कन्याओं पर ही पाबंदी

By: Mar 25th, 2017 12:01 am

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )

ऐसा पहनें, वैसा खाएं, जल्द शाम को घर आएं,

नहीं मंच पर गाना गाएं, न मुस्काएं, न बतियाएं।

बिन पूछे बाहर न जाएं, कम पैसों में काम चलाएं,

उछल-कूद की मनाही, कन्याओं पर ही पाबंदी।

जो आता, वही सिखाता, हंसना कभी न भाता,

पंख कुतरे जा रहे, उड़ना उसका नहीं सुहाता।

पांवों में पड़ी बेडि़यां, पड़ी जेल में, कैदी-बंदी।

जीवन सूना, छाई मंदी, कन्याओं पर ही पाबंदी।

तोड़ें पिंजरा, बाहर आएं, अंबर से ऊपर उड़ जाएं।

तीन तलाक बंद हो, जीने का अधिकार दिलाएं।

गहरी खाई क्यों कर खन दी,

महिलाओं पर ही पाबंदी।

 


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