है। स्मार्ट क्लास का यह कारोबार हर साल करीब 20 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है। एडुकॉम्प, एवरॉन, एनआईआईटी, कोर एजुकेशन, टाटा इंटरेक्टिव सर्विसेज जैसी कंपनियां इस कारोबार में उतर चुकी हैं। पढ़ाई का यह नया तरीका दिलचस्प और आसान तो है, लेकिन थोड़ा महंगा भी है। आपके बच्चे को स्मार्ट किड बनाने के लिए आपको अपनी जेब थोड़ी हल्की तो करनी पड़ेगी, पर इसकी संभावनाओं को देखते हुए लोग यह करने के लिए भी तैयार हैं। समय की इस मांग को देखते हुए हिमाचल प्रदेश के उच्च विद्यालयों और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी परियोजना शुरू की जा रही है। इसके तहत स्मार्ट क्लासरूम बनाए जाएंगे और इनमें स्मार्ट तरीके से पढ़ाई करवाई जाएगी। क्लासरूम में एलसीडी यानी लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले प्रोजेक्टर व टीवी स्थापित किए जाएंगे।


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